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चम्बा , 13 नवंबर [ शिवानी ] ! मीडिया को दी गई जानकारी के अनुसार राज्य अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश सेवारत जे बी टी शिक्षक संघ बैच 2006-08 सुनील कुमार ने बताया कि पीछे ढाई वर्षों से वो वित्त विभाग द्वारा मांगी जा रही सूचना को अपने अपने खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों, प्रधानाचार्य और अपने अपने डीडीओ के माध्यम से शिक्षा उपनिदेशक कार्यालय और निदेशालय को भिजवा रहे हैं लेकिन अभी तक उनके डाटा को वित्त विभाग को बहुत से अधिकारी नहीं भेज रहे हैं। जानकारी देते हुए सुनील ने बताया कि केंद्र सरकार ने एनपीएस लागू होने के बाद जो कर्मचारी 01.01.2004 से पहले विज्ञापन पर भर्ती हुए थे और उनको नियुक्ति में देरी प्रशासनिक थी न कि कर्मचारियों के कारण ऐसे सभी कर्मचारियों को भिन्न-भिन्न कोर्ट आदेश के बाद सभी पर लागू करके उनको एनपीएस से पुरानी पेंशन में लाने का ऑफिस मेमो जारी किया था जिसके अंतर्गत राज्यों के कर्मचारियों को भी उसी दायरे में लाने के लिए प्रक्रिया आरंभ की गयी थी। हिमाचल प्रदेश के वित्त विभाग ने सभी विभागों के विभागाध्यक्षों से उक्त जानकारी 2023 से माँगना शुरू किया था जोकि आज नवंबर माह 2025 तक 4 बार माँगी जा चुकी है। इस सूचना के लाभार्थी हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2009,2010 और 2011 में रेगुलर नियुक्ति पाने वाले जेबीटी अध्यापक भी हैं जिनकी संख्या 1800 से 2200 तक है। क्योंकि उनकी भर्ती का विज्ञापन और उसकी प्रक्रिया वर्ष 2001 में शुरू हुई थी और उक्त भर्ती विवादों में घिरने के कारण न्यायालय तक गयी अंततः 2006 में वो भर्ती न्यायालय के आदेशों के बाद शुरू हुई और 2 वर्ष की ट्रेनिंग के बाद 2009,2010 और 2011 में जेबीटी की रेगुलर नियुक्ति हुई। जरियाल ने बताया कि इसके बारे में उन्होंने लगातार सरकार के साथ संवाद जारी रखा है लेकिन विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के कारण 4 बार वित्त विभाग द्वारा डाटा मांगने और हमारे बैच के सभी 12 जिलों से लगभग 1800 साथियों द्वारा उक्त सूचना अपने अपने डीडीओ के माध्यम से भेजने के बाद भी सूचना वित्त विभाग तक न पहुंचना चिंता जनक है। निदेशालय से जानकारी लेने पर ज्ञात हुआ बहुत से जिलों ने उक्त सूचना निदेशालय को भेजी ही नहीं है, इसीलिए उन्होंने इसके लिए माननीय विधानसभा अध्यक्ष जी के समक्ष मामला उठाया है ताकि उनको इस अधिसूचना का लाभ मिले और जो पैसा एनएसडीएल के पास फँसा है वो उनको भी वापिस मिल सके और सरकारी अंशदान सरकार के खाते में आ सके। जिसमें कुछ अधिकारी डाटा न भेजकर पूरी प्रक्रिया बाधित कर रहे हैं। लगभग 500 करोड़ रुपये की वापसी केवल बैच 2006-08 के जेबीटी की ही है जिसमें 300 करोड़ सरकारी अंशदान और 200 करोड़ कर्मचारी का अपना अंशदान है। राज्य अध्यक्ष ने बताया कि उन्होंने 1500 कर्मचारियों की सूची विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी है जिसमें प्रति कर्मचारी 22 से 26 लाख की राशि वापिस आनी है और उसमें 10 लाख