- विज्ञापन (Article Top Ad) -
शिमला , 30 अक्टूबर [ विशाल सूद ] ! बीते दिनों हिमाचल प्रदेश में सरकारी फरमान जारी हुआ जिसके तहत कहा गया है कि प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में काम कर रहे कर्मचारियों को दफ्तर फॉर्मल कपड़ों में पहुंचना होगा. इस दौरान जींस और टी-शर्ट पहनने पर खासतौर से मनाही की बात की गई. अब इसको लेकर अब सचिवालय कर्मचारी महासंघ ने कहा है कि कर्मचारी इसके लिए तैयार है लेकिन उन्हें इसके लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कर्मचारियों के साथ-साथ अधिकारियों पर भी इस नियम को लागू करने की बात कही है. हिमाचल प्रदेश सेवाएं कर्मचारी संगठन के प्रधान संजीव शर्मा ने कहा कि पहले भी ड्रेस कोड को लेकर कुछ ऐसा ही फ़रमान जारी किया गया था. तब भी कर्मचारियों ने ट्राउजर सिलवाए और जीन्स टीशर्ट पहन कर कार्यालय आना बंद कर दिया था. मगर उस वक्त कुछ अधिकारियों ने ही जीन्स पहन कर आना शुरू कर दीया. जिसके बाद कर्मचारियों ने भी इसका अनुसरण करना शुरू किया। उन्होने कहा की सरकार अगर यह फरमान लागू करना चाहती है, तो उन्हें कम से कम दो महीनों का समय दिया जाए. ताकि कर्मचारी ज़रूरी इंतजामात कर सके. इसके आलावा उन्होने कहा की नियम केवल छोटे कर्मचारियों पर ही लागु न हो अधिकारियों पर भी लागू किया जाए. वहीं संजीव शर्मा ने कहा कि इससे इतर अगर सरकार ड्रेस कोड रखना चाहती है तो इसके लिए भी कर्मचारी तैयार है. लेकिन इसके लिए उन्हें भत्ता दिया जाए। उन्होने कहा की प्रदेश में सर्दियां रहती है और कम से कम दो वर्दियां आवश्यक हो जाती है. ऐसे में वर्दी का खर्चा है 25000 तक पहुंच जाएगा, जिसका बोझ कर्मचारियों पर डालना ठीक नहीं है. लेकिन अगर सरकार केवल जींस और टीशर्ट पहनने की ही मनाही करती है, तो इसके लिए कर्मचारियों को केवल कुछ समय देना चाहिए।
शिमला , 30 अक्टूबर [ विशाल सूद ] ! बीते दिनों हिमाचल प्रदेश में सरकारी फरमान जारी हुआ जिसके तहत कहा गया है कि प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में काम कर रहे कर्मचारियों को दफ्तर फॉर्मल कपड़ों में पहुंचना होगा. इस दौरान जींस और टी-शर्ट पहनने पर खासतौर से मनाही की बात की गई. अब इसको लेकर अब सचिवालय कर्मचारी महासंघ ने कहा है कि कर्मचारी इसके लिए तैयार है लेकिन उन्हें इसके लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कर्मचारियों के साथ-साथ अधिकारियों पर भी इस नियम को लागू करने की बात कही है.
हिमाचल प्रदेश सेवाएं कर्मचारी संगठन के प्रधान संजीव शर्मा ने कहा कि पहले भी ड्रेस कोड को लेकर कुछ ऐसा ही फ़रमान जारी किया गया था. तब भी कर्मचारियों ने ट्राउजर सिलवाए और जीन्स टीशर्ट पहन कर कार्यालय आना बंद कर दिया था. मगर उस वक्त कुछ अधिकारियों ने ही जीन्स पहन कर आना शुरू कर दीया. जिसके बाद कर्मचारियों ने भी इसका अनुसरण करना शुरू किया।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
उन्होने कहा की सरकार अगर यह फरमान लागू करना चाहती है, तो उन्हें कम से कम दो महीनों का समय दिया जाए. ताकि कर्मचारी ज़रूरी इंतजामात कर सके. इसके आलावा उन्होने कहा की नियम केवल छोटे कर्मचारियों पर ही लागु न हो अधिकारियों पर भी लागू किया जाए. वहीं संजीव शर्मा ने कहा कि इससे इतर अगर सरकार ड्रेस कोड रखना चाहती है तो इसके लिए भी कर्मचारी तैयार है. लेकिन इसके लिए उन्हें भत्ता दिया जाए।
उन्होने कहा की प्रदेश में सर्दियां रहती है और कम से कम दो वर्दियां आवश्यक हो जाती है. ऐसे में वर्दी का खर्चा है 25000 तक पहुंच जाएगा, जिसका बोझ कर्मचारियों पर डालना ठीक नहीं है. लेकिन अगर सरकार केवल जींस और टीशर्ट पहनने की ही मनाही करती है, तो इसके लिए कर्मचारियों को केवल कुछ समय देना चाहिए।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -