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शिमला ! हिमाचल सरकार के मंत्री, प्रशासनिक सचिव और विभागाध्यक्षों का कुनबा गुरुवार यानि आज से अपने दफ्तर में बैठेगे। सरकार ने इन्हें दफ्तर आने के लिए कहा है। इन लोगों को अपने-अपने संबंधित विभागों के भविष्य की रणनीति बनानी होगी, जो बताएंगे कि वह अब आगे क्या करेंगे। किस तरह से वह अपना काम शुरू करेंगे और कैसे सरकार की योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। एक बड़ी चुनौती प्रशासनिक मशीनरी के सामने है। अभी उन्हें अकेले ही आना होगा और हो सकता है कि गिने-चुने कुछ कर्मचारियों को वह लोग दफ्तर बुला लें, मगर उनको दफ्तर तक पहुंचाना और घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी भी देखनी होगी। क्योंकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से बंद है। ऐसे में जिलाधीश के माध्यम से पास लेने जरूरी होंगे, तभी वे लोग आवागमन कर सकेंगे। वह देखेंगे कि किस तरह से विभाग अपना काम करते हैं, जो काम रुके हुए हैं, उन्हें सुचारू बनाया जाएगा। बहरहाल, सरकारी दफ्तरों का काम पूरी तरह से नए सिरे से चलेगा। कई दिनों से कार्यालय बंद थे और किन योजनाओं पर वह लोग काम कर रहे थे, उनका क्या हुआ है, आगे उनको कैसे बढ़ाया जा सकता है, इसे देखना होगा। इसके साथ नए वित्त वर्ष में सरकार के बजट की घोषणा पर भी काम शुरू किया जाना है, जो कैसे होगा, इसका एक पूरा ब्यौरा विभागाध्यक्ष तैयार करेंगे। सूत्रों के अनुसार विभागाध्यक्षों की बनाई रिपोर्ट उनके प्रशासनिक सचिवों को जाएगी, जिनसे सभी मसलों पर चर्चा की जाएगी और इसके बाद मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री से भी विभागों की चर्चा होगी। यह चुनौतीपूर्ण समय है, क्योंकि कोरोना के कारण पूरा कामकाज ठप हो चुका है। अभी सभी कर्मचारी भी दफ्तर नहीं आएंगे, इसलिए कामकाज सुचारू नहीं हो सकेगा। सरकार के सामने चुनौती यह है कि वह रुके हुए काम को कैसे आगे बढ़ाएगी। आने वाले समय में जो आर्थिक संकट का दौर चलेगा, उससे किस तरह से पार पाया जाएगा।
शिमला ! हिमाचल सरकार के मंत्री, प्रशासनिक सचिव और विभागाध्यक्षों का कुनबा गुरुवार यानि आज से अपने दफ्तर में बैठेगे। सरकार ने इन्हें दफ्तर आने के लिए कहा है। इन लोगों को अपने-अपने संबंधित विभागों के भविष्य की रणनीति बनानी होगी, जो बताएंगे कि वह अब आगे क्या करेंगे।
किस तरह से वह अपना काम शुरू करेंगे और कैसे सरकार की योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। एक बड़ी चुनौती प्रशासनिक मशीनरी के सामने है। अभी उन्हें अकेले ही आना होगा और हो सकता है कि गिने-चुने कुछ कर्मचारियों को वह लोग दफ्तर बुला लें, मगर उनको दफ्तर तक पहुंचाना और घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी भी देखनी होगी। क्योंकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से बंद है। ऐसे में जिलाधीश के माध्यम से पास लेने जरूरी होंगे, तभी वे लोग आवागमन कर सकेंगे।
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वह देखेंगे कि किस तरह से विभाग अपना काम करते हैं, जो काम रुके हुए हैं, उन्हें सुचारू बनाया जाएगा। बहरहाल, सरकारी दफ्तरों का काम पूरी तरह से नए सिरे से चलेगा। कई दिनों से कार्यालय बंद थे और किन योजनाओं पर वह लोग काम कर रहे थे, उनका क्या हुआ है, आगे उनको कैसे बढ़ाया जा सकता है, इसे देखना होगा। इसके साथ नए वित्त वर्ष में सरकार के बजट की घोषणा पर भी काम शुरू किया जाना है, जो कैसे होगा, इसका एक पूरा ब्यौरा विभागाध्यक्ष तैयार करेंगे।
सूत्रों के अनुसार विभागाध्यक्षों की बनाई रिपोर्ट उनके प्रशासनिक सचिवों को जाएगी, जिनसे सभी मसलों पर चर्चा की जाएगी और इसके बाद मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री से भी विभागों की चर्चा होगी। यह चुनौतीपूर्ण समय है, क्योंकि कोरोना के कारण पूरा कामकाज ठप हो चुका है। अभी सभी कर्मचारी भी दफ्तर नहीं आएंगे, इसलिए कामकाज सुचारू नहीं हो सकेगा। सरकार के सामने चुनौती यह है कि वह रुके हुए काम को कैसे आगे बढ़ाएगी। आने वाले समय में जो आर्थिक संकट का दौर चलेगा, उससे किस तरह से पार पाया जाएगा।
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