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शिमला ! प्रदेश सरकार राज्य के लिए एक एकीकृत ड्रग प्रिवेंशन नीति तैयार करेगी। यह नीति राज्य में मादक पदार्थों की रोकथाम, उपचार, प्रबन्धन और पुनर्वास/सोशल/इंटीग्रेशन कार्यक्रम के लिए होगी। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां आयोजित हिमाचल प्रदेश नशा निवारण बोर्ड की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए पुलिस, मीडिया और नशा निवारण बोर्ड के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ड्रग पेडलर्स पड़ोसी राज्यों के हैं। उन्होंने कहा कि यह उनके द्वारा शुरू की गई पहल से ही संभव हुआ है कि इस क्षेत्र में ड्रग्स के खतरे की जांच के लिए एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा के पंचकुला में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि सभी मुख्यमंत्री और अन्य उत्तरी राज्यों के प्रतिनिधि मादक पदार्थों की तस्करी के बारे में जानकारी सांझा करने के लिए सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि एक अन्य बैठक की मेजबानी पंजाब ने की, जिसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री ने भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि यह पहल ड्रग्स के खतरे को रोकने में एक शानदार कदम साबित हुई है। जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य में छः नशामुक्ति केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण अपराध दर में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में जरूरतमंदों को बेहतर सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए नशा और नशामुक्ति केंद्रों के लिए पहले से ही कार्यरत पुनर्वास केंद्रों को विनियमित और नियंत्रित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने पर भी विचार करेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में नशीली दवाओं के उत्पादन की मात्रा और स्वरूप, साइकोट्राॅपिक पदार्थों सहित प्रिक्यूरसोरस के विचलन और प्रदेश में मादक पदार्थों के सेवन के परिमाण को जानने के लिए आधिकारिक सर्वेक्षण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य वार ड्रग जागरूकता अभियान/संवेदीकरण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, जिसमें पंचायती राज संस्थानों, शहरी स्थानीय निकायों, एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस स्वयंसेवकों और महिला मंडलों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस के मौजूदा नारकोटिक्स कंट्रोल सेल को इस खतरे से निपटने के लिए सुदृढ़ किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में ड्रग की समस्या से निपटने के लिए कृत संकल्प है, क्योंकि यह राज्य और देश में एक गंभीर सामाजिक समस्या है। उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के दुरूपयोग की जांच करने की दृष्टि से राज्य सरकार ने एक व्यापक योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का नशीली दवाओं के खिलाफ रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा उन दवाओं पर ध्यान केन्द्रित करता है, जो मूल रूप से भांग और अफीम जैसे पौधों से प्राप्त होती हैं। राज्य सरकार ने उन पौधों के उन्मूलन के लिए कड़े कदम उठाए है, जिनसे ड्रग्स का उत्पादन होता है। ग्राम पंचायत, वन और अन्य सरकारी भूमि सहित सभी भूमि पर भांग/अफीम के उन्मूलन के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
शिमला ! प्रदेश सरकार राज्य के लिए एक एकीकृत ड्रग प्रिवेंशन नीति तैयार करेगी। यह नीति राज्य में मादक पदार्थों की रोकथाम, उपचार, प्रबन्धन और पुनर्वास/सोशल/इंटीग्रेशन कार्यक्रम के लिए होगी। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां आयोजित हिमाचल प्रदेश नशा निवारण बोर्ड की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए पुलिस, मीडिया और नशा निवारण बोर्ड के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में ड्रग पेडलर्स पड़ोसी राज्यों के हैं। उन्होंने कहा कि यह उनके द्वारा शुरू की गई पहल से ही संभव हुआ है कि इस क्षेत्र में ड्रग्स के खतरे की जांच के लिए एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा के पंचकुला में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि सभी मुख्यमंत्री और अन्य उत्तरी राज्यों के प्रतिनिधि मादक पदार्थों की तस्करी के बारे में जानकारी सांझा करने के लिए सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि एक अन्य बैठक की मेजबानी पंजाब ने की, जिसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री ने भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि यह पहल ड्रग्स के खतरे को रोकने में एक शानदार कदम साबित हुई है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य में छः नशामुक्ति केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण अपराध दर में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में जरूरतमंदों को बेहतर सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए नशा और नशामुक्ति केंद्रों के लिए पहले से ही कार्यरत पुनर्वास केंद्रों को विनियमित और नियंत्रित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने पर भी विचार करेगी।
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उन्होंने कहा कि राज्य में नशीली दवाओं के उत्पादन की मात्रा और स्वरूप, साइकोट्राॅपिक पदार्थों सहित प्रिक्यूरसोरस के विचलन और प्रदेश में मादक पदार्थों के सेवन के परिमाण को जानने के लिए आधिकारिक सर्वेक्षण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य वार ड्रग जागरूकता अभियान/संवेदीकरण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, जिसमें पंचायती राज संस्थानों, शहरी स्थानीय निकायों, एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस स्वयंसेवकों और महिला मंडलों के निर्वाचित प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस के मौजूदा नारकोटिक्स कंट्रोल सेल को इस खतरे से निपटने के लिए सुदृढ़ किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में ड्रग की समस्या से निपटने के लिए कृत संकल्प है, क्योंकि यह राज्य और देश में एक गंभीर सामाजिक समस्या है। उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के दुरूपयोग की जांच करने की दृष्टि से राज्य सरकार ने एक व्यापक योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का नशीली दवाओं के खिलाफ रणनीति का एक प्रमुख हिस्सा उन दवाओं पर ध्यान केन्द्रित करता है, जो मूल रूप से भांग और अफीम जैसे पौधों से प्राप्त होती हैं। राज्य सरकार ने उन पौधों के उन्मूलन के लिए कड़े कदम उठाए है, जिनसे ड्रग्स का उत्पादन होता है। ग्राम पंचायत, वन और अन्य सरकारी भूमि सहित सभी भूमि पर भांग/अफीम के उन्मूलन के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
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