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चम्बा ! जिला मुख्यालय मेंं बालमिकि सभा चंबा ने उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ हुए बलात्कार व निर्मम हत्या के विरोध व मृतक लड़की की आत्मा की शांति के लिए मोमबती मार्च का आयोजन किया गया। प्रशासन की अनुमति के अनुसार शारीरिक दूरी का पालन करते हुए विभिन्न संस्थाओं के 30 विशेष लोगों ने भाग लिया। कैंडल मार्च उपायुक्त कार्यालय के बाहर बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण करने के बाद शुरू किया गया। पूरे बाजार में कैंडल मार्च किया किया गया। रविदास विश्व महापीठ के जिला अध्यक्ष विकास चंद्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई इस अमानवीय घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 14 सितंबर 2020 को बालमिकि समाज से संबंध रखने वाली 19 वर्षीय मनीषा के साथ चार स्थानीय दरिंदों ने हैवानियत का खेल खेला। लड़की के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी रीड़, कमर व गर्दन की हड़डी तोड़ दी गई। जीभ काटकर मरने के लिए छोड़ दिया गया। 19 वर्ष की मासूम बच्ची मनीषा घाव के ताव को सहन न कर सकी और उसने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 29 सितंबर को दम तोड़ दिया। हैरत की बात यह है की उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन ने इस जघन्य अपराध में अपनी सार्थक व निषपक्ष भूमिका नहीं निभाई। आधी रात पीड़ित परिवार को बंधक बना कर बिना रीति-रिवाज लावारिश शव की तरह पार्थिव देह जलान भी संदेह की और इशारा करता है। जिसके चलते संर्पूण अनुसूचित जाति समाज में उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन के खिलाफ रोष पनप गया है। अगर इस बालात्कार व हत्या के आरोपियों को जल्द से जल्द सजा नहीं मिलती तो संपूर्ण अनुसूचित जाति समाज सड़क पर उतर कर उग्र आंदोलन करने से गुरेज नहीं करेगा।
चम्बा ! जिला मुख्यालय मेंं बालमिकि सभा चंबा ने उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ हुए बलात्कार व निर्मम हत्या के विरोध व मृतक लड़की की आत्मा की शांति के लिए मोमबती मार्च का आयोजन किया गया।
प्रशासन की अनुमति के अनुसार शारीरिक दूरी का पालन करते हुए विभिन्न संस्थाओं के 30 विशेष लोगों ने भाग लिया। कैंडल मार्च उपायुक्त कार्यालय के बाहर बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण करने के बाद शुरू किया गया। पूरे बाजार में कैंडल मार्च किया किया गया। रविदास विश्व महापीठ के जिला अध्यक्ष विकास चंद्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई इस अमानवीय घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 14 सितंबर 2020 को बालमिकि समाज से संबंध रखने वाली 19 वर्षीय मनीषा के साथ चार स्थानीय दरिंदों ने हैवानियत का खेल खेला।
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लड़की के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी रीड़, कमर व गर्दन की हड़डी तोड़ दी गई। जीभ काटकर मरने के लिए छोड़ दिया गया। 19 वर्ष की मासूम बच्ची मनीषा घाव के ताव को सहन न कर सकी और उसने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 29 सितंबर को दम तोड़ दिया। हैरत की बात यह है की उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन ने इस जघन्य अपराध में अपनी सार्थक व निषपक्ष भूमिका नहीं निभाई।
आधी रात पीड़ित परिवार को बंधक बना कर बिना रीति-रिवाज लावारिश शव की तरह पार्थिव देह जलान भी संदेह की और इशारा करता है। जिसके चलते संर्पूण अनुसूचित जाति समाज में उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन के खिलाफ रोष पनप गया है। अगर इस बालात्कार व हत्या के आरोपियों को जल्द से जल्द सजा नहीं मिलती तो संपूर्ण अनुसूचित जाति समाज सड़क पर उतर कर उग्र आंदोलन करने से गुरेज नहीं करेगा।
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