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शिमला ! छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों द्वारा छात्रों व अभिभावकों की मानसिक प्रताड़ना पर रोक लगाने की मांग की है। मंच ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर उसने एनुअल चार्जेज़ सहित सभी तरह के चार्जेज़ व पूर्ण फीस वसूली के निर्णय को जबरन लागू करने की कोशिश की तो इसका कड़ा विरोध होगा व अभिभावक सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार व शिक्षा अधिकारियों पर निजी स्कूलों पर नरम रहने का आरोप लगाया है। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि शिमला के कई स्कूलों द्वारा अभिभावकों को एनुअल चार्जेज़ सहित सभी तरह के चार्जेज़ जमा करने के लिए लगातार मैसेज भेजे जा रहे हैं व फोन किये जा रहे हैं। स्कूल प्रबंधनों द्वारा अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्हें प्रबंधनों द्वारा बार-बार फोन करके मानसिक तौर पर परेशान किया जा रहा है। अभिभावकों पर वार्षिक परीक्षाओं व रिज़ल्ट की आड़ में भारी भरकम चार्जेज़ जमा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इन स्कूलों ने कभी भी शिक्षा का अधिकार कानून 2009,मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वर्ष 2014 की गाडलाइनज़,हिमाचल उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 व वर्ष 2020 के निर्णय का पालन नहीं किया। नियमानुसार पीटीए का भी गठन नहीं किया। अब अभिभावकों को मैसेज भेजकर व फोन करके उन्हें मानसिक तौर पर परेशान किया जा रहा है। यह सब बातें सरकार व शिक्षा विभाग को मालूम हैं लेकिन इसके बावजूद भी स्कूल प्रबंधनों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। कुछ स्कूल तो हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्णय का नाम लेकर फीस उगाही कर रहे हैं व सरेआम उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना कर रहे हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सारी परिस्थिति से परिचित होते हुए भी प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग ने आंखें मूंद ली हैं व इन स्कूलों को मनमानी लूट की इज़ाज़त दे रखी है। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर उन्होंने निजी स्कूलों की एनुअल चार्जेज़,कम्प्यूटर फीस,स्मार्ट क्लास रूम व अन्य चार्जेज़ की वसूली पर रोक न लगाई तो आंदोलन तेज होगा। उ उन्होंने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छः लाख छात्रों के दस लाख अभिभावकों सहित कुल सोलह लाख लोगों से निजी स्कूलों की पूर्ण फीस उगाही का पूर्ण बहिष्कार करने की अपील की है। प्रदेश सरकार द्वारा डीसी की अध्यक्षता में कमेटियां बनाकर फीस के संदर्भ में निर्णय लेने के फैसले से निजी स्कूल प्रबंधनों को खुली लूट की इज़ाज़त मिल गयी है। इस आदेश के आने के बाद निजी स्कूलों व संस्थानों ने दोबारा से छात्रों व अभिभावकों को पूर्ण फीस जमा करने के लिए मोबाइल मैसेज भेजना शुरू कर दिए हैं। इन मैसेज में उन्हें डराया धमकाया जा रहा है कि अगर पूर्ण फीस जमा न की गई तो छात्रों को न केवल संस्थानों से बाहर कर दिया जाएगा अपितु उन्हें परीक्षाओं में भी नहीं बैठने दिया जाएगा। उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय से अपील की है कि वह निजी स्कूलों द्वारा पूर्ण फीस वसूली के मामले पर हस्तक्षेप करके प्रदेश सरकार पर कार्रवाई करे। प्रदेश सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय की गलत व्याख्या कर रही है व अपनी सुविधा अनुसार माननीय उच्च न्यायालय के नाम पर निजी स्कूलों को छूट दे रही है। उन्होंने एनुअल चार्जेज़,कम्प्यूटर,स्मार्ट क्लास रूम फीस आदि के नाम पर मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने वाले निजी स्कूल प्रबंधनों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार सीधे निजी स्कूल प्रबंधनों की गोद में बैठ गयी है व उनके हितों के संरक्षण के लिए अभिभावकों के हितों को ताक पर रख रही है। प्रदेश सरकार खुलेआम अभिभावकों से धोखाधड़ी कर रही है व उनको गुमराह करने के लिए लगातार भ्रामक बयानबाजी कर रही है जिस पर तुरन्त रोक लगना जरूरी है।
