
विमल नेगी की मौत के मामले जो तथ्य सामने आए हैं वह हैरान करने वाले* *मुख्यमंत्री सदन में विमल नेगी को न्याय देने का आश्वाशन दे रहे थे और थानें में पेनड्राइव फॉर्मेट हो रही थी* *जितने आरोपी हैं मुख्यमंत्री ने सबको प्राइम पोस्टिंग दे रखी है*
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शिमला , 18 सितंबर [ विशाल सूद ] : शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने कहा कि विमल नेगी की मौत के मामले में सुख की सरकार बेनकाब हो गई है। एक तरफ मुख्यमंत्री विधान सभा में खड़े होकर विमल नेगी के परिवार को न्याय का आश्वासन दे रहे थे दूसरी तरह पुलिस सबूत मिटा रही थी। यह सबूत कहीं और नहीं थाने शिमला के सदर थाने में फॉर्मेट हो रही थी। यह किसके इशारे पर हो रहा था? कौन करवा रहा था? इस साजिश के तार इतने गहरे जुड़े होंगे इसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देकर सरकार ने प्रदेश की यह हालत कर दी है कि थाने न्याय के नहीं आरोपियों को बचाने की साजिश कर रहे हैं। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि एएसआई पंकज शर्मा ने शिमला सदर थाने में विमल नेगी के पास से मिली पेन ड्राइव फॉरमैट की और यह घटना सीसीटीवी में भी रिकॉर्ड हुई। यह पूरे प्रदेश के लिए शर्म की बात है कि एक इंजीनियर की मौत को छुपाने के लिए एक के बाद एक साजिशें की गई। विमल नेगी के आरोपियों को बचाने के लिए सरकार ने जमीन आसमान एक कर दिया। विमल नेगी के गायब होने से उनके मृत्यु के बाद तक सरकार द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया गया जिससे स्पष्ट हो सके कि सरकार विमल नेगी को न्याय देना चाहती है। मुख्यमंत्री ने सदन के अंदर खड़े होकर कहा था कि वह परिवार की हमेशा समर्थन करेंगे और परिवार सीबीआई की मांग करेगी तो सीबीआई जांच भी करवाएंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि परिवार ने सीबीआई जांच की मांग ही नहीं की बल्कि वह सड़कों पर उतरे और सीबीआई जांच की मांग के लिए कैंडल मार्च किया। विमल नेगी के गुनहगारों के साथ खड़ी सरकार ने उनके परिवार की बात को अनसुना किया। थक हार कर परिवार को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। तब जाकर कहीं विमल नेगी के मामले में सीबीआई जांच हुई। सबसे हैरानी की बात यह हुई की सीबीआई की जांच रुकवाने के लिए प्रदेश की सरकार ने हर वह साजिशें की, जो कर सकती थी। सीबीआई जांच रोकने के लिए एडवोकेट जनरल , शिमला एसपी और हिमाचल प्रदेश के डीजीपी के बीच जो घटनाएं हुई वह हिमाचल प्रदेश के इतिहास में एक काले धब्बे के रूप में याद की जाएंगी। इस पूरे प्रकरण में सबसे हैरानी भरा कारनामा सरकार का रहा। विमल नेगी के एक-एक आरोपी को बचाने में लगी रही। विमल नेगी के जितने भी आरोपी थे उनको सरकार ने प्रशासनिक रूप से भी दंडित नहीं किया। इतना कुछ होने के बाद भी जो आरोपी थे उन्हें उनके पद से हटाने की बजाय और महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग दी गई। सरकार की इस कारगुजारी से साफ है कि पेखुबेला के पीछे कौन है? विमल नेगी की मौत के पीछे कौन है? विमल नेगी के मौत के आरोपियों के पीछे कौनहै? व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर व्यवस्था के पतन का यह सबसे अनोखा उदाहरण है जो सुक्खू सरकार ने स्थापित किया है।
शिमला , 18 सितंबर [ विशाल सूद ] : शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने कहा कि विमल नेगी की मौत के मामले में सुख की सरकार बेनकाब हो गई है। एक तरफ मुख्यमंत्री विधान सभा में खड़े होकर विमल नेगी के परिवार को न्याय का आश्वासन दे रहे थे दूसरी तरह पुलिस सबूत मिटा रही थी। यह सबूत कहीं और नहीं थाने शिमला के सदर थाने में फॉर्मेट हो रही थी।
यह किसके इशारे पर हो रहा था? कौन करवा रहा था? इस साजिश के तार इतने गहरे जुड़े होंगे इसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देकर सरकार ने प्रदेश की यह हालत कर दी है कि थाने न्याय के नहीं आरोपियों को बचाने की साजिश कर रहे हैं। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि एएसआई पंकज शर्मा ने शिमला सदर थाने में विमल नेगी के पास से मिली पेन ड्राइव फॉरमैट की और यह घटना सीसीटीवी में भी रिकॉर्ड हुई।
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यह पूरे प्रदेश के लिए शर्म की बात है कि एक इंजीनियर की मौत को छुपाने के लिए एक के बाद एक साजिशें की गई। विमल नेगी के आरोपियों को बचाने के लिए सरकार ने जमीन आसमान एक कर दिया। विमल नेगी के गायब होने से उनके मृत्यु के बाद तक सरकार द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया गया जिससे स्पष्ट हो सके कि सरकार विमल नेगी को न्याय देना चाहती है। मुख्यमंत्री ने सदन के अंदर खड़े होकर कहा था कि वह परिवार की हमेशा समर्थन करेंगे और परिवार सीबीआई की मांग करेगी तो सीबीआई जांच भी करवाएंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि परिवार ने सीबीआई जांच की मांग ही नहीं की बल्कि वह सड़कों पर उतरे और सीबीआई जांच की मांग के लिए कैंडल मार्च किया। विमल नेगी के गुनहगारों के साथ खड़ी सरकार ने उनके परिवार की बात को अनसुना किया। थक हार कर परिवार को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। तब जाकर कहीं विमल नेगी के मामले में सीबीआई जांच हुई। सबसे हैरानी की बात यह हुई की सीबीआई की जांच रुकवाने के लिए प्रदेश की सरकार ने हर वह साजिशें की, जो कर सकती थी। सीबीआई जांच रोकने के लिए एडवोकेट जनरल , शिमला एसपी और हिमाचल प्रदेश के डीजीपी के बीच जो घटनाएं हुई वह हिमाचल प्रदेश के इतिहास में एक काले धब्बे के रूप में याद की जाएंगी।
इस पूरे प्रकरण में सबसे हैरानी भरा कारनामा सरकार का रहा। विमल नेगी के एक-एक आरोपी को बचाने में लगी रही। विमल नेगी के जितने भी आरोपी थे उनको सरकार ने प्रशासनिक रूप से भी दंडित नहीं किया। इतना कुछ होने के बाद भी जो आरोपी थे उन्हें उनके पद से हटाने की बजाय और महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग दी गई। सरकार की इस कारगुजारी से साफ है कि पेखुबेला के पीछे कौन है? विमल नेगी की मौत के पीछे कौन है? विमल नेगी के मौत के आरोपियों के पीछे कौनहै? व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर व्यवस्था के पतन का यह सबसे अनोखा उदाहरण है जो सुक्खू सरकार ने स्थापित किया है।
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