कर्नाटक के माउंटोक मठ में लगभग एक माह का प्रवास
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धर्मशाला , 11 दिसंबर [ शिवानी ] : तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा हर वर्ष की भांति इस बार भी सर्दियों के मौसम में दक्षिण भारत के अपने वार्षिक प्रवास पर रवाना हो गए हैं। गुरुवार सुबह धर्मशाला से विमान द्वारा दिल्ली पहुंचने के बाद वे राजधानी स्थित अपने निवास में कुछ समय ठहरेंगे, जहां वे निर्धारित औपचारिक मुलाकातें करेंगे। इसके उपरांत वह कर्नाटक के माउंटोक स्थित बौद्ध मठ के लिए रवाना होंगे, जहां वे करीब एक महीने तक प्रवास करेंगे। बताया जा रहा है कि धर्मशाला में शीत बढ़ने के कारण दलाई लामा स्वास्थ्य कारणों से हर वर्ष दक्षिण भारत के अपेक्षाकृत गर्म मौसम वाले क्षेत्रों में जाते हैं, ताकि वे अध्ययन, ध्यान साधना और आध्यात्मिक गतिविधियों पर केंद्रित रह सकें। माउंटोक मॉनेस्ट्री तिब्बती बौद्ध परंपरा का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है और दलाई लामा के नियमित शीतकालीन प्रवास का भी हिस्सा है। दलाई लामा के आगमन को लेकर कर्नाटक में स्थित तिब्बती समुदाय उत्साहित है। वहां विशेष प्रार्थना सभाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और शिक्षाप्रद संगोष्ठियों की तैयारियां चल रही हैं। इस वर्ष उनके 90वें जन्मदिवस का समारोह भी दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाएगा। तिब्बतियन यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष शेयरिंग ने बताया कि सर्दियों के कारण परम पावन दलाई लामा दक्षिण भारत के लिए रवाना हुए हैं। पहले वे दिल्ली में ठहरेंगे और फिर माउंटोक मॉनेस्ट्री पहुंचेंगे। इस साल हमने उनका 90वां जन्मदिवस मनाया है और दक्षिण भारत में भी यह उत्सव जारी रहेगा। तिब्बती प्रशासनिक अधिकारी फुंटसोक ने कहा कि धर्मशाला की अत्यधिक ठंड उनकी सेहत पर असर डाल सकती है, इसलिए उन्हें कर्नाटक ले जाना उचित है। माउंटोक का मौसम इस समय अत्यंत अनुकूल होता है। वहां वे ध्यान साधना करेंगे और अपने अनुयायियों से मुलाकात भी करेंगे। हम उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं। स्वयं दलाई लामा ने भी प्रस्थान से पूर्व अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि मैं फिलहाल सर्दियों के कारण धर्मशाला से बाहर जा रहा हूं। इस वर्ष दुनिया ने मेरे जन्मदिवस को करुणा के रूप में मनाया, इसके लिए मैं सभी का आभारी हूं। हमें अपने भीतर करुणा को और बढ़ाने की आवश्यकता है। दक्षिण भारत में उनके शीतकालीन प्रवास के दौरान धार्मिक गतिविधियों, आध्यात्मिक शिक्षाओं और सांस्कृतिक आयोजनों की श्रृंखला जारी रहेगी। तिब्बती समुदाय और अनुयायियों में इस दौरान उनके सान्निध्य को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है।
धर्मशाला , 11 दिसंबर [ शिवानी ] : तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा हर वर्ष की भांति इस बार भी सर्दियों के मौसम में दक्षिण भारत के अपने वार्षिक प्रवास पर रवाना हो गए हैं। गुरुवार सुबह धर्मशाला से विमान द्वारा दिल्ली पहुंचने के बाद वे राजधानी स्थित अपने निवास में कुछ समय ठहरेंगे, जहां वे निर्धारित औपचारिक मुलाकातें करेंगे। इसके उपरांत वह कर्नाटक के माउंटोक स्थित बौद्ध मठ के लिए रवाना होंगे, जहां वे करीब एक महीने तक प्रवास करेंगे।
बताया जा रहा है कि धर्मशाला में शीत बढ़ने के कारण दलाई लामा स्वास्थ्य कारणों से हर वर्ष दक्षिण भारत के अपेक्षाकृत गर्म मौसम वाले क्षेत्रों में जाते हैं, ताकि वे अध्ययन, ध्यान साधना और आध्यात्मिक गतिविधियों पर केंद्रित रह सकें। माउंटोक मॉनेस्ट्री तिब्बती बौद्ध परंपरा का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है और दलाई लामा के नियमित शीतकालीन प्रवास का भी हिस्सा है।
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दलाई लामा के आगमन को लेकर कर्नाटक में स्थित तिब्बती समुदाय उत्साहित है। वहां विशेष प्रार्थना सभाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और शिक्षाप्रद संगोष्ठियों की तैयारियां चल रही हैं। इस वर्ष उनके 90वें जन्मदिवस का समारोह भी दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाएगा।
तिब्बतियन यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष शेयरिंग ने बताया कि सर्दियों के कारण परम पावन दलाई लामा दक्षिण भारत के लिए रवाना हुए हैं। पहले वे दिल्ली में ठहरेंगे और फिर माउंटोक मॉनेस्ट्री पहुंचेंगे। इस साल हमने उनका 90वां जन्मदिवस मनाया है और दक्षिण भारत में भी यह उत्सव जारी रहेगा।
तिब्बती प्रशासनिक अधिकारी फुंटसोक ने कहा कि धर्मशाला की अत्यधिक ठंड उनकी सेहत पर असर डाल सकती है, इसलिए उन्हें कर्नाटक ले जाना उचित है। माउंटोक का मौसम इस समय अत्यंत अनुकूल होता है। वहां वे ध्यान साधना करेंगे और अपने अनुयायियों से मुलाकात भी करेंगे। हम उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
स्वयं दलाई लामा ने भी प्रस्थान से पूर्व अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि मैं फिलहाल सर्दियों के कारण धर्मशाला से बाहर जा रहा हूं। इस वर्ष दुनिया ने मेरे जन्मदिवस को करुणा के रूप में मनाया, इसके लिए मैं सभी का आभारी हूं। हमें अपने भीतर करुणा को और बढ़ाने की आवश्यकता है।
दक्षिण भारत में उनके शीतकालीन प्रवास के दौरान धार्मिक गतिविधियों, आध्यात्मिक शिक्षाओं और सांस्कृतिक आयोजनों की श्रृंखला जारी रहेगी। तिब्बती समुदाय और अनुयायियों में इस दौरान उनके सान्निध्य को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है।
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