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चम्बा ,20 अक्टूबर [ ज्योति ] ! माह नवंबर शुरू होने वाला है और यही उचित समय है किसानों व बागवानों को अपने बागीचों की देखभाल करने का लिहाज़ा बागीचों को तैयार करने के लिए आवश्यक कदम उठाने शुरू करें। प्रभारी व वैज्ञानिक डॉ. राजीव रैणा कृषि विज्ञान केंद्र चंबा ने बताया कि सर्दियों ने आहट देनी शुरू कर दी है। इसलिये किसानों वागबानों को अभी से तैयारियां शुरू करनी पड़ेंगी। सेब के वागबानों को पौधों में सिंचाई एवं कांट छांट का कार्य, संकीर्ण कोण रोगग्रस्त शाखाओं को हटाना होगा ताकि प्रकाश व धूप सब को मिल सके। पौधों के तोलिये बनाना , खरपतवारों को हटाना व गोबर खाद इत्यादि की व्यवस्था करना। पौधों के टहनियां की आवश्यक छांट कांट करने के उपरांत बीमारियुक्त लकड़ियों को इकठ्ठा कर जलाना। उन्होंने कहा कि मुख्य किस्म के पौधों को 33 प्रतिशत परागण किस्मों के साथ लगाना आवश्यक होता है। डॉ. रैणा ने बताया कि कैंकर रोग व कांट छांट करना टूटी शाखाओं को गोबर युक्त पेस्ट से ढकना। उन्होनें बताया सेब हिमाचल प्रदेश के बागबानों व सरकार का मुख्य व्यवसाय व राजस्व का स्त्रोत है। इनके अतिरिक्त अनार, जापानी फल, गुठलीदार फल , कीवी फल, इसी प्रकार आम, लीची, नींबू, प्रजातिय फल अमरूद आदि कि भी अभी से तैयारी करनी होगी। डॉक्टर राजीव ने बताया की बागवानो को फल नर्सरी उत्पादन सम्बंधित कार्य भी इसी महीने में पूरे करने होंगें। इसके साथ-साथ किसानों को बीजका उत्पादन, प्याज हेतु गुणवत्तापूर्ण कंद तैयार करने के लिये पनीरी की रोपाई कर सकते हैं । मूली शलगम बीज वाली फूलगोभी को भी सम्भालने का समय होता है। उन्होंने बताया निचले क्षेत्रों में भी किसानों को भरपूर पैदावार लेने के लिये तैयारी करनी ही होगी तभी अधिक स्वस्थ पैदावार मिल सकेगी। डॉक्टर रैणा ने बताया इस महीने में हम बहुत से काम कर सकते हैं। जैसे नींबू व गलगल का अचार स्कवैश बना सकते है । वहीं मार्मलेड तथा संतरा माल्टा से कैंडी बना सकते हैं। टमाटर से सॉस कैचअप, चटनी व प्यूरी बना सकते हैं। उन्होंने बताया हम सब्जी से अधिक पैसा इन चीजों को बना कर कमा सकते हैं। डॉक्टर रैणा ने बताया नवंबर महीना किसानों बागबानों के लिये एक वरदान ही कहा जा सकता है। जिस में किसानों को बागबानों को मेहनत करनी चाहिये। जिसका लाभ उनको आगे मिलेगा। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
चम्बा ,20 अक्टूबर [ ज्योति ] ! माह नवंबर शुरू होने वाला है और यही उचित समय है किसानों व बागवानों को अपने बागीचों की देखभाल करने का लिहाज़ा बागीचों को तैयार करने के लिए आवश्यक कदम उठाने शुरू करें।
प्रभारी व वैज्ञानिक डॉ. राजीव रैणा कृषि विज्ञान केंद्र चंबा ने बताया कि सर्दियों ने आहट देनी शुरू कर दी है। इसलिये किसानों वागबानों को अभी से तैयारियां शुरू करनी पड़ेंगी। सेब के वागबानों को पौधों में सिंचाई एवं कांट छांट का कार्य, संकीर्ण कोण रोगग्रस्त शाखाओं को हटाना होगा ताकि प्रकाश व धूप सब को मिल सके। पौधों के तोलिये बनाना , खरपतवारों को हटाना व गोबर खाद इत्यादि की व्यवस्था करना। पौधों के टहनियां की आवश्यक छांट कांट करने के उपरांत बीमारियुक्त लकड़ियों को इकठ्ठा कर जलाना।
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उन्होंने कहा कि मुख्य किस्म के पौधों को 33 प्रतिशत परागण किस्मों के साथ लगाना आवश्यक होता है। डॉ. रैणा ने बताया कि कैंकर रोग व कांट छांट करना टूटी शाखाओं को गोबर युक्त पेस्ट से ढकना। उन्होनें बताया सेब हिमाचल प्रदेश के बागबानों व सरकार का मुख्य व्यवसाय व राजस्व का स्त्रोत है। इनके अतिरिक्त अनार, जापानी फल, गुठलीदार फल , कीवी फल, इसी प्रकार आम, लीची, नींबू, प्रजातिय फल अमरूद आदि कि भी अभी से तैयारी करनी होगी। डॉक्टर राजीव ने बताया की बागवानो को फल नर्सरी उत्पादन सम्बंधित कार्य भी इसी महीने में पूरे करने होंगें। इसके साथ-साथ किसानों को बीजका उत्पादन, प्याज हेतु गुणवत्तापूर्ण कंद तैयार करने के लिये पनीरी की रोपाई कर सकते हैं । मूली शलगम बीज वाली फूलगोभी को भी सम्भालने का समय होता है।
उन्होंने बताया निचले क्षेत्रों में भी किसानों को भरपूर पैदावार लेने के लिये तैयारी करनी ही होगी तभी अधिक स्वस्थ पैदावार मिल सकेगी। डॉक्टर रैणा ने बताया इस महीने में हम बहुत से काम कर सकते हैं। जैसे नींबू व गलगल का अचार स्कवैश बना सकते है । वहीं मार्मलेड तथा संतरा माल्टा से कैंडी बना सकते हैं। टमाटर से सॉस कैचअप, चटनी व प्यूरी बना सकते हैं। उन्होंने बताया हम सब्जी से अधिक पैसा इन चीजों को बना कर कमा सकते हैं।
डॉक्टर रैणा ने बताया नवंबर महीना किसानों बागबानों के लिये एक वरदान ही कहा जा सकता है। जिस में किसानों को बागबानों को मेहनत करनी चाहिये। जिसका लाभ उनको आगे मिलेगा।
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