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चम्बा ! कृषि सुधार बिल के नाम पर देश के अन्नदाताओं को केंद्र की एनडीए सरकार भ्रमित कर रही है। वहीं हिमाचल प्रदेश व हरियाणा की भाजपा शासित सरकारें भी इस भ्रमित कानून का समर्थन करके किसानों के साथ अन्याय करने मे बराबर भागीदार बन रही हैं। चम्बा मे यह ब्यान जारी करते हुए ब्लाक कांग्रेस कमेटी चम्बा के अध्यक्ष करतार सिंह ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हर समय देश के इन अन्नदाताओं के समर्थन मे हर जगह खडी़ है। उन्होने कहा कि दिल्ली के साथ लगते सिंघु बार्डर पर बर्बरता पूर्ण आंसू गैस के गोले छोडें जाने की घटना केंद्र सरकार के दमनकारी रवैए को दर्शाती है। उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश , पंजाब पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र जहाँ इस कानून का बहिष्कार हो रहा है तो भाजपा शासित प्रदेशों मे इस कानून को केंद्र सरकार के दबाव मे किसान हितेषी बता कर देश के किसान संगठनों को भी दो धडो़ं मे बाटनें की जो कोशिश की जा रही है इससे आने वाले समय मे देश को काफी नुकसान होने की पूर्ण संभावना है। इस कारण देश मे कृषि संकट गहरा सकता है। उन्होने कहा कि किसान बस इतनी सी मांग कर रहे है कि विभिन्न कृषि फसलों के अलग अलग समर्थन मूल्यों को इस बिल मे शामिल करके संशोधित किया जाना चाहिए । जिससे किसानों के हितों की रक्षा हो व देश के अन्नदाताओं को संघर्ष के रास्ते को छोडकर अपने अपने भविष्य को समृद्ध बनाने का अवसर मिले ।
चम्बा ! कृषि सुधार बिल के नाम पर देश के अन्नदाताओं को केंद्र की एनडीए सरकार भ्रमित कर रही है। वहीं हिमाचल प्रदेश व हरियाणा की भाजपा शासित सरकारें भी इस भ्रमित कानून का समर्थन करके किसानों के साथ अन्याय करने मे बराबर भागीदार बन रही हैं। चम्बा मे यह ब्यान जारी करते हुए ब्लाक कांग्रेस कमेटी चम्बा के अध्यक्ष करतार सिंह ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी हर समय देश के इन अन्नदाताओं के समर्थन मे हर जगह खडी़ है।
उन्होने कहा कि दिल्ली के साथ लगते सिंघु बार्डर पर बर्बरता पूर्ण आंसू गैस के गोले छोडें जाने की घटना केंद्र सरकार के दमनकारी रवैए को दर्शाती है। उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश , पंजाब पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र जहाँ इस कानून का बहिष्कार हो रहा है तो भाजपा शासित प्रदेशों मे इस कानून को केंद्र सरकार के दबाव मे किसान हितेषी बता कर देश के किसान संगठनों को भी दो धडो़ं मे बाटनें की जो कोशिश की जा रही है इससे आने वाले समय मे देश को काफी नुकसान होने की पूर्ण संभावना है।
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इस कारण देश मे कृषि संकट गहरा सकता है। उन्होने कहा कि किसान बस इतनी सी मांग कर रहे है कि विभिन्न कृषि फसलों के अलग अलग समर्थन मूल्यों को इस बिल मे शामिल करके संशोधित किया जाना चाहिए । जिससे किसानों के हितों की रक्षा हो व देश के अन्नदाताओं को संघर्ष के रास्ते को छोडकर अपने अपने भविष्य को समृद्ध बनाने का अवसर मिले ।
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