डीसी बोले जिला की लोक संस्कृति, लोकपरंपराओं और संस्कृति संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास
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बिलासपुर, 09 दिसंबर [ राकेश शर्मा ] ! वरिष्ठ साहित्यकार रामलाल पाठक ने अपनी चर्चित पुस्तक लोकगीतों में जनजीवन’ मंगलवार को उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार को भेंट की। इस अवसर पर उपायुक्त ने पुस्तक के लिए रामलाल पाठक की सराहना करते हुए इसे लोक संस्कृति, लोकपरंपराओं और संस्कृति संरक्षण की दिशा में किया गया सराहनीय और उत्कृष्ट प्रयास बताया। उपायुक्त राहुल कुमार ने कहा कि यह पुस्तक बिलासपुर जिला सहित हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक जड़ों को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। उन्होंने कहा कि ‘लोकगीतों में जनजीवन’ पुस्तक युवाओं को पारंपरिक लोकगीतों, लोकनृत्यों और लोककथाओं से अवगत कराते हुए उन्हें अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का अनूठा माध्यम बनेगी। उन्होंने कहा कि संस्कृति और लोक परंपराओं को आने वाली पीढिय़ों तक पहुंचाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, और इस दिशा में रामलाल पाठक का प्रयास प्रेरणादायक और अनुकरणीय है। राहुल कुमार ने कहा कि इस पुस्तक में शामिल कहानियां, लोकगीत, नाट्य विधाएं और सांस्कृतिक तथ्य न केवल युवाओं को अपनी प्राचीन लोक संस्कृति से परिचित कराएंगे, बल्कि नई पीढ़ी को इसे संरक्षित और आगे बढ़ाने की प्रेरणा भी देंगे। उन्होंने कहा कि रामलाल पाठक ने कठिन परिश्रम और शोध के माध्यम से जिला की सांस्कृतिक पहचान को संजोने का कार्य किया है, जो प्रशंसा योग्य है। ‘लोकगीतों में जनजीवन’ पुस्तक बिलासपुर की प्राचीन सांस्कृतिक पहचान को एक जीवंत दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करती है। पुस्तक में जन्म संस्कार गीत, विवाह संस्कार गीत, लोकनाट्य शैली दहाजा, मोहना गीत, गंभरी देवी की जीवनी, गुग्गा गाथा, फूला चंदेल के पारंपरिक लोक नृत्य और हिमाचली बोलियों का विस्तृत संग्रह शामिल है। यह पुस्तक लोक जीवन, लोक आस्था और पारंपरिक लोककला का प्रमाणिक अभिलेख है, जो इसे शोधार्थियों, युवाओं और संस्कृति प्रेमियों के लिए महत्वपूर्ण बनाती है।
बिलासपुर, 09 दिसंबर [ राकेश शर्मा ] ! वरिष्ठ साहित्यकार रामलाल पाठक ने अपनी चर्चित पुस्तक लोकगीतों में जनजीवन’ मंगलवार को उपायुक्त बिलासपुर राहुल कुमार को भेंट की। इस अवसर पर उपायुक्त ने पुस्तक के लिए रामलाल पाठक की सराहना करते हुए इसे लोक संस्कृति, लोकपरंपराओं और संस्कृति संरक्षण की दिशा में किया गया सराहनीय और उत्कृष्ट प्रयास बताया।
उपायुक्त राहुल कुमार ने कहा कि यह पुस्तक बिलासपुर जिला सहित हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक जड़ों को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। उन्होंने कहा कि ‘लोकगीतों में जनजीवन’ पुस्तक युवाओं को पारंपरिक लोकगीतों, लोकनृत्यों और लोककथाओं से अवगत कराते हुए उन्हें अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का अनूठा माध्यम बनेगी। उन्होंने कहा कि संस्कृति और लोक परंपराओं को आने वाली पीढिय़ों तक पहुंचाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, और इस दिशा में रामलाल पाठक का प्रयास प्रेरणादायक और अनुकरणीय है।
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राहुल कुमार ने कहा कि इस पुस्तक में शामिल कहानियां, लोकगीत, नाट्य विधाएं और सांस्कृतिक तथ्य न केवल युवाओं को अपनी प्राचीन लोक संस्कृति से परिचित कराएंगे, बल्कि नई पीढ़ी को इसे संरक्षित और आगे बढ़ाने की प्रेरणा भी देंगे। उन्होंने कहा कि रामलाल पाठक ने कठिन परिश्रम और शोध के माध्यम से जिला की सांस्कृतिक पहचान को संजोने का कार्य किया है, जो प्रशंसा योग्य है।
‘लोकगीतों में जनजीवन’ पुस्तक बिलासपुर की प्राचीन सांस्कृतिक पहचान को एक जीवंत दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करती है। पुस्तक में जन्म संस्कार गीत, विवाह संस्कार गीत, लोकनाट्य शैली दहाजा, मोहना गीत, गंभरी देवी की जीवनी, गुग्गा गाथा, फूला चंदेल के पारंपरिक लोक नृत्य और हिमाचली बोलियों का विस्तृत संग्रह शामिल है। यह पुस्तक लोक जीवन, लोक आस्था और पारंपरिक लोककला का प्रमाणिक अभिलेख है, जो इसे शोधार्थियों, युवाओं और संस्कृति प्रेमियों के लिए महत्वपूर्ण बनाती है।
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