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शिमला, 25 सितम्बर [ विशाल सूद ] ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में आज पंडित दीन दयाल उपाध्याय की 109वीं जयंती के अवसर पर ‘अंत्योदय दिवस’ विशेष समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के विद्वानों, शोधार्थियों, अध्येताओं तथा स्थानीय बुद्धिजीवियों की उपस्थिति में एक संगोष्ठी एवं व्याख्यान आयोजित किए गए। कार्यक्रम का शुभारंभ पूल थिएटर में मंगलाचरण से हुआ, जिसके उपरांत दीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि अर्पण द्वारा पंडित दीन दयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि दी गई। प्रारंभ में विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर उमा वैद्य, टैगोर अध्येता, ने अपने वक्तव्य में पंडित उपाध्याय की दर्शन परंपरा को भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना के साथ गहराई से जोड़ते हुए कहा कि “दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित दर्शन ऐसी पीढ़ियों का निर्माण करेगा जो शैक्षिक रूप से प्रखर, सामाजिक रूप से सजग, राजनीतिक रूप से संतुलित, आर्थिक रूप से सुदृढ़, आध्यात्मिक रूप से प्रशिक्षित और नैतिक दृष्टि से उत्कृष्ट होंगी।” उन्होंने इस अवसर पर पंडित उपाध्याय को नमन करते हुए अपनी आत्म-रचित संस्कृत रचना भी प्रस्तुत की: “द्यालूयोः इह दिनेभ्यः उपाध्यायश्च नामतः ।सदा हितार्थं राष्ट्रस्य सुथिर्यत्नपरायणः ॥मानवस्य च एकात्म्यं येनोद्धोषितं सदा ।नमस्तस्मै नमस्तस्मै नमस्तस्मै नमो नमः ॥” इसका भावार्थ प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी का जीवन और दर्शन सदैव राष्ट्रहित में समर्पित रहा तथा एकात्म मानववाद की उनकी उद्घोषणा मानव मात्र को एक सूत्र में बाँधने वाली है। मुख्य वक्ता प्रोफेसर हीरामन तिवारी, अध्यक्ष, ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली एवं निदेशक, आईसीएसएसआर उत्तरी क्षेत्र केंद्र, ने ‘एकात्म मानववाद’ की अवधारणा को विस्तार से प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी का दर्शन केवल सैद्धांतिक विमर्श तक सीमित नहीं है, बल्कि वह राष्ट्र के समग्र विकास के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत है, जिसमें समाज के अंतिम व्यक्ति तक सुख-सुविधा और समान अवसर पहुँचाने की दृष्टि निहित है। अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्थान के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु कुमार चतुर्वेदी ने अंत्योदय की अवधारणा को संस्थान की शैक्षणिक गतिविधियों और सामाजिक उत्तरदायित्वों से जोड़ते हुए कहा कि भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान जैसे केंद्रों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसी वैचारिक परंपराओं का संरक्षण और संवर्धन करें, जो समाज और राष्ट्र को दिशा प्रदान करती हैं। धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के सचिव श्री मेहर चन्द नेगी ने किया। कार्यक्रम का संचालन जन संपर्क अधिकारी अखिलेश पाठक ने किया।यह आयोजन न केवल पंडित दीन दयाल उपाध्याय के विचारों को स्मरण करने का अवसर बना, बल्कि संस्थान के विद्वत समुदाय के लिए प्रेरणा एवं विचार-विमर्श का मंच भी सिद्ध हुआ।
शिमला, 25 सितम्बर [ विशाल सूद ] ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में आज पंडित दीन दयाल उपाध्याय की 109वीं जयंती के अवसर पर ‘अंत्योदय दिवस’ विशेष समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर संस्थान के विद्वानों, शोधार्थियों, अध्येताओं तथा स्थानीय बुद्धिजीवियों की उपस्थिति में एक संगोष्ठी एवं व्याख्यान आयोजित किए गए।
कार्यक्रम का शुभारंभ पूल थिएटर में मंगलाचरण से हुआ, जिसके उपरांत दीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि अर्पण द्वारा पंडित दीन दयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि दी गई। प्रारंभ में विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर उमा वैद्य, टैगोर अध्येता, ने अपने वक्तव्य में पंडित उपाध्याय की दर्शन परंपरा को भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना के साथ गहराई से जोड़ते हुए कहा कि
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“दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित दर्शन ऐसी पीढ़ियों का निर्माण करेगा जो शैक्षिक रूप से प्रखर, सामाजिक रूप से सजग, राजनीतिक रूप से संतुलित, आर्थिक रूप से सुदृढ़, आध्यात्मिक रूप से प्रशिक्षित और नैतिक दृष्टि से उत्कृष्ट होंगी।”
उन्होंने इस अवसर पर पंडित उपाध्याय को नमन करते हुए अपनी आत्म-रचित संस्कृत रचना भी प्रस्तुत की:
“द्यालूयोः इह दिनेभ्यः उपाध्यायश्च नामतः ।
सदा हितार्थं राष्ट्रस्य सुथिर्यत्नपरायणः ॥
मानवस्य च एकात्म्यं येनोद्धोषितं सदा ।
नमस्तस्मै नमस्तस्मै नमस्तस्मै नमो नमः ॥”
इसका भावार्थ प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी का जीवन और दर्शन सदैव राष्ट्रहित में समर्पित रहा तथा एकात्म मानववाद की उनकी उद्घोषणा मानव मात्र को एक सूत्र में बाँधने वाली है।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर हीरामन तिवारी, अध्यक्ष, ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली एवं निदेशक, आईसीएसएसआर उत्तरी क्षेत्र केंद्र, ने ‘एकात्म मानववाद’ की अवधारणा को विस्तार से प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी का दर्शन केवल सैद्धांतिक विमर्श तक सीमित नहीं है, बल्कि वह राष्ट्र के समग्र विकास के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत है, जिसमें समाज के अंतिम व्यक्ति तक सुख-सुविधा और समान अवसर पहुँचाने की दृष्टि निहित है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्थान के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु कुमार चतुर्वेदी ने अंत्योदय की अवधारणा को संस्थान की शैक्षणिक गतिविधियों और सामाजिक उत्तरदायित्वों से जोड़ते हुए कहा कि भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान जैसे केंद्रों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसी वैचारिक परंपराओं का संरक्षण और संवर्धन करें, जो समाज और राष्ट्र को दिशा प्रदान करती हैं।
धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के सचिव श्री मेहर चन्द नेगी ने किया। कार्यक्रम का संचालन जन संपर्क अधिकारी अखिलेश पाठक ने किया।यह आयोजन न केवल पंडित दीन दयाल उपाध्याय के विचारों को स्मरण करने का अवसर बना, बल्कि संस्थान के विद्वत समुदाय के लिए प्रेरणा एवं विचार-विमर्श का मंच भी सिद्ध हुआ।
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