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बिलासपुर , 03 [ ऑक्टूबर ] ! आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में तीसरे स्थापना दिवस का आयोजन बड़े उत्साह और गरिमा के साथ किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने की। केंद्रीय मंत्री नड्डा ने अपने संबोधन में कहा कि बिलासपुर एम्स का निर्माण मात्र तीन वर्षों के रिकॉर्ड समय में पूरा हुआ और इसे हिमाचल की जनता को समर्पित करना उनके लिए व्यक्तिगत संतोष और सपना पूरा होने जैसा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में 23 एम्स संचालित हैं, जिनमें से 13 एम्स उनके कार्यकाल के दौरान स्थापित किए गए। उन्होंने कहा कि बिलासपुर एम्स ने बहुत कम समय में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। यहाँ अब तक 8 गुर्दा प्रत्यारोपण (किडनी ट्रांसप्लांट) सफलतापूर्वक किए जा चुके हैं तथा क्षेत्रीय स्तर की विषाणु अनुसंधान प्रयोगशाला भी शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा कि एम्स बिलासपुर में 750 बिस्तरों की क्षमता वाला रोगी वार्ड (इनडोर पेशेंट विभाग) और 40 विभागों वाला बाह्य रोगी विभाग (आउटडोर पेशेंट विभाग) कार्यरत है। यहाँ चौबीसों घंटे आपातकालीन एवं दुर्घटना उपचार सेवाएँ, चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एम.आर.आई.), कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (सी.टी.), पोज़िट्रोन उत्सर्जन टोमोग्राफी (पी.ई.टी. स्कैन), शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एन.आई.सी.यू.), बाल गहन चिकित्सा इकाई (पी.आई.सी.यू.), गंभीर रोगी देखभाल इकाई (क्रिटिकल केयर यूनिट), हृदय जाँच प्रयोगशाला (कैथ लैब), रक्तकोष (ब्लड बैंक), अंतर्दर्शन जाँच (एंडोस्कोपी), विकिरण चिकित्सा (रेडियोथेरेपी), गुर्दा शोधन (डायलिसिस) और गुर्दा प्रत्यारोपण जैसी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। अब तक हिमकेयर और आयुष्मान भारत योजनाओं के अंतर्गत 20,000 से अधिक रोगियों का निःशुल्क उपचार किया जा चुका है। नड्डा ने कहा कि एम्स बिलासपुर से प्रदेशवासियों को चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे बड़े अस्पतालों के चक्कर काटने से राहत मिली है। रोगियों और उनके परिजनों की सुविधा के लिए 250 बिस्तरों वाला विश्राम सदन बनाया गया है और जल्द ही 250 बिस्तरों का एक और विश्राम सदन समाजसेवी संस्था के सहयोग से तैयार किया जाएगा। साथ ही, एम्स परिसर में 5 करोड़ रूपए की लागत से आधुनिक अंतर्वेशी क्रीड़ांगन (इनडोर स्टेडियम) का निर्माण होगा तथा कर्मचारियों के बच्चों के लिए केंद्रीय विद्यालय और डीएवी स्कूल खोलने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के लिए कार्यान्वयन योजना 2025-26 के अंतर्गत 123 करोड़ रूपए की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई है। इसमें से 73.13 करोड़ रूपए मातृ-शिशु विंग हेतु स्वीकृत किए गए हैं। इसके अंतर्गत हमीरपुर मेडिकल कॉलेज को 34 करोड़, नाहन को 11 करोड़, बिलासपुर को 4.5 करोड़, नूरपुर को 3 करोड़, मंडी को 1.65 करोड़ तथा ऊना मेडिकल कॉलेज को 1 करोड़ रूपए की राशि दी जाएगी। इसके अतिरिक्त जिन मेडिकल कॉलेजों में मातृ-शिशु विंग का निर्माण हो चुका है, उनके लिए उपकरणों हेतु 18 करोड़ रूपए और लक्ष्य (प्रसव कक्ष गुणवत्ता सुधार) के लिए 32 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने कहा कि एम्स बिलासपुर की स्थापना से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में ऐतिहासिक सुधार आया है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान न केवल हिमाचल बल्कि पड़ोसी राज्यों के लोगों के लिए भी वरदान साबित हो रहा है। शांडिल ने कहा कि किसी भी बड़े संस्थान की पहचान केवल उसके भवन और अवसंरचना से नहीं होती, बल्कि वहाँ कार्यरत मानव संसाधन की निष्ठा, सेवा भाव और समर्पण ही उसकी असली पहचान होती है। उन्होंने एम्स बिलासपुर के चिकित्सकों, फैकल्टी, नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मचारियों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी ईमानदारी, परिश्रम और मरीजों के प्रति संवेदनशीलता ही इस संस्थान को उत्कृष्ट बनाती है। स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि शोध और अनुसंधान चिकित्सा क्षेत्र की रीढ़ हैं। आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और आधुनिक तकनीकों का उपयोग निदान और उपचार को और अधिक सटीक बनाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार चिकित्सा अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव सहयोग करेगी ताकि प्रदेश के लोग नवीनतम स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ समय पर ले सकें। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से 70 आदर्श स्वास्थ्य संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें से 50 पहले ही शुरू हो चुके हैं। इन आदर्श संस्थानों के माध्यम से ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों के लोगों को भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं। शांडिल ने केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का निरंतर सहयोग प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार का संकल्प है कि राज्य के हर नागरिक को आधुनिक और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न पाठ्यक्रमों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं और शिक्षण सदस्यों को सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, सांसद अनुराग सिंह ठाकुर, राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन, एम्स बिलासपुर के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा, कार्यकारी निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह, विधायक रणधीर शर्मा, विधायक जीतराम कटवाल और विधायक त्रिलोक जमवाल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
बिलासपुर , 03 [ ऑक्टूबर ] ! आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में तीसरे स्थापना दिवस का आयोजन बड़े उत्साह और गरिमा के साथ किया गया। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने की।
केंद्रीय मंत्री नड्डा ने अपने संबोधन में कहा कि बिलासपुर एम्स का निर्माण मात्र तीन वर्षों के रिकॉर्ड समय में पूरा हुआ और इसे हिमाचल की जनता को समर्पित करना उनके लिए व्यक्तिगत संतोष और सपना पूरा होने जैसा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में 23 एम्स संचालित हैं, जिनमें से 13 एम्स उनके कार्यकाल के दौरान स्थापित किए गए। उन्होंने कहा कि बिलासपुर एम्स ने बहुत कम समय में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। यहाँ अब तक 8 गुर्दा प्रत्यारोपण (किडनी ट्रांसप्लांट) सफलतापूर्वक किए जा चुके हैं तथा क्षेत्रीय स्तर की विषाणु अनुसंधान प्रयोगशाला भी शुरू हो चुकी है।
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उन्होंने कहा कि एम्स बिलासपुर में 750 बिस्तरों की क्षमता वाला रोगी वार्ड (इनडोर पेशेंट विभाग) और 40 विभागों वाला बाह्य रोगी विभाग (आउटडोर पेशेंट विभाग) कार्यरत है। यहाँ चौबीसों घंटे आपातकालीन एवं दुर्घटना उपचार सेवाएँ, चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एम.आर.आई.), कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (सी.टी.), पोज़िट्रोन उत्सर्जन टोमोग्राफी (पी.ई.टी. स्कैन), शिशु गहन चिकित्सा इकाई (एन.आई.सी.यू.), बाल गहन चिकित्सा इकाई (पी.आई.सी.यू.), गंभीर रोगी देखभाल इकाई (क्रिटिकल केयर यूनिट), हृदय जाँच प्रयोगशाला (कैथ लैब), रक्तकोष (ब्लड बैंक), अंतर्दर्शन जाँच (एंडोस्कोपी), विकिरण चिकित्सा (रेडियोथेरेपी), गुर्दा शोधन (डायलिसिस) और गुर्दा प्रत्यारोपण जैसी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। अब तक हिमकेयर और आयुष्मान भारत योजनाओं के अंतर्गत 20,000 से अधिक रोगियों का निःशुल्क उपचार किया जा चुका है।