कर्मचारी का हिस्सा और 12 से 14 लाख सरकारी अंशदान है। हमने अपने बैच की सारी अधिसूचनाएं/ विज्ञापन प्रतिलिपियां 2002,2003,2004, केन्द्रीय ऑफिस मेमो 2020 केंद्रीय ऑफिस मेमो 2023 और बॉन्ड की कॉपी जोकि सरकार और कर्मचारियों के बीच होता था जेबीटी बैच शुरू होने से पहले जिसमें 50000 का एक समझौता सरकार और चयनित ट्रेनी के बीच होता था उसको भी सौंपा है। जरियाल ने बताया कि उन्होंने उक्त मामला शिमला जाकर माननीय शिक्षा सचिव राकेश कँवर जी और माननीय विशेष वित्त सचिव सौरभ जस्सल जी के समक्ष भी उठाया है और उन्होंने भी उक्त मामले को वित्त विभाग और संबंधित शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष उठाने की बात कही है। विधानसभा अध्यक्ष श्री कुलदीप सिंह पठानिया जी ने संबंधित मामले को विधानसभा पिटीशन कमेटी को भेजने और उसके समाधान का विश्वास दिलाया है। जिसके लिए महासंघ की और से उनका धन्यवाद किया गया है। उन्होंने कहा कि हम इस लड़ाई को हर स्तर पर लड़ेंगे अगर हमने विभाग को अपने संपूर्ण दस्तावेज सौंपे हैं तो वो इस सूचना को क्यों नहीं भेज रहा ये अपने आप मे चिन्ताजनक है , संबंधित कर्मचारी अपने दस्तावेज दे रहे हैं वो उक्त अधिसूचना के लाभार्थी हैं। वित्त विभाग अंतिम निर्णय लेगा लेकिन जब वित्त विभाग तक डाटा ही नहीं भेजा जाएगा तो वित्त विभाग कैसे अगली प्रक्रिया शुरू करेगा इसीलिए उन्होंने माननीय विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष अपने मामले के समाधान की गुहार लगायी है।
चम्बा , 13 नवंबर [ शिवानी ] ! मीडिया को दी गई जानकारी के अनुसार राज्य अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश सेवारत जे बी टी शिक्षक संघ बैच 2006-08 सुनील कुमार ने बताया कि पीछे ढाई वर्षों से वो वित्त विभाग द्वारा मांगी जा रही सूचना को अपने अपने खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों, प्रधानाचार्य और अपने अपने डीडीओ के माध्यम से शिक्षा उपनिदेशक कार्यालय और निदेशालय को भिजवा रहे हैं लेकिन अभी तक उनके डाटा को वित्त विभाग को बहुत से अधिकारी नहीं भेज रहे हैं।
जानकारी देते हुए सुनील ने बताया कि केंद्र सरकार ने एनपीएस लागू होने के बाद जो कर्मचारी 01.01.2004 से पहले विज्ञापन पर भर्ती हुए थे और उनको नियुक्ति में देरी प्रशासनिक थी न कि कर्मचारियों के कारण ऐसे सभी कर्मचारियों को भिन्न-भिन्न कोर्ट आदेश के बाद सभी पर लागू करके उनको एनपीएस से पुरानी पेंशन में लाने का ऑफिस मेमो जारी किया था जिसके अंतर्गत राज्यों के कर्मचारियों को भी उसी दायरे में लाने के लिए प्रक्रिया आरंभ की गयी थी।
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हिमाचल प्रदेश के वित्त विभाग ने सभी विभागों के विभागाध्यक्षों से उक्त जानकारी 2023 से माँगना शुरू किया था जोकि आज नवंबर माह 2025 तक 4 बार माँगी जा चुकी है।
