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बददी ! ट्रक संचालक कृष्ण कौशल ने कहा कि बीबीएन में चंद उद्योगपतियों के मनमानी व तानाशाही रवैये के चलते तीन दशक पुराने रिश्ते में खटास आई है। जबकि ट्रक यूनियन ने बीबीएन में उद्योग को विकसित करने में अपना पूरा सहोयग हमेशा किया है। अब इतने साल के बाद उद्योगपतियों को ट्रक संचालकों का भाड़ा अखरने लगा है। उन्होंने प्रेस में जारी ब्यान में कहा कि तीन दशक पहले जैसे ही उद्योग आए तो लोगों को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप में रोजगार मिला। यहां के लोगों की जमीन औद्योगिक क्षेत्र में जाने के बाद लोगों ने रोजगार के लिए ट्रक खरीद लिए। यह काम कम पढ़े लिखे लोग भी कर सकते है। जिससे उन लोगों को भी रोजगार मिलता रहा जिनके पास कंपनियों में काम करने के लिए पर्याप्त योग्यता नहीं थी। ट्रक यूनियन ने खराब समय में भी उद्योग संघ का साथ दिया। कोराना काल में लॉक डाउन लगने पर जहां ट्रक संचालकों के पास ड्राईवर काम छोड़ कर चले गए थे तब भी उद्योगों का काम बंद नहीं होने दिया। यही नही ंकई बार मुसीबत के समय में ट्रक यूनियन उद्योगों के काम आई है। कृष्ण कौशल ने कहा कि यही नहीं भाजपा व कांग्रेस सरकारों ने औद्योगिक पैकेज देकर उद्योगपतियंों को सहुलियतें दी। जिसका समय- समय पर उद्योगपति फायदा लेते रहे। लेकिन उस समय ट्रक संचालकों ने कभी भी इनका विरोध नहीं किया। ट्रक यूनियन ने उद्योग संघ के साथ एमओयू साईन किया है जिसके तहत अगर एक रूपये डीजल के दाम बढ़ते है तो किराया 35 पैसे बढ़ा दिया जाएगा और यही नहीं अगर कम होता है तो ट्रक यूनियन भाड़ा कम करने के लिए भी तत्पर रहती है। ट्रक संचालक ने कहा कि कुछ उद्योग पति केवल मात्र अपना भला चाहते है और अपने फायदे के लिए यहां के हजारों लोगों को मिले रोजगार को छिनना चाहते है। जबकि अब इन लोगों की जमीने बिक चुकी और केवल मात्र अपने ट्रकों पर आधारित है। प्रदेश सरकार को चाहिए की जनता के हित को देखते हुए इस मामले में आपसी सहमति से सुलझाया जाए।
बददी ! ट्रक संचालक कृष्ण कौशल ने कहा कि बीबीएन में चंद उद्योगपतियों के मनमानी व तानाशाही रवैये के चलते तीन दशक पुराने रिश्ते में खटास आई है। जबकि ट्रक यूनियन ने बीबीएन में उद्योग को विकसित करने में अपना पूरा सहोयग हमेशा किया है। अब इतने साल के बाद उद्योगपतियों को ट्रक संचालकों का भाड़ा अखरने लगा है।
उन्होंने प्रेस में जारी ब्यान में कहा कि तीन दशक पहले जैसे ही उद्योग आए तो लोगों को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप में रोजगार मिला। यहां के लोगों की जमीन औद्योगिक क्षेत्र में जाने के बाद लोगों ने रोजगार के लिए ट्रक खरीद लिए। यह काम कम पढ़े लिखे लोग भी कर सकते है। जिससे उन लोगों को भी रोजगार मिलता रहा जिनके पास कंपनियों में काम करने के लिए पर्याप्त योग्यता नहीं थी। ट्रक यूनियन ने खराब समय में भी उद्योग संघ का साथ दिया। कोराना काल में लॉक डाउन लगने पर जहां ट्रक संचालकों के पास ड्राईवर काम छोड़ कर चले गए थे तब भी उद्योगों का काम बंद नहीं होने दिया। यही नही ंकई बार मुसीबत के समय में ट्रक यूनियन उद्योगों के काम आई है।
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कृष्ण कौशल ने कहा कि यही नहीं भाजपा व कांग्रेस सरकारों ने औद्योगिक पैकेज देकर उद्योगपतियंों को सहुलियतें दी। जिसका समय- समय पर उद्योगपति फायदा लेते रहे। लेकिन उस समय ट्रक संचालकों ने कभी भी इनका विरोध नहीं किया। ट्रक यूनियन ने उद्योग संघ के साथ एमओयू साईन किया है जिसके तहत अगर एक रूपये डीजल के दाम बढ़ते है तो किराया 35 पैसे बढ़ा दिया जाएगा और यही नहीं अगर कम होता है तो ट्रक यूनियन भाड़ा कम करने के लिए भी तत्पर रहती है।
ट्रक संचालक ने कहा कि कुछ उद्योग पति केवल मात्र अपना भला चाहते है और अपने फायदे के लिए यहां के हजारों लोगों को मिले रोजगार को छिनना चाहते है। जबकि अब इन लोगों की जमीने बिक चुकी और केवल मात्र अपने ट्रकों पर आधारित है। प्रदेश सरकार को चाहिए की जनता के हित को देखते हुए इस मामले में आपसी सहमति से सुलझाया जाए।
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