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शिमला , 05 सितंबर [ विशाल सूद ] ! संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 1948 के बाद इतनी भयंकर बारिश देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 450 मिलीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की जा चुकी है, जिसका सीधा असर किसानों और बागवानों पर पड़ा है। इसमें सेब बागवान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। प्रदेश में लगभग 4 से 5 लाख पेटी सेब जगह-जगह सड़कों के बंद होने की वजह से फंसा हुआ है। नेशनल हाईवे भी ठप पड़े हैं और राज्य में करीब 1100 से अधिक सड़कें बंद हैं। उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों से आग्रह किया कि मार्ग बहाली का काम युद्ध स्तर पर किया जाए, क्योंकि बागवान अपनी फसल को मंडियों तक पहुंचाने में असमर्थ हैं। उनका कहना है कि इस बार जो भारी बारिश हुई, उसके लिए बागवान बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। उन्होंने प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कई जगहों पर सड़कें अब भी युद्ध स्तर पर नहीं खोली जा रही हैं। हाल ही में संपन्न मानसून सत्र को लेकर भी उन्होंने नाराजगी जताई और कहा कि सदन में किसी भी नेता ने बागवानों के मुद्दे को प्रमुखता से नहीं उठाया। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की कि जैसे वह सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए लोन लेती है, वैसे ही इस बार हिमाचल प्रदेश की सेब बागवानी, जिसकी आर्थिक हैसियत करीब 5000 करोड़ रुपए की है, को बचाने के लिए भी लोन लेकर बागवानों की आर्थिक मदद की जाए।
शिमला , 05 सितंबर [ विशाल सूद ] ! संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 1948 के बाद इतनी भयंकर बारिश देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 450 मिलीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की जा चुकी है, जिसका सीधा असर किसानों और बागवानों पर पड़ा है। इसमें सेब बागवान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। प्रदेश में लगभग 4 से 5 लाख पेटी सेब जगह-जगह सड़कों के बंद होने की वजह से फंसा हुआ है। नेशनल हाईवे भी ठप पड़े हैं और राज्य में करीब 1100 से अधिक सड़कें बंद हैं।
उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों से आग्रह किया कि मार्ग बहाली का काम युद्ध स्तर पर किया जाए, क्योंकि बागवान अपनी फसल को मंडियों तक पहुंचाने में असमर्थ हैं। उनका कहना है कि इस बार जो भारी बारिश हुई, उसके लिए बागवान बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। उन्होंने प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कई जगहों पर सड़कें अब भी युद्ध स्तर पर नहीं खोली जा रही हैं।
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हाल ही में संपन्न मानसून सत्र को लेकर भी उन्होंने नाराजगी जताई और कहा कि सदन में किसी भी नेता ने बागवानों के मुद्दे को प्रमुखता से नहीं उठाया। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की कि जैसे वह सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए लोन लेती है, वैसे ही इस बार हिमाचल प्रदेश की सेब बागवानी, जिसकी आर्थिक हैसियत करीब 5000 करोड़ रुपए की है, को बचाने के लिए भी लोन लेकर बागवानों की आर्थिक मदद की जाए।
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