नड्डा ने कहा कि एम्स बिलासपुर से प्रदेशवासियों को चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे बड़े अस्पतालों के चक्कर काटने से राहत मिली है। रोगियों और उनके परिजनों की सुविधा के लिए 250 बिस्तरों वाला विश्राम सदन बनाया गया है और जल्द ही 250 बिस्तरों का एक और विश्राम सदन समाजसेवी संस्था के सहयोग से तैयार किया जाएगा। साथ ही, एम्स परिसर में 5 करोड़ रूपए की लागत से आधुनिक अंतर्वेशी क्रीड़ांगन (इनडोर स्टेडियम) का निर्माण होगा तथा कर्मचारियों के बच्चों के लिए केंद्रीय विद्यालय और डीएवी स्कूल खोलने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के लिए कार्यान्वयन योजना 2025-26 के अंतर्गत 123 करोड़ रूपए की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई है। इसमें से 73.13 करोड़ रूपए मातृ-शिशु विंग हेतु स्वीकृत किए गए हैं। इसके अंतर्गत हमीरपुर मेडिकल कॉलेज को 34 करोड़, नाहन को 11 करोड़, बिलासपुर को 4.5 करोड़, नूरपुर को 3 करोड़, मंडी को 1.65 करोड़ तथा ऊना मेडिकल कॉलेज को 1 करोड़ रूपए की राशि दी जाएगी। इसके अतिरिक्त जिन मेडिकल कॉलेजों में मातृ-शिशु विंग का निर्माण हो चुका है, उनके लिए उपकरणों हेतु 18 करोड़ रूपए और लक्ष्य (प्रसव कक्ष गुणवत्ता सुधार) के लिए 32 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने कहा कि एम्स बिलासपुर की स्थापना से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में ऐतिहासिक सुधार आया है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान न केवल हिमाचल बल्कि पड़ोसी राज्यों के लोगों के लिए भी वरदान साबित हो रहा है।
शांडिल ने कहा कि किसी भी बड़े संस्थान की पहचान केवल उसके भवन और अवसंरचना से नहीं होती, बल्कि वहाँ कार्यरत मानव संसाधन की निष्ठा, सेवा भाव और समर्पण ही उसकी असली पहचान होती है। उन्होंने एम्स बिलासपुर के चिकित्सकों, फैकल्टी, नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मचारियों की सराहना करते हुए कहा कि उनकी ईमानदारी, परिश्रम और मरीजों के प्रति संवेदनशीलता ही इस संस्थान को उत्कृष्ट बनाती है।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि शोध और अनुसंधान चिकित्सा क्षेत्र की रीढ़ हैं। आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और आधुनिक तकनीकों का उपयोग निदान और उपचार को और अधिक सटीक बनाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार चिकित्सा अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव सहयोग करेगी ताकि प्रदेश के लोग नवीनतम स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ समय पर ले सकें।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से 70 आदर्श स्वास्थ्य संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें से 50 पहले ही शुरू हो चुके हैं। इन आदर्श संस्थानों के माध्यम से ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों के लोगों को भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।
शांडिल ने केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का निरंतर सहयोग प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं को नई ऊँचाइयों तक ले जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार का संकल्प है कि राज्य के हर नागरिक को आधुनिक और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ।
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न पाठ्यक्रमों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं और शिक्षण सदस्यों को सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, सांसद अनुराग सिंह ठाकुर, राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन, एम्स बिलासपुर के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र कुमार अरोड़ा, कार्यकारी निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह, विधायक रणधीर शर्मा, विधायक जीतराम कटवाल और विधायक त्रिलोक जमवाल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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