शिमला ! छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों द्वारा छात्रों व अभिभावकों की मानसिक प्रताड़ना पर रोक लगाने की मांग की है। मंच ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर उसने एनुअल चार्जेज़ सहित सभी तरह के चार्जेज़ व पूर्ण फीस वसूली के निर्णय को जबरन लागू करने की कोशिश की तो इसका कड़ा विरोध होगा व अभिभावक सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार व शिक्षा अधिकारियों पर निजी स्कूलों पर नरम रहने का आरोप लगाया है। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि शिमला के कई स्कूलों द्वारा अभिभावकों को एनुअल चार्जेज़ सहित सभी तरह के चार्जेज़ जमा करने के लिए लगातार मैसेज भेजे जा रहे हैं व फोन किये जा रहे हैं। स्कूल प्रबंधनों द्वारा अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्हें प्रबंधनों द्वारा बार-बार फोन करके मानसिक तौर पर परेशान किया जा रहा है। अभिभावकों पर वार्षिक परीक्षाओं व रिज़ल्ट की आड़ में भारी भरकम चार्जेज़ जमा करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इन स्कूलों ने कभी भी शिक्षा का अधिकार कानून 2009,मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वर्ष 2014 की गाडलाइनज़,हिमाचल उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 व वर्ष 2020 के निर्णय का पालन नहीं किया। नियमानुसार पीटीए का भी गठन नहीं किया। अब अभिभावकों को मैसेज भेजकर व फोन करके उन्हें मानसिक तौर पर परेशान किया जा रहा है। यह सब बातें सरकार व शिक्षा विभाग को मालूम हैं लेकिन इसके बावजूद भी स्कूल प्रबंधनों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। कुछ स्कूल तो हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्णय का नाम लेकर फीस उगाही कर रहे हैं व सरेआम उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना कर रहे हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सारी परिस्थिति से परिचित होते हुए भी प्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग ने आंखें मूंद ली हैं व इन स्कूलों को मनमानी लूट की इज़ाज़त दे रखी है। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर उन्होंने निजी स्कूलों की एनुअल चार्जेज़,कम्प्यूटर फीस,स्मार्ट क्लास रूम व अन्य चार्जेज़ की वसूली पर रोक न लगाई तो आंदोलन तेज होगा। उ
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उन्होंने निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छः लाख छात्रों के दस लाख अभिभावकों सहित कुल सोलह लाख लोगों से निजी स्कूलों की पूर्ण फीस उगाही का पूर्ण बहिष्कार करने की अपील की है। प्रदेश सरकार द्वारा डीसी की अध्यक्षता में कमेटियां बनाकर फीस के संदर्भ में निर्णय लेने के फैसले से निजी स्कूल प्रबंधनों को खुली लूट की इज़ाज़त मिल गयी है। इस आदेश के आने के बाद निजी स्कूलों व संस्थानों ने दोबारा से छात्रों व अभिभावकों को पूर्ण फीस जमा करने के लिए मोबाइल मैसेज भेजना शुरू कर दिए हैं। इन मैसेज में उन्हें डराया धमकाया जा रहा है कि अगर पूर्ण फीस जमा न की गई तो छात्रों को न केवल संस्थानों से बाहर कर दिया जाएगा अपितु उन्हें परीक्षाओं में भी नहीं बैठने दिया जाएगा। उन्होंने माननीय उच्च न्यायालय से अपील की है कि वह निजी स्कूलों द्वारा पूर्ण फीस वसूली के मामले पर हस्तक्षेप करके प्रदेश सरकार पर कार्रवाई करे। प्रदेश सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय की गलत व्याख्या कर रही है व अपनी सुविधा अनुसार माननीय उच्च न्यायालय के नाम पर निजी स्कूलों को छूट दे रही है। उन्होंने एनुअल चार्जेज़,कम्प्यूटर,स्मार्ट क्लास रूम फीस आदि के नाम पर मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने वाले निजी स्कूल प्रबंधनों पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाए। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार सीधे निजी स्कूल प्रबंधनों की गोद में बैठ गयी है व उनके हितों के संरक्षण के लिए अभिभावकों के हितों को ताक पर रख रही है। प्रदेश सरकार खुलेआम अभिभावकों से धोखाधड़ी कर रही है व उनको गुमराह करने के लिए लगातार भ्रामक बयानबाजी कर रही है जिस पर तुरन्त रोक लगना जरूरी है।
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