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मंडी ! स्टूडेंट फार सेवा हिमाचल प्रदेश द्वारा "पंछी हमारे मित्र" अभियान की घर-घर शुरुआत कर किया गया है। वहीं इस अभियान को नन्हे मुन्ने बच्चों द्वारा काफी उत्साह दिखाया जा रहा है। सुबह होते ही बच्चों द्वारा अपने माता-पिता संग घर की छत पर पक्षियों के लिए पानी और अनाज के दाने रखकर इन बेजूबानों का भरण पोषण किया जा रहा है। इस अभियान को गांवों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक लोगों द्वारा पूर्ण सहयोग देकर खूब सराहा भी जा रहा है। बता दें कि हिमाचल प्रदेश में गर्मी ने अपना प्रकोप ढाना शुरू कर दिया है और इसकी मार सीधे तौर पर पक्षियों पर पड़ रही है। इसमें स्टूडेंट फार सेवा के कार्यकर्ताओं द्वारा चलाए जा रहे "पंछी हमारे मित्र" कार्यक्रम एक सराहनीय कदम है। जानकारी देते हुए स्टूडेंट फार सेवा के प्रांतध्यक्ष डा. राकेश शर्मा ने कहा कि पक्षी या चिड़िया की चहचहाहट से सुबह अक्सर हमारी नींद खुल जाती है। घर के आस-पास पेड़ो पर चिड़िया और उनके बच्चे एक डाल से दुसरे डाल पर फुदकते है। उन्हें देखकर मन प्रसन्नता से भर जाता है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से पक्षियों की कई प्रजातियांं विलुप्त होती जा रही है, जिसका प्रत्यक्ष उदहारण लॉकडाउन है। उन्होंने कहा कि इसके चलते पर्यावरण साफ हुआ है और कई विलुप्त पक्षीयों को देखा जा रहा है। पेड़ो की ज्यादा कटाई होने के कारण पंछियों के रहने और खाने व पानी की समस्या भी उत्पन्न होती जा रही है। राकेश शर्मा ने कहा कि इस पवित्र अभियान से जुड़कर अपने घर के आस-पास पक्षियों के लिए पानी व खाने की व्यवस्था कर उनके सरक्षंण का प्रयास किया जा रहा है।
मंडी ! स्टूडेंट फार सेवा हिमाचल प्रदेश द्वारा "पंछी हमारे मित्र" अभियान की घर-घर शुरुआत कर किया गया है। वहीं इस अभियान को नन्हे मुन्ने बच्चों द्वारा काफी उत्साह दिखाया जा रहा है। सुबह होते ही बच्चों द्वारा अपने माता-पिता संग घर की छत पर पक्षियों के लिए पानी और अनाज के दाने रखकर इन बेजूबानों का भरण पोषण किया जा रहा है। इस अभियान को गांवों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक लोगों द्वारा पूर्ण सहयोग देकर खूब सराहा भी जा रहा है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में गर्मी ने अपना प्रकोप ढाना शुरू कर दिया है और इसकी मार सीधे तौर पर पक्षियों पर पड़ रही है। इसमें स्टूडेंट फार सेवा के कार्यकर्ताओं द्वारा चलाए जा रहे "पंछी हमारे मित्र" कार्यक्रम एक सराहनीय कदम है। जानकारी देते हुए स्टूडेंट फार सेवा के प्रांतध्यक्ष डा. राकेश शर्मा ने कहा कि पक्षी या चिड़िया की चहचहाहट से सुबह अक्सर हमारी नींद खुल जाती है। घर के आस-पास पेड़ो पर चिड़िया और उनके बच्चे एक डाल से दुसरे डाल पर फुदकते है। उन्हें देखकर मन प्रसन्नता से भर जाता है।
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पर्यावरण प्रदूषण की वजह से पक्षियों की कई प्रजातियांं विलुप्त होती जा रही है, जिसका प्रत्यक्ष उदहारण लॉकडाउन है। उन्होंने कहा कि इसके चलते पर्यावरण साफ हुआ है और कई विलुप्त पक्षीयों को देखा जा रहा है। पेड़ो की ज्यादा कटाई होने के कारण पंछियों के रहने और खाने व पानी की समस्या भी उत्पन्न होती जा रही है। राकेश शर्मा ने कहा कि इस पवित्र अभियान से जुड़कर अपने घर के आस-पास पक्षियों के लिए पानी व खाने की व्यवस्था कर उनके सरक्षंण का प्रयास किया जा रहा है।
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