- विज्ञापन (Article Top Ad) -
चम्बा ! भले ही आज की युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति की से कोई सरोकार नहीं बावजूद इसके आज भी जिले में कोई भी शुभ कार्य करना हो तो, सबसे पहले भगवान शिव के न्वाले का आयोजन किया ही जाता है। आज भी पंचायत अठलूंई के देवी सिंह अपने सहयोगियों के साथ रामायण का पाठ कर व भजन कीर्तन कर लोगों को अपनी पुरानी परंपरा जिन्दा रखने में बर्षो से लगे हैं। इन शिव भगतों का मानना है कि जीवन की शुरुआत भी भगवान के चरणों से हुई है और धरती पर पैदा हुए किसी भी प्राणी का अंत भी भगवान की इच्छा से ही होगा इसलिए मानव को अपने अच्छे कर्मो को करते ही रहना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में लोगों के घरो में जा-जा कर भजन करते यह लोग खुद भी ग्रामीण है पर इन सर्दियों के दिनों में किसी के घर में रामायण का पाठ करना,शिवजी भगवान का नवाला करना बड़ा ही महत्ता रखता है। गांव में आज भी यह प्रचलन जारी है कि अगर किसी के घर में भगवान की स्तुति होती हो तो सभी ग्रामीण लोग उस घर में पहुंच जाते है जंहा यह भगवान शिवजी का नवाला,या फिर प्रभु श्री राम की रामायण चल रही हो। और सारी रात यह सभी ग्रामीण लोग इन शिव भगतों के साथ रामायण का गुणगान करते है। आज के दौर में यह प्राचीन संस्कृति इन युवाओ से कोसों दूर हो चली गई हो पर गांव में इन लोगों ने दूसरे लोगों के घर घर में जाकर इस लुप्त होती इस संस्कृति को संजोने का काम जरूर कर रहे है। लिहल परगना के संनका गाँव मे रामायण के साथ सतसंग करने पंहुचे यह शिव भगत सारी रात रामायण पाठ कर भजन कीर्तन कर चुकने के बाद देवी सिंह व भगत राम ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति के साथ साथ कोई सरोकार नहीं रखती फिर भी लिहल के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी अपनी रीति अनुसार घर में किसी भी शुभ अवसर पर घर में रामायण करने वालों को बुला कर सतसंग करवाते है। उन्होंने बताया कि अपनी संस्कृति के बिना कोई भी समाज आगे नहीं बढ सकता.युवा पीढ़ी को आगे आकर अपनी बचाने का प्रयास करना चाहिए.आज के समय में रामायण का पाठ भटके हुए समाज को संजीवनी का काम कर सकती है.हमें आने वाली पीढी़ को भी अपने पवित्र ग्रंथो की जानकारी देनी चाहिए।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -