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नूरपुर ! स्वदेशी कामधेनु गौशाला गांव गानोह तहसील नूरपुर में कॉलेज ऑफ़ वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज पालमपुर और एग्रीकल्चर स्किल कौंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा डेरी फार्मिंग इंट्रप्रनरशिप पर सेमिनार लगाया गया जिसमें डॉक्टर पांडा डॉ मनोज और 18 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया ! प्रशिक्षु हिमाचल के अलग-अलग जिलों से आए थे ! गौशाला संचालक राजेश डोगरा एवं ऋषि डोगरा ने बताया कि गौ पालन को कैसे व्यवसाय के रूप में किया जा सकता है ! उन्होंने बतया कि वे पिछले 3 वर्षों से गौ पालन कर रहे हैं उन्होंने बताया कि साहिवाल एवं राठी गाय हिमाचल के वातावरण के हिसाब से कारगर सिद्ध हुई है ! सेमिनार में पहुंचे प्रशिक्षुओं गौशाला का भ्रमण कराया गया तथा गौ पालन की विभिन्न तकनीकों से अवगत कराया जिसमें की काऊ मैनेजमेंट एंड फीड मैनेजमेंट मुख्य रूप से जरूरी है उन्होंने प्रशिक्षकों को देसी नस्ल की साहिवाल गाय की पहचान ,गोमूत्र और गोबर से बनने वाले पदार्थों की प्रक्रिया से भी अवगत कराया ! ऋषि डोगरा ने बातचीत में बताया कि उनकी गौशाला हिमाचल की रोल मॉडल के रूप में उभर रही है और अन्य गौ पालको को गौ पालन और उन से बनने वाले विभिन्न पदार्थों को किस तकनीक और कैसे बनाया जाए इसके लिए वे सब का सहयोग करना चाहते हैं ! किसानों का उत्पाद बाजार में अचे मूल्यों पर बिके इसके लिए भी उनकी गौशाला उनकी मदद करेगी ! उन्होंने बताया कि जल्दी अपनी गौशाला में स्टार्टअप ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑन डेयरी फार्मिंग सरकार की मदद शुरू करेंगे !
नूरपुर ! स्वदेशी कामधेनु गौशाला गांव गानोह तहसील नूरपुर में कॉलेज ऑफ़ वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज पालमपुर और एग्रीकल्चर स्किल कौंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा डेरी फार्मिंग इंट्रप्रनरशिप पर सेमिनार लगाया गया जिसमें डॉक्टर पांडा डॉ मनोज और 18 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया ! प्रशिक्षु हिमाचल के अलग-अलग जिलों से आए थे ! गौशाला संचालक राजेश डोगरा एवं ऋषि डोगरा ने बताया कि गौ पालन को कैसे व्यवसाय के रूप में किया जा सकता है ! उन्होंने बतया कि वे पिछले 3 वर्षों से गौ पालन कर रहे हैं उन्होंने बताया कि साहिवाल एवं राठी गाय हिमाचल के वातावरण के हिसाब से कारगर सिद्ध हुई है !
सेमिनार में पहुंचे प्रशिक्षुओं गौशाला का भ्रमण कराया गया तथा गौ पालन की विभिन्न तकनीकों से अवगत कराया जिसमें की काऊ मैनेजमेंट एंड फीड मैनेजमेंट मुख्य रूप से जरूरी है उन्होंने प्रशिक्षकों को देसी नस्ल की साहिवाल गाय की पहचान ,गोमूत्र और गोबर से बनने वाले पदार्थों की प्रक्रिया से भी अवगत कराया ! ऋषि डोगरा ने बातचीत में बताया कि उनकी गौशाला हिमाचल की रोल मॉडल के रूप में उभर रही है और अन्य गौ पालको को गौ पालन और उन से बनने वाले विभिन्न पदार्थों को किस तकनीक और कैसे बनाया जाए इसके लिए वे सब का सहयोग करना चाहते हैं ! किसानों का उत्पाद बाजार में अचे मूल्यों पर बिके इसके लिए भी उनकी गौशाला उनकी मदद करेगी ! उन्होंने बताया कि जल्दी अपनी गौशाला में स्टार्टअप ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑन डेयरी फार्मिंग सरकार की मदद शुरू करेंगे !
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