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राजगढ़ ! करौना महामारी के कारण जहा पूरे देश मे लाक डाऊन है और चारौ और सन्नाटा परसा हुआ है वही यहा लोगो ने बैशाखी का पर्व अपने घरो मे ही रह कर पूरे पारंपरिक अंदाज मे समाजिक दूरी का पूरा ध्यान रखते हुये मनाया वैसे तो यहा इस पर्व का शुभारंभ ग्राम देवता के मंदिर मे पारंपरिक पूजा के साथ होता था मगर करौना महामारी के कारण सभी मंदिरो को बंद किया गया है ! इस लिए लोगो ने अपने घरो से ही अपने ग्राम देवता की पूजा की यहा बैशाखी के दिन लोगो जंगली फूल बराश जो इन दिनो खिलता है इसकी माला एक विशैष प्रकार के घास मे बना देवता के मंदिर मे लगाते थे इसे स्थानीय भाषा मे सतरेवडी कहा जाता है इस बार लोगो ने इस सतरेवडी की माला को अपने घरो के दरवाजे मे ही लगा कर बैशाखी का शुभारंभ किया और घरो मे पारंपरिक व्यजन सिडकू ,अशकली ,पटाडे,लुश्के ,तेलपाकी आदि बना कर इसका भरपूर आंनद लिया ।।
राजगढ़ ! करौना महामारी के कारण जहा पूरे देश मे लाक डाऊन है और चारौ और सन्नाटा परसा हुआ है वही यहा लोगो ने बैशाखी का पर्व अपने घरो मे ही रह कर पूरे पारंपरिक अंदाज मे समाजिक दूरी का पूरा ध्यान रखते हुये मनाया वैसे तो यहा इस पर्व का शुभारंभ ग्राम देवता के मंदिर मे पारंपरिक पूजा के साथ होता था मगर करौना महामारी के कारण सभी मंदिरो को बंद किया गया है !
इस लिए लोगो ने अपने घरो से ही अपने ग्राम देवता की पूजा की यहा बैशाखी के दिन लोगो जंगली फूल बराश जो इन दिनो खिलता है इसकी माला एक विशैष प्रकार के घास मे बना देवता के मंदिर मे लगाते थे इसे स्थानीय भाषा मे सतरेवडी कहा जाता है इस बार लोगो ने इस सतरेवडी की माला को अपने घरो के दरवाजे मे ही लगा कर बैशाखी का शुभारंभ किया और घरो मे पारंपरिक व्यजन सिडकू ,अशकली ,पटाडे,लुश्के ,तेलपाकी आदि बना कर इसका भरपूर आंनद लिया ।।
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