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हमीरपुर , 18 नवंबर [ बिंदिया ठाकुर ] ! सुजानपुर के ककड़ गांव में गुरुवार को एक ऐसा पल दर्ज हुआ जिसने पूरे इलाके को भावुक कर दिया। समाजसेवा और मानवीय संवेदनाओं के प्रतीक डॉ. डोगरा जिन्हें लोग अब प्यार से ‘भाऊ’ बुलाते हैं, ने छठी कक्षा में पढ़ने वाली मासूम सारिका को कानूनी प्रक्रिया के साथ अपनी बेटी के रूप में गोद ले लिया। सारिका के पिता का देहांत, मां का साथ छोड़ देना, टूटा हुआ मकान और 70 साल की दादी के साथ खुले आसमान के नीचे बीतती ठंडी रातें, यह सब उसकी जिंदगी की रोज़ की लड़ाई थी। गांव में सहारा देने वाला कोई नहीं था। इसी मुश्किल समय में डॉ. डोगरा ने भरोसा दिया था कि यह बच्ची अब अकेली नहीं रहेगी और आज उन्होंने वह वादा पूरा कर दिखाया। एडवोकेट संजय जसवाल की मौजूदगी में पूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई, ताकि बच्ची का भविष्य सुरक्षित और अधिकारिक रूप से संरक्षित रहे। डॉ. डोगरा ने कहा कि सारिका अब मेरी बेटी है। उसकी पढ़ाई से लेकर घर और भविष्य हर जिम्मेदारी मैं उठाऊंगा। सबसे पहले परिवार को सुरक्षित छत देना हमारी प्राथमिकता है। ग्रामीणों ने इस कदम को सच्ची जनसेवा बताया। उनका कहना था जो जीवन के संकट में साथ खड़ा हो, वही असली नेता और परिवार का सदस्य होता है। ककड़ गांव में आज जो हुआ, वह सिर्फ गोद लेना नहीं, बल्कि यह संदेश है कि राजनीति में जब इंसानियत जुड़ जाए, तो नेता और जनसेवक में फर्क मिट जाता है।
हमीरपुर , 18 नवंबर [ बिंदिया ठाकुर ] ! सुजानपुर के ककड़ गांव में गुरुवार को एक ऐसा पल दर्ज हुआ जिसने पूरे इलाके को भावुक कर दिया। समाजसेवा और मानवीय संवेदनाओं के प्रतीक डॉ. डोगरा जिन्हें लोग अब प्यार से ‘भाऊ’ बुलाते हैं, ने छठी कक्षा में पढ़ने वाली मासूम सारिका को कानूनी प्रक्रिया के साथ अपनी बेटी के रूप में गोद ले लिया।
सारिका के पिता का देहांत, मां का साथ छोड़ देना, टूटा हुआ मकान और 70 साल की दादी के साथ खुले आसमान के नीचे बीतती ठंडी रातें, यह सब उसकी जिंदगी की रोज़ की लड़ाई थी। गांव में सहारा देने वाला कोई नहीं था।
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इसी मुश्किल समय में डॉ. डोगरा ने भरोसा दिया था कि यह बच्ची अब अकेली नहीं रहेगी और आज उन्होंने वह वादा पूरा कर दिखाया। एडवोकेट संजय जसवाल की मौजूदगी में पूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई, ताकि बच्ची का भविष्य सुरक्षित और अधिकारिक रूप से संरक्षित रहे।
डॉ. डोगरा ने कहा कि सारिका अब मेरी बेटी है। उसकी पढ़ाई से लेकर घर और भविष्य हर जिम्मेदारी मैं उठाऊंगा। सबसे पहले परिवार को सुरक्षित छत देना हमारी प्राथमिकता है।
ग्रामीणों ने इस कदम को सच्ची जनसेवा बताया। उनका कहना था जो जीवन के संकट में साथ खड़ा हो, वही असली नेता और परिवार का सदस्य होता है।
ककड़ गांव में आज जो हुआ, वह सिर्फ गोद लेना नहीं, बल्कि यह संदेश है कि राजनीति में जब इंसानियत जुड़ जाए, तो नेता और जनसेवक में फर्क मिट जाता है।
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