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शिमला, 04 अगस्त ! पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि अब बातें बहुत हो गई हैं, धरातल पर काम होते दिखना चाहिये। आपदा से बंद पड़ी सड़कों को खोलने का काम युद्ध स्तर पर किया जाना चाहिए। आपदा को एक महीने का समय हो गया है और लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है। सरकार की हीलाहवाली का असर फसलों पर पड़ रहा है। फसलें और सेब अपने समय पर तैयार होते हैं और तैयार होने के बाद उन्हें मंडियो तक ले जाना होता है। आज सड़कें न सही हो पाने की वजह से बागवानों और किसानों के उत्पाद बाज़ार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सड़कें बंद होने की वजह से सब्जियों और फलों के सड़ने और मजबूरन उन्हें फेंकने की खबरें हर दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही हैं। यह स्थिति दुःखद है। किसान-बागवान खून पसीना एक करके फसलों का उत्पादन करते है। ऐसे में उन उत्पादों के सड़ जाने से उन्हें भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है। इसलिए सरकार जल्दी से जल्दी बंद सड़कों को खोलने का इंतज़ाम करे। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ किसानों बाग़वानों को ही नहीं आम लोगों को भी हर रोज़ परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आपात स्थिति में किसी मरीज़ को कहीं ले जाने में भी लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। लोग सड़कें न सही होने की वजह से मरीज़ों को पालकी पर रखकर घंटों तक पैदल सफ़र कर अस्पताल पहुंचने को विवश हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसानी और बाग़वानी के काम में भी भारी निवेश होता है। फसल को लगाने से लेकर उत्पाद को मंडी तक पहुंचाने में किसानों को काफ़ी लागत लगानी पड़ती है। इसके बाद ही उत्पाद बाज़ार में बिकता है और उन्हें आय होती है लेकिन आपदा की वजह से पूरी तरह से तैयार फसलें बर्बाद हो रही हैं। ज़िससे किसानों और बाग़वानों की लागत भी डूब रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रभावित क्षेत्रों की सड़कें जल्दी से जल्दी खोलने की आवश्यकता है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को किसानों और बागवानों के हितों को ध्यान में रखते हुए सड़कों की सही करने के काम में तेज़ी लाने की आवश्यकता है। जिससे कृषि और बाग़वानी उत्पादों को बाज़ार तक आसानी से पहुंचाया जा सके।
शिमला, 04 अगस्त ! पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि अब बातें बहुत हो गई हैं, धरातल पर काम होते दिखना चाहिये। आपदा से बंद पड़ी सड़कों को खोलने का काम युद्ध स्तर पर किया जाना चाहिए। आपदा को एक महीने का समय हो गया है और लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है। सरकार की हीलाहवाली का असर फसलों पर पड़ रहा है। फसलें और सेब अपने समय पर तैयार होते हैं और तैयार होने के बाद उन्हें मंडियो तक ले जाना होता है।
आज सड़कें न सही हो पाने की वजह से बागवानों और किसानों के उत्पाद बाज़ार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सड़कें बंद होने की वजह से सब्जियों और फलों के सड़ने और मजबूरन उन्हें फेंकने की खबरें हर दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रही हैं। यह स्थिति दुःखद है। किसान-बागवान खून पसीना एक करके फसलों का उत्पादन करते है।
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ऐसे में उन उत्पादों के सड़ जाने से उन्हें भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है। इसलिए सरकार जल्दी से जल्दी बंद सड़कों को खोलने का इंतज़ाम करे। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ किसानों बाग़वानों को ही नहीं आम लोगों को भी हर रोज़ परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आपात स्थिति में किसी मरीज़ को कहीं ले जाने में भी लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। लोग सड़कें न सही होने की वजह से मरीज़ों को पालकी पर रखकर घंटों तक पैदल सफ़र कर अस्पताल पहुंचने को विवश हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसानी और बाग़वानी के काम में भी भारी निवेश होता है। फसल को लगाने से लेकर उत्पाद को मंडी तक पहुंचाने में किसानों को काफ़ी लागत लगानी पड़ती है। इसके बाद ही उत्पाद बाज़ार में बिकता है और उन्हें आय होती है लेकिन आपदा की वजह से पूरी तरह से तैयार फसलें बर्बाद हो रही हैं।
ज़िससे किसानों और बाग़वानों की लागत भी डूब रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रभावित क्षेत्रों की सड़कें जल्दी से जल्दी खोलने की आवश्यकता है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार को किसानों और बागवानों के हितों को ध्यान में रखते हुए सड़कों की सही करने के काम में तेज़ी लाने की आवश्यकता है। जिससे कृषि और बाग़वानी उत्पादों को बाज़ार तक आसानी से पहुंचाया जा सके।
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