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शिमला ! राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि प्राकृतिक कृषि के लाभ अब किसानों को नजर आने लगे हैं और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में करीब एक लाख 30 हजार किसान प्राकृतिक कृषि से जुड़े हैं। राज्यपाल आज राजभवन में प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना के अन्तर्गत राज्य परियोजना कार्यन्वयन इकाई की बैठक को संबोधित कर रहे थे। आर्लेकर ने कहा कि वह स्वयं किसान नहीं है लेकिन पिछले काफी समय से वह इस कृषि पद्धति को बढ़ावा देते रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह इससे पूर्व सुभाष पालेकर से भी मिल चुके हैं और उनसे भी इस कृषि पद्धति के बारे में जानकारी हासिल की है। उन्होंने कहा कि इसे अपनाने से किसान एक जमीन से एक समय में ही वर्षभर अलग-अलग फसलें ले सकता है और इस प्रकार वह साल भी व्यस्त रह सकता है। उन्होंने कहा कि गौ संरक्षण की दिशा मेें भी यह कृषि काफी फायदेमंद है। इस कृषि पद्धति में पहाड़ी गाय के महत्व को समझाया गया है। इसे बढ़ावा देने से पहाड़ी गायों का संरक्षण भी संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जोत योग्य भूमि काफी कम है। इसलिए इस कृषि पद्धति से किसानों की उपज ज्यादा होगी और लागत काफी कम है। उन्होंने कहा कि इसे जनजातीय क्षेत्रों में भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिप्रेक्ष्य में प्राकृतिक कृषि में जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने, लागत कम और आय ज्यादा होने, पैदावार बढ़ाने और स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम उत्पाद पैदा करने की क्षमता है। इस अवसर पर, कृषि सचिव श्री अजय शर्मा ने राज्यपाल को कृषि गतिविधियों से जुड़ी जानकारी उपलब्ध करवाई। प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने हिमाचल में प्राकृतिक कृषि के क्षेत्र में किए गए कार्यों व प्रगति से अवगत करवाया। प्राकृतिक कृषि खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक डॉ. राजेश्वर चंदेल ने पावर प्वाईंट प्रस्तुति द्वारा विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी।
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