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चम्बा ! जिला सैनिक कल्याण बोर्ड, चंबा में सैनिकों, पूर्व सैनिकों एवं उनके परिवारों को कानूनी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से "विधिक सेवा क्लिनिक" का शुभारंभ हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रधान संरक्षक न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया द्वारा वर्चुअल माध्यम से किया गया। यह क्लिनिक राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) की वीर परिवार सहायता योजना 2025 के अंतर्गत स्थापित किया गया। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर सहित अन्य सहयोगी न्यायाधीश भी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 39(ए) प्रत्येक व्यक्ति को समान न्याय एवं निशुल्क कानुनी सहायता प्रदान करता है।न्यायमूर्ति संधावालिया ने बताया कि जो सैनिक सीमाओं पर डटे रहकर देश की सेवा कर रहे हैं, उन्हें यदि अपने गृह क्षेत्र में किसी कानूनी सहायता की आवश्यकता हो और वे अवकाश नहीं ले पाएं, तो यह विधिक सेवा क्लिनिक उनके व उनके परिजनों को आवश्यक सहायता प्रदान करेगा। प्रत्येक विधिक सेवा क्लिनिक में दो पैरा लीगल वालंटियर्स नियुक्त किए जाएंगे, जो पूर्व सैनिकों के परिवारों से होंगे। ये वालंटियर्स लोगों को कानूनी परामर्श प्रदान करने में मदद करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर अधिवक्ता की सेवाएं भी उपलब्ध करवाई जाएंगी। यह अभिनव पहल वीर सैनिकों एवं उनके परिवारों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे उन्हें कानून संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु समय पर एवं प्रभावी सहायता प्राप्त होगी। इस अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चम्बा प्रीति ठाकुर, अतरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमणीक शर्मा, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी निखिल अग्रवाल, न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी पार्थ जैन, जिला सैनिक कल्याण बोर्ड की उपनिदेशक कैप्टन अनुमेहा पराशर व मुख्य विधिक सेवा प्रतिरक्षा अधिवक्ता डीपी मल्होत्रा सहित पूर्व सैनिक भी उपस्थित रहे।
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