इस सूचना के लाभार्थी हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2009,2010 और 2011 में रेगुलर नियुक्ति पाने वाले जेबीटी अध्यापक भी हैं जिनकी संख्या 1800 से 2200 तक है। क्योंकि उनकी भर्ती का विज्ञापन और उसकी प्रक्रिया वर्ष 2001 में शुरू हुई थी और उक्त भर्ती विवादों में घिरने के कारण न्यायालय तक गयी अंततः 2006 में वो भर्ती न्यायालय के आदेशों के बाद शुरू हुई और 2 वर्ष की ट्रेनिंग के बाद 2009,2010 और 2011 में जेबीटी की रेगुलर नियुक्ति हुई।
जरियाल ने बताया कि इसके बारे में उन्होंने लगातार सरकार के साथ संवाद जारी रखा है लेकिन विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के कारण 4 बार वित्त विभाग द्वारा डाटा मांगने और हमारे बैच के सभी 12 जिलों से लगभग 1800 साथियों द्वारा उक्त सूचना अपने अपने डीडीओ के माध्यम से भेजने के बाद भी सूचना वित्त विभाग तक न पहुंचना चिंता जनक है।
निदेशालय से जानकारी लेने पर ज्ञात हुआ बहुत से जिलों ने उक्त सूचना निदेशालय को भेजी ही नहीं है, इसीलिए उन्होंने इसके लिए माननीय विधानसभा अध्यक्ष जी के समक्ष मामला उठाया है ताकि उनको इस अधिसूचना का लाभ मिले और जो पैसा एनएसडीएल के पास फँसा है वो उनको भी वापिस मिल सके और सरकारी अंशदान सरकार के खाते में आ सके। जिसमें कुछ अधिकारी डाटा न भेजकर पूरी प्रक्रिया बाधित कर रहे हैं।
लगभग 500 करोड़ रुपये की वापसी केवल बैच 2006-08 के जेबीटी की ही है जिसमें 300 करोड़ सरकारी अंशदान और 200 करोड़ कर्मचारी का अपना अंशदान है। राज्य अध्यक्ष ने बताया कि उन्होंने 1500 कर्मचारियों की सूची विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी है जिसमें प्रति कर्मचारी 22 से 26 लाख की राशि वापिस आनी है और उसमें 10 लाख कर्मचारी का हिस्सा और 12 से 14 लाख सरकारी अंशदान है।
हमने अपने बैच की सारी अधिसूचनाएं/ विज्ञापन प्रतिलिपियां 2002,2003,2004, केन्द्रीय ऑफिस मेमो 2020 केंद्रीय ऑफिस मेमो 2023 और बॉन्ड की कॉपी जोकि सरकार और कर्मचारियों के बीच होता था जेबीटी बैच शुरू होने से पहले जिसमें 50000 का एक समझौता सरकार और चयनित ट्रेनी के बीच होता था उसको भी सौंपा है।
जरियाल ने बताया कि उन्होंने उक्त मामला शिमला जाकर माननीय शिक्षा सचिव राकेश कँवर जी और माननीय विशेष वित्त सचिव सौरभ जस्सल जी के समक्ष भी उठाया है और उन्होंने भी उक्त मामले को वित्त विभाग और संबंधित शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष उठाने की बात कही है।
विधानसभा अध्यक्ष श्री कुलदीप सिंह पठानिया जी ने संबंधित मामले को विधानसभा पिटीशन कमेटी को भेजने और उसके समाधान का विश्वास दिलाया है। जिसके लिए महासंघ की और से उनका धन्यवाद किया गया है। उन्होंने कहा कि हम इस लड़ाई को हर स्तर पर लड़ेंगे अगर हमने विभाग को अपने संपूर्ण दस्तावेज सौंपे हैं तो वो इस सूचना को क्यों नहीं भेज रहा ये अपने आप मे चिन्ताजनक है , संबंधित कर्मचारी अपने दस्तावेज दे रहे हैं वो उक्त अधिसूचना के लाभार्थी हैं।
वित्त विभाग अंतिम निर्णय लेगा लेकिन जब वित्त विभाग तक डाटा ही नहीं भेजा जाएगा तो वित्त विभाग कैसे अगली प्रक्रिया शुरू करेगा इसीलिए उन्होंने माननीय विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष अपने मामले के समाधान की गुहार लगायी है।
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