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शिमला , 25 विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के बहुचर्चित युग हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में शिमला के लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इस दौरान, गुस्साए लोगों ने कोर्ट के खिलाफ नारेबाजी की और युग के हत्यारों को फांसी देने की मांग की। बता दें कि हाईकोर्ट की डबल बेंच ने बीते कल ही चार साल के मासूम युग के तीन दोषियों की फांसी की सजा को पलटा है। हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में एक आरोपी को बरी किया, जबकि 2 अन्य की फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील की है। इससे नाराज युग के परिजनों और शिमला वासियों ने मंगलवार को डीसी कार्यालय से शेर-ए-पंजाब तक मार्च निकाला। इस दौरान, युग के परिजनों ने आंखों पर काली पट्टी बांधी। युग के पिता विनोद गुप्ता ने हाईकोर्ट के फैसले पर असंतोष जताया और कहा कि सबूत होने के बावजूद एक आरोपी को बरी किया गया। उन्होंने अदालत के फैसले और न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए। विनोद गुप्ता ने कहा-* कानून अंधा हो चुका है, इसलिए उन्होंने आंखों पर काली पट्टी पहनी है। उन्होंने कहा- हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। अपनी आखिरी सांस तक न्याय के लिए संघर्ष करते रहेंगे। हाईकोर्ट ने फांसी की सजा की पुष्टिकरण और दोषियों की अपील पर मंगलवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने सबूतों का हवाला देते हुए- तेजिंदर पाल सिंह को बरी किया। इससे लोगों में रोष है। वहीं, दोषी चंदर शर्मा और विक्रांत बख्शी आखिरी सांस तक जेल में रहने का फैसला सुनाया है। 14 जून 2014 को शिमला के चार साल के मासूम युग का तीन लोगों ने अपहरण किया। इसी दिन परिजनों ने सदर थाना में एफआईआर कराई। 15 जून पुलिस ने युग की तलाश शुरू की, लेकिन ढूंढ नहीं पाई। पुलिस के असफल रहने के बाद केस सीआईडी को दिया। 20 अगस्त 2016 सीआईडी ने विक्रांत बख्शी को गिरफ्तार किया। 22 अगस्त को भराड़ी टैंक से युग का कंकाल बरामद हुआ। 22 अगस्त को 2 अन्य आरोपी तजेंदर पाल और चंद्र शर्मा को गिरफ्तार किया। छह सितंबर 2018 को जिला कोर्ट ने तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। आरोपियों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी और जिला जज ने फांसी की सजा के पुष्टिकरण का मामला हाईकोर्ट भेजा। बीते मंगलवार को अदालत ने इस पर फैसला सुनाया।
शिमला , 25 विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के बहुचर्चित युग हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में शिमला के लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इस दौरान, गुस्साए लोगों ने कोर्ट के खिलाफ नारेबाजी की और युग के हत्यारों को फांसी देने की मांग की।
बता दें कि हाईकोर्ट की डबल बेंच ने बीते कल ही चार साल के मासूम युग के तीन दोषियों की फांसी की सजा को पलटा है। हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में एक आरोपी को बरी किया, जबकि 2 अन्य की फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील की है।
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इससे नाराज युग के परिजनों और शिमला वासियों ने मंगलवार को डीसी कार्यालय से शेर-ए-पंजाब तक मार्च निकाला। इस दौरान, युग के परिजनों ने आंखों पर काली पट्टी बांधी। युग के पिता विनोद गुप्ता ने हाईकोर्ट के फैसले पर असंतोष जताया और कहा कि सबूत होने के बावजूद एक आरोपी को बरी किया गया। उन्होंने अदालत के फैसले और न्याय व्यवस्था पर सवाल उठाए।
विनोद गुप्ता ने कहा-* कानून अंधा हो चुका है, इसलिए उन्होंने आंखों पर काली पट्टी पहनी है। उन्होंने कहा- हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। अपनी आखिरी सांस तक न्याय के लिए संघर्ष करते रहेंगे।
हाईकोर्ट ने फांसी की सजा की पुष्टिकरण और दोषियों की अपील पर मंगलवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने सबूतों का हवाला देते हुए- तेजिंदर पाल सिंह को बरी किया। इससे लोगों में रोष है। वहीं, दोषी चंदर शर्मा और विक्रांत बख्शी आखिरी सांस तक जेल में रहने का फैसला सुनाया है।
14 जून 2014 को शिमला के चार साल के मासूम युग का तीन लोगों ने अपहरण किया। इसी दिन परिजनों ने सदर थाना में एफआईआर कराई। 15 जून पुलिस ने युग की तलाश शुरू की, लेकिन ढूंढ नहीं पाई। पुलिस के असफल रहने के बाद केस सीआईडी को दिया। 20 अगस्त 2016 सीआईडी ने विक्रांत बख्शी को गिरफ्तार किया।
22 अगस्त को भराड़ी टैंक से युग का कंकाल बरामद हुआ। 22 अगस्त को 2 अन्य आरोपी तजेंदर पाल और चंद्र शर्मा को गिरफ्तार किया। छह सितंबर 2018 को जिला कोर्ट ने तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। आरोपियों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी और जिला जज ने फांसी की सजा के पुष्टिकरण का मामला हाईकोर्ट भेजा। बीते मंगलवार को अदालत ने इस पर फैसला सुनाया।
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