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चम्बा ! कला सृजन पाठशाला ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कवि सम्मेलन का आयोजन गूगल मीट के माध्यम से किया। इस कवि सम्मेलन के मुख्य आकर्षण कवि, राष्ट्रवादी चिंतक तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर केएन तिवारी रहे। सर्व प्रथम पाठशाला के अध्यक्ष शरत शर्मा ने प्रोफेसर तिवारी का स्वागत किया । जिसके बाद प्रोफेसर कैलाश नारायण तिवारी ने एक के बाद एक मनमोहक कविताओं का पाठ करके सभी का मन मोह लिया। प्रो तिवारी ने "झंडे की याद में" कविता में देश प्रेम की भावना को उजागर किया। उन्होंने पीढ़ी का संकट कविता में पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति के ऊपर कुठाराघात किया। तिवारी की भोजपुरी कविता "हरखू की धनिया" ने सभी को अवाक कर दिया। इस श्रृंगार रस की कविता में उन्होंने अनेक सामाजिक समस्याओं को भी उठाया। इसके बाद पाठशाला के वरिष्ठ एवं माननीय सदस्य भूपेंद्र जसरोटिया ने मंच संभाला तथा अपनी मार्मिक कविता ''सच को आँच नहीं'' का पाठ किया । यहां कविता सभी दर्शकों को भाव विभोर कर गई। प्रो. प्रशांत रमण रवि ने प्रोफेसर तिवारी की कविता "कहो वेदना से ना दिल को सतावे" का पाठ किया। जब प्रो. प्रशांत रमण ने इस कविता का गायन किया तो सभी दर्शकों ने कमेंट बॉक्स में वाहवाही से हौंसला बढ़ाया। इस अवसर पर मंच का संचालन राजकीय महाविद्यालय चंबा के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार ने किया। उन्होंने तिवारी से भोजपुरी कविता का खड़ी बोली में रूपांतरित करने का विनम्र आग्रह किया। अंत में पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने प्रो. केएन तिवारी तथा अन्य सदस्यों का इस कवि सम्मेलन को सफल बनाने के लिए इस वक्ततव्य के साथ कि इस कोरोना संकट के दौर में बेहतर और लोक कल्याणकारी रचनाएं रची जाएंगी। आयोजन में लगभग 90 लेखक, रचनाकार, ,कवि, छात्र तथा मनीषी जुड़े रहे। इस अवसर पर डीसी शर्मा, प्रियंवदा त्यागी, मीनाक्षी टंडन, वैशाली चौहान, ऋत्विक ठाकुर, संजय, बॉबी शर्मा, पल्लवी शर्मा, अनिता ठाकुर, उषा शोना, रितिका ठाकुर तथा स्वाति महाजन आदि मौजूद रहे।
चम्बा ! कला सृजन पाठशाला ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कवि सम्मेलन का आयोजन गूगल मीट के माध्यम से किया। इस कवि सम्मेलन के मुख्य आकर्षण कवि, राष्ट्रवादी चिंतक तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर केएन तिवारी रहे। सर्व प्रथम पाठशाला के अध्यक्ष शरत शर्मा ने प्रोफेसर तिवारी का स्वागत किया । जिसके बाद प्रोफेसर कैलाश नारायण तिवारी ने एक के बाद एक मनमोहक कविताओं का पाठ करके सभी का मन मोह लिया। प्रो तिवारी ने "झंडे की याद में" कविता में देश प्रेम की भावना को उजागर किया। उन्होंने पीढ़ी का संकट कविता में पाश्चात्य सभ्यता और संस्कृति के ऊपर कुठाराघात किया। तिवारी की भोजपुरी कविता "हरखू की धनिया" ने सभी को अवाक कर दिया। इस श्रृंगार रस की कविता में उन्होंने अनेक सामाजिक समस्याओं को भी उठाया।
इसके बाद पाठशाला के वरिष्ठ एवं माननीय सदस्य भूपेंद्र जसरोटिया ने मंच संभाला तथा अपनी मार्मिक कविता ''सच को आँच नहीं'' का पाठ किया । यहां कविता सभी दर्शकों को भाव विभोर कर गई। प्रो. प्रशांत रमण रवि ने प्रोफेसर तिवारी की कविता "कहो वेदना से ना दिल को सतावे" का पाठ किया। जब प्रो. प्रशांत रमण ने इस कविता का गायन किया तो सभी दर्शकों ने कमेंट बॉक्स में वाहवाही से हौंसला बढ़ाया। इस अवसर पर मंच का संचालन राजकीय महाविद्यालय चंबा के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार ने किया।
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उन्होंने तिवारी से भोजपुरी कविता का खड़ी बोली में रूपांतरित करने का विनम्र आग्रह किया। अंत में पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने प्रो. केएन तिवारी तथा अन्य सदस्यों का इस कवि सम्मेलन को सफल बनाने के लिए इस वक्ततव्य के साथ कि इस कोरोना संकट के दौर में बेहतर और लोक कल्याणकारी रचनाएं रची जाएंगी। आयोजन में लगभग 90 लेखक, रचनाकार, ,कवि, छात्र तथा मनीषी जुड़े रहे। इस अवसर पर डीसी शर्मा, प्रियंवदा त्यागी, मीनाक्षी टंडन, वैशाली चौहान, ऋत्विक ठाकुर, संजय, बॉबी शर्मा, पल्लवी शर्मा, अनिता ठाकुर, उषा शोना, रितिका ठाकुर तथा स्वाति महाजन आदि मौजूद रहे।
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