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धर्मशाला, 24 जुलाई [ विशाल सूद ] ! पेखुवेला सोलर पावर प्रोजेक्ट में हुए करोड़ों के घोटाले और इससे जुड़े ईमानदार अधिकारी विमल नेगी की संदिग्ध मृत्यु के बाद जिस तरह से सरकार ने संवेदनहीनता दिखाई है, वह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि सीधा संकेत है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार अब भ्रष्टाचारियों की संरक्षक बन चुकी है।पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने कहा कि उन्होंने इस पूरे प्रकरण को मार्च में विधानसभा में सबसे पहले उजागर किया था, जब यह सामने आया कि 35 मेगावाट की क्षमता वाला गुजरात का सौर प्लांट ₹144 करोड़ में बना जबकि हिमाचल में 32 मेगावाट के पेखुवेला प्रोजेक्ट पर ₹220 करोड़ की भारी लागत दिखाई गई। ना केवल लागत बढ़ाई गई बल्कि टेंडर प्रक्रिया को भी नजरअंदाज कर नॉमिनेशन के आधार पर काम आवंटित किए गए। DPR को बार-बार संशोधित कर एक विशेष कंपनी को लाभ पहुंचाया गया। उन्होंने इन्हीं सब अनियमितताओं को उजागर करते हुए मुख्य अभियंता विमल नेगी ने तत्कालीन एमडी और निदेशक स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायतें की थीं। इसके बाद 18 मार्च को उनका शव गोविंद सागर झील से मिला। परिजनों ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि अधिकारियों द्वारा मानसिक उत्पीड़न के चलते उनकी जान गई। अब सवाल यह उठता है कि जिन अधिकारियों पर इस गंभीर प्रकरण में संलिप्तता के आरोप हैं – जैसे कि देशराज, उन्हें हाल ही में फिर से मुख्य अभियंता जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनात कर देना क्या भ्रष्टाचार को ईनाम देना नहीं है। हाईकोर्ट ने देशराज की अग्रिम जमानत खारिज की थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने उनके खिलाफ कोई प्रभावी पैरवी तक नहीं की। यह साफ दर्शाता है कि सरकार की सहानुभूति पीड़ित परिवार के साथ नहीं बल्कि आरोपियों के साथ है। जब जांच की मांग उठी तो सरकार को यह कदम पहले ही उठाना चाहिए था, मगर कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही जांच को CBI को सौंपा गया, जिससे सरकार की मंशा पर और भी सवाल खड़े हो गए। ठाकुर ने कहा कि इसी प्रकरण में एसपी शिमला की कार्यप्रणाली और जांच रिपोर्ट पर भी सवाल उठे थे, जिस पर भी उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की थी। लेकिन सरकार ने फिर से उन्हीं अफसरों को नियुक्त कर यह संदेश दे दिया कि अगर आप भ्रष्टाचार में पकड़े भी जाएं, तब भी आपको इनाम मिलेगा। आज विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी ने जो सवाल उठाए हैं, वे केवल एक परिवार का नहीं, पूरे प्रदेश का सवाल बन चुके हैं – क्या इस सरकार में ईमानदारी की कोई जगह नहीं बची है।
धर्मशाला, 24 जुलाई [ विशाल सूद ] ! पेखुवेला सोलर पावर प्रोजेक्ट में हुए करोड़ों के घोटाले और इससे जुड़े ईमानदार अधिकारी विमल नेगी की संदिग्ध मृत्यु के बाद जिस तरह से सरकार ने संवेदनहीनता दिखाई है, वह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि सीधा संकेत है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार अब भ्रष्टाचारियों की संरक्षक बन चुकी है।पूर्व उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर ने कहा कि उन्होंने इस पूरे प्रकरण को मार्च में विधानसभा में सबसे पहले उजागर किया था, जब यह सामने आया कि 35 मेगावाट की क्षमता वाला गुजरात का सौर प्लांट ₹144 करोड़ में बना जबकि हिमाचल में 32 मेगावाट के पेखुवेला प्रोजेक्ट पर ₹220 करोड़ की भारी लागत दिखाई गई। ना केवल लागत बढ़ाई गई बल्कि टेंडर प्रक्रिया को भी नजरअंदाज कर नॉमिनेशन के आधार पर काम आवंटित किए गए। DPR को बार-बार संशोधित कर एक विशेष कंपनी को लाभ पहुंचाया गया। उन्होंने इन्हीं सब अनियमितताओं को उजागर करते हुए मुख्य अभियंता विमल नेगी ने तत्कालीन एमडी और निदेशक स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायतें की थीं। इसके बाद 18 मार्च को उनका शव गोविंद सागर झील से मिला। परिजनों ने साफ तौर पर आरोप लगाया कि अधिकारियों द्वारा मानसिक उत्पीड़न के चलते उनकी जान गई।
अब सवाल यह उठता है कि जिन अधिकारियों पर इस गंभीर प्रकरण में संलिप्तता के आरोप हैं – जैसे कि देशराज, उन्हें हाल ही में फिर से मुख्य अभियंता जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनात कर देना क्या भ्रष्टाचार को ईनाम देना नहीं है। हाईकोर्ट ने देशराज की अग्रिम जमानत खारिज की थी, जबकि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने उनके खिलाफ कोई प्रभावी पैरवी तक नहीं की। यह साफ दर्शाता है कि सरकार की सहानुभूति पीड़ित परिवार के साथ नहीं बल्कि आरोपियों के साथ है। जब जांच की मांग उठी तो सरकार को यह कदम पहले ही उठाना चाहिए था, मगर कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही जांच को CBI को सौंपा गया, जिससे सरकार की मंशा पर और भी सवाल खड़े हो गए।
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ठाकुर ने कहा कि इसी प्रकरण में एसपी शिमला की कार्यप्रणाली और जांच रिपोर्ट पर भी सवाल उठे थे, जिस पर भी उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की थी। लेकिन सरकार ने फिर से उन्हीं अफसरों को नियुक्त कर यह संदेश दे दिया कि अगर आप भ्रष्टाचार में पकड़े भी जाएं, तब भी आपको इनाम मिलेगा।
आज विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी ने जो सवाल उठाए हैं, वे केवल एक परिवार का नहीं, पूरे प्रदेश का सवाल बन चुके हैं – क्या इस सरकार में ईमानदारी की कोई जगह नहीं बची है।
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