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मंडी ! दादी के नुक्से तो सुना होगा आपने आज तक उनका भलीभांति प्रयोग भी किया होगा आपने पर आज हम आपको मिलाएंगे दादा नरपत शर्मा जिनके पास है हर दर्द का मर्ज जानिए कैसे ! मंडी जिला के करसोग उपमंडल के कुन्नू गाव निवासी नरपत शर्मा क्षेत्र में विशेष तौर पर स्थानीय बोली में कहे जाने वाली कनकेर, चस्स, नस पलटना, आधे सिर की दर्द और दांत दर्द का घरेलू उपचार करते हैं। नरपत शर्मा अपने गांव के मुख्य मंदिर नाग मंदिर कुन्नू में मुख्य मेहता के रूप में गत 65 वर्षों से कार्य कर रहे हैं और मसाज करने की देन को नाग धमुनी कुन्नू द्वारा दैवीय कृपा मानते हैं। नरपत शर्मा ने करसोग-सुंदरनगर सड़क बनाने में भी अपनी भूमिका निभाई है।नरपत शर्मा के पास भिन्न-भिन्न रोगों के लिए अलग-अलग विद्याएं हैं और ये विद्याएं दो से तीन बार करनी पड़ती है। इसके बाद रोगी बिल्कुल स्वस्थ हो जाते हैं। उन्होंने आज तक हजारों लोगों को ठीक कर दिया है। नरपत शर्मा को क्षेत्र के लोगों से अत्यधिक लगाव होने के कारण इस अवस्था में भी यह कार्य करते हैं। इनका जन्म एक किसान के घर में हुआ। उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा में ही लगाया। नरपत शर्मा का कहना है इस प्रकार रोगों का ईलाज इन विद्याओं के माध्यम से बचपन से ही करते आ रहे हैं।
मंडी ! दादी के नुक्से तो सुना होगा आपने आज तक उनका भलीभांति प्रयोग भी किया होगा आपने पर आज हम आपको मिलाएंगे दादा नरपत शर्मा जिनके पास है हर दर्द का मर्ज जानिए कैसे ! मंडी जिला के करसोग उपमंडल के कुन्नू गाव निवासी नरपत शर्मा क्षेत्र में विशेष तौर पर स्थानीय बोली में कहे जाने वाली कनकेर, चस्स, नस पलटना, आधे सिर की दर्द और दांत दर्द का घरेलू उपचार करते हैं।
नरपत शर्मा अपने गांव के मुख्य मंदिर नाग मंदिर कुन्नू में मुख्य मेहता के रूप में गत 65 वर्षों से कार्य कर रहे हैं और मसाज करने की देन को नाग धमुनी कुन्नू द्वारा दैवीय कृपा मानते हैं। नरपत शर्मा ने करसोग-सुंदरनगर सड़क बनाने में भी अपनी भूमिका निभाई है।नरपत शर्मा के पास भिन्न-भिन्न रोगों के लिए अलग-अलग विद्याएं हैं और ये विद्याएं दो से तीन बार करनी पड़ती है। इसके बाद रोगी बिल्कुल स्वस्थ हो जाते हैं।
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उन्होंने आज तक हजारों लोगों को ठीक कर दिया है। नरपत शर्मा को क्षेत्र के लोगों से अत्यधिक लगाव होने के कारण इस अवस्था में भी यह कार्य करते हैं। इनका जन्म एक किसान के घर में हुआ। उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा में ही लगाया। नरपत शर्मा का कहना है इस प्रकार रोगों का ईलाज इन विद्याओं के माध्यम से बचपन से ही करते आ रहे हैं।
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