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शिमला ! शिक्षा किसी भी प्रगतिशील समाज की नींव होती है। इसी सोच के साथ सरकार हर बच्चे को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए बीते कुछ वर्षों में सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में अनेक सुधारात्मक कदम उठाए हैं। स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं को सुधारने से लेकर आधुनिक विषयों और डिजिटल लर्निंग टूल्स को शामिल करने तक सरकार हर स्तर पर काम कर रही है। नई शिक्षा नीति के तहत सरकार द्वारा स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस जैसे आधुनिक विषय शुरू करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है, जिससे बच्चों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जाएगा। बच्चों की भाषा क्षमता को बचपन से ही बेहतर बनाने के लिए अब सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से ही अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई शुरू कर दी गई है। इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस-2025) में हिमाचल प्रदेश ने शानदार प्रदर्शन करते हुए देशभर में 5वां स्थान हासिल किया है जबकि वर्ष 2021 में हिमाचल 21वें पायदान पर था। असर रिपोर्ट-2025 में हिमाचल के बच्चों की पढ़ने की क्षमता पूरे देश में बेहतर आंकी गई है। शिक्षा के अधिकतर मानकों पर हिमाचल प्रदेश, देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों में शुमार है। स्कूल शिक्षा व्यवस्था को और सशक्त बनाने के लिए सरकार हर विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी राजकीय मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित कर रही है। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, पुस्तकालय, खेल सुविधाएं और अन्य आधुनिक संसाधन उपलब्ध करवाए जाएंगे ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके। कांगड़ा और हमीरपुर जिला में इन स्कूलों का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। इसके अलावा राज्य में बड़ी संख्या में स्कूलों को स्तरोन्नत किया जा रहा है। सरकार ने 500 प्राथमिक स्कूल, 100 उच्च विद्यालय, 200 वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, 48 महाविद्यालयों और 2 संस्कृत महाविद्यालयों को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस घोषित किया है। इन स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक, बेहतर भवन, प्रयोगशालाएं और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। बच्चों के भविष्य को संवारने में शिक्षक अहम भूमिका निभाते हैं। शिक्षकों को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सरकार ने सिंगापुर के प्रतिष्ठित प्रिंसिपल्स एकेडमी के साथ ऐतिहासिक समझौता किया है। सत्र 2024-25 में 334 शिक्षक और 50 मेधावी छात्र सिंगापुर शैक्षणिक भ्रमण पर भेजे गए। इसके अलावा 342 शिक्षक और छात्र देश के विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक भ्रमण पर गए। मेधावी छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए 10वीं और 12वीं कक्षा के 10,500 से अधिक छात्रों को मुफ्त टैबलेट वितरित किए गए हैं। प्रदेश के बच्चों के उच्च शिक्षा के सपने को साकार करने के लिए सरकार की डॉ. वाई.एस. परमार विद्यार्थी ऋण योजना के तहत विद्यार्थी देश व विदेश में पढ़ाई के लिए एक प्रतिशत ब्याज दर पर 20 लाख रुपये तक का शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकते हैं। प्रदेश में स्कूल स्तर पर क्लस्टर सिस्टम लागू किया गया है, जिससे विद्यार्थी अब अच्छे संसाधनों, साइंस लैब, खेल के मैदान और पुस्तकालय का लाभ उठा रहे हैं। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों की पोषण आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री बाल पोषाहार योजना के तहत 15,000 से अधिक स्कूलों में 5.35 लाख बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने 12.75 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। सरकार युवाओं के कौशल उन्नयन का भी ध्यान रख रही है। तकनीकी संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन ऑपरेशन, मशीन लर्निंग और डेटा साइंस जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं ताकि युवाओं को रोजगार प्रदाता के रूप में आगे बढ़ने के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म तेजी से विकसित किया जा रहे हैं। शिक्षकों की उपस्थिति की निगरानी भी अब विद्या समीक्षा केंद्र के माध्यम से डिजिटल रूप से की जा रही है। बच्चों के सामान्य ज्ञान को बढ़ाने और उन्हें आत्मविश्वासी बनाने के लिए स्कूलों में प्रातःकालीन सभा में रोजाना समाचार पाठन आरम्भ किया गया है। इन मजबूत और ठोस प्रयासों के फलस्वरूप प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहा है। सरकार का उद्देश्य केवल बच्चों को पढ़ाना ही नहीं है बल्कि उन्हें ऐसा ज्ञान और कौशल देना है जिससे वे जीवन में सफलता हासिल कर सकें। प्रदेश आज शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश के लिए एक मिसाल बनकर उभर रहा है। यह सभी प्रयास प्रदर्शित कर रहे हैं कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सही नीतियों से किसी भी राज्य के बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाया जा सकता है।
शिमला ! शिक्षा किसी भी प्रगतिशील समाज की नींव होती है। इसी सोच के साथ सरकार हर बच्चे को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए बीते कुछ वर्षों में सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में अनेक सुधारात्मक कदम उठाए हैं। स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं को सुधारने से लेकर आधुनिक विषयों और डिजिटल लर्निंग टूल्स को शामिल करने तक सरकार हर स्तर पर काम कर रही है।
नई शिक्षा नीति के तहत सरकार द्वारा स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस जैसे आधुनिक विषय शुरू करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है, जिससे बच्चों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जाएगा। बच्चों की भाषा क्षमता को बचपन से ही बेहतर बनाने के लिए अब सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से ही अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई शुरू कर दी गई है। इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस-2025) में हिमाचल प्रदेश ने शानदार प्रदर्शन करते हुए देशभर में 5वां स्थान हासिल किया है जबकि वर्ष 2021 में हिमाचल 21वें पायदान पर था। असर रिपोर्ट-2025 में हिमाचल के बच्चों की पढ़ने की क्षमता पूरे देश में बेहतर आंकी गई है। शिक्षा के अधिकतर मानकों पर हिमाचल प्रदेश, देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों में शुमार है।
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स्कूल शिक्षा व्यवस्था को और सशक्त बनाने के लिए सरकार हर विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी राजकीय मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित कर रही है। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, पुस्तकालय, खेल सुविधाएं और अन्य आधुनिक संसाधन उपलब्ध करवाए जाएंगे ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके। कांगड़ा और हमीरपुर जिला में इन स्कूलों का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। इसके अलावा राज्य में बड़ी संख्या में स्कूलों को स्तरोन्नत किया जा रहा है। सरकार ने 500 प्राथमिक स्कूल, 100 उच्च विद्यालय, 200 वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, 48 महाविद्यालयों और 2 संस्कृत महाविद्यालयों को स्कूल ऑफ एक्सीलेंस घोषित किया है। इन स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक, बेहतर भवन, प्रयोगशालाएं और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
बच्चों के भविष्य को संवारने में शिक्षक अहम भूमिका निभाते हैं। शिक्षकों को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सरकार ने सिंगापुर के प्रतिष्ठित प्रिंसिपल्स एकेडमी के साथ ऐतिहासिक समझौता किया है। सत्र 2024-25 में 334 शिक्षक और 50 मेधावी छात्र सिंगापुर शैक्षणिक भ्रमण पर भेजे गए। इसके अलावा 342 शिक्षक और छात्र देश के विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक भ्रमण पर गए। मेधावी छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए 10वीं और 12वीं कक्षा के 10,500 से अधिक छात्रों को मुफ्त टैबलेट वितरित किए गए हैं।
प्रदेश के बच्चों के उच्च शिक्षा के सपने को साकार करने के लिए सरकार की डॉ. वाई.एस. परमार विद्यार्थी ऋण योजना के तहत विद्यार्थी देश व विदेश में पढ़ाई के लिए एक प्रतिशत ब्याज दर पर 20 लाख रुपये तक का शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकते हैं। प्रदेश में स्कूल स्तर पर क्लस्टर सिस्टम लागू किया गया है, जिससे विद्यार्थी अब अच्छे संसाधनों, साइंस लैब, खेल के मैदान और पुस्तकालय का लाभ उठा रहे हैं।
शिक्षा के साथ-साथ बच्चों की पोषण आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री बाल पोषाहार योजना के तहत 15,000 से अधिक स्कूलों में 5.35 लाख बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने 12.75 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है।
सरकार युवाओं के कौशल उन्नयन का भी ध्यान रख रही है। तकनीकी संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन ऑपरेशन, मशीन लर्निंग और डेटा साइंस जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं ताकि युवाओं को रोजगार प्रदाता के रूप में आगे बढ़ने के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म तेजी से विकसित किया जा रहे हैं। शिक्षकों की उपस्थिति की निगरानी भी अब विद्या समीक्षा केंद्र के माध्यम से डिजिटल रूप से की जा रही है। बच्चों के सामान्य ज्ञान को बढ़ाने और उन्हें आत्मविश्वासी बनाने के लिए स्कूलों में प्रातःकालीन सभा में रोजाना समाचार पाठन आरम्भ किया गया है।
इन मजबूत और ठोस प्रयासों के फलस्वरूप प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहा है। सरकार का उद्देश्य केवल बच्चों को पढ़ाना ही नहीं है बल्कि उन्हें ऐसा ज्ञान और कौशल देना है जिससे वे जीवन में सफलता हासिल कर सकें। प्रदेश आज शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश के लिए एक मिसाल बनकर उभर रहा है। यह सभी प्रयास प्रदर्शित कर रहे हैं कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सही नीतियों से किसी भी राज्य के बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाया जा सकता है।
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