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भरमौर, 1 दिसंबर [ शिवानी ] !कुगति स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट रविवार को विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद बंद हो गए। अब श्रद्धालु 134 दिन के बाद ही कार्तिक स्वामी के दर्शन कर पाएंगे। मंदिर के कपाट अगले साल बैसाखी के दिन खोले जाएंगे, तब तक श्रद्धालु मंदिर में नहीं जा पाएंगे। मंदिर के कपाट बंद करने से पूर्व मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई। उसके उपरांत पुरानी परंपरा के अनुसार और विधि विधान से मंदिर के कपाट बंद किए गए। कार्तिक स्वामी के आखिरी दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ उमड़ी और उन्होंने कार्तिक स्वामी के दर्शन किए। मंदिर के पुजारी मचलू राम शर्मा ने बताया कि हर वर्ष सर्दियों के दौरान मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं, क्योंकि यह मंदिर क्षेत्र की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यहां पर सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है। इस दौरान कोई भी श्रद्धालु मंदिर में नहीं पहुंच पाता। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। आपको बता दें मान्यता के अनुसार मंदिर के अंदर जल से भरी गड़वी भी रखी गई है। जिसे 134 दिन के बाद खोला जाएगा। मान्यता है कि इस गड़बी का जल क्षेत्र में खुशहाली और सूखे की राह दिखाएगा। यदि गड़वी में जल कम मिलता है तो माना जाता है कि क्षेत्र में सूखा ज्यादा रहेगा। यदि जल ज्यादा मिला तो क्षेत्र में हरियाली छाई रहेगी। ऐसे में लोग मंदिर के कपाट बंद करते समय कार्तिक स्वामी से प्रार्थना करते हैं कि गड़वी भरी हुई मिले, और हर क्षेत्र में सुख समृद्धि खुशहाली हो।
भरमौर, 1 दिसंबर [ शिवानी ] !कुगति स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट रविवार को विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद बंद हो गए। अब श्रद्धालु 134 दिन के बाद ही कार्तिक स्वामी के दर्शन कर पाएंगे। मंदिर के कपाट अगले साल बैसाखी के दिन खोले जाएंगे, तब तक श्रद्धालु मंदिर में नहीं जा पाएंगे।
मंदिर के कपाट बंद करने से पूर्व मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई। उसके उपरांत पुरानी परंपरा के अनुसार और विधि विधान से मंदिर के कपाट बंद किए गए। कार्तिक स्वामी के आखिरी दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ उमड़ी और उन्होंने कार्तिक स्वामी के दर्शन किए।
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मंदिर के पुजारी मचलू राम शर्मा ने बताया कि हर वर्ष सर्दियों के दौरान मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं, क्योंकि यह मंदिर क्षेत्र की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यहां पर सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है। इस दौरान कोई भी श्रद्धालु मंदिर में नहीं पहुंच पाता। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। आपको बता दें मान्यता के अनुसार मंदिर के अंदर जल से भरी गड़वी भी रखी गई है।
जिसे 134 दिन के बाद खोला जाएगा। मान्यता है कि इस गड़बी का जल क्षेत्र में खुशहाली और सूखे की राह दिखाएगा। यदि गड़वी में जल कम मिलता है तो माना जाता है कि क्षेत्र में सूखा ज्यादा रहेगा। यदि जल ज्यादा मिला तो क्षेत्र में हरियाली छाई रहेगी। ऐसे में लोग मंदिर के कपाट बंद करते समय कार्तिक स्वामी से प्रार्थना करते हैं कि गड़वी भरी हुई मिले, और हर क्षेत्र में सुख समृद्धि खुशहाली हो।
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