*प्रदेश में चल रही है घोटालों और मित्रों की सरकार*
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हमीरपुर, 24 अक्टूबर [ विशाल सूद ] ! प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता एवं सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि बघाट बैंक में 138 करोड़ के एनपीए का मामला जनता की मेहनत की कमाई से किया गया सबसे बड़ा विश्वासघात है जो सरकार की सीधी संलिप्तता के बिना संभव ही नहीं था। यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा की बाघाट बैंक में जो कारनामे सामने आ रहे हैं, उससे यह जाहिर होता है कि यह सब कुछ सत्ता के संरक्षण में चल रहा है, जहां जनता की गाढ़ी कमाई को सरकार अपने ‘मित्र धन्नासेठों’ की झोली में डाल रही है। इन दोनों मामलों ने सुक्खू सरकार के “ईमानदारी के दावों” की पोल खोल दी है। राजेंद्र राणा ने कहा कि कांगड़ा बैंक का मामला अभी सुर्खियों में ही था कि अब बघाट बैंक में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है जिसमें बैंक के करीब 22 हजार शेयरहोल्डरों का विश्वास तोड़ा गया है। ये वही आम लोग हैं जिन्होंने अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए पैसा लगाया था, लेकिन सरकार ने उसे अपने चहेतों पर लुटा दिया। उन्होंने कहा की स्थिति यह हो गई है कि लोग बैंक में जमा अपनी पूंजी भी पूरी तरह नहीं निकाल पा रहे हैं। राजेंद्र राणा ने कहा कि मौजूदा सरकार ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी हैं। उन्होंने कहा कि दो वर्ष पहले सुक्खू सरकार ने प्रदेश को कर्ज के दलदल में धकेल दिया है और सरकार अब तक 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज ले चुकी है, जिससे हिमाचल प्रदेश का भविष्य अंधकार में जा रहा है। राजेंद्र राणा ने कहा कि सरकार केवल प्रचार-प्रसार और वाहवाही की राजनीति में उलझी हुई है। जनता महंगाई से त्रस्त है, लेकिन सरकार ने पेंशनरों और कर्मचारियों को मात्र 3 प्रतिशत डीए देकर राहत का ढोंग रचा है। राणा ने कहा कि यह सरकार न किसानों की सुन रही है, न कर्मचारियों की, न युवाओं की। हर ओर नाराजगी है, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में हर वर्ग परेशान है। कर्मचारी हड़तालों पर हैं, ठेकेदार भुगतान के लिए दर-दर भटक रहे हैं, बेरोजगार नौकरियों की राह देख रहे हैं, और उद्योगपति नीतिगत अस्थिरता से त्रस्त हैं। इन सबके बीच सरकार सिर्फ अपनी ‘मित्र मंडली’ की तिजोरियां भरने में व्यस्त है। राजेंद्र राणा ने चेताया कि अगर सरकार ने जनता के मुद्दों की अनदेखी बंद नहीं की, तो जनता आने वाले समय में जवाब देना जानती है। उन्होंने कहा कि यह सरकार हिमाचल को विकास नहीं, बल्कि विनाश की दिशा में ले जा रही है। उन्होंने मांग की कि बघाट बैंक और कांगड़ा बैंक दोनों मामलों में उच्च-स्तरीय जांच करवाई जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किस तरह करोड़ों के ऋण माफ कर सत्ता से जुड़े लोग लाभान्वित हुए हैं।
हमीरपुर, 24 अक्टूबर [ विशाल सूद ] ! प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता एवं सुजानपुर के पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि बघाट बैंक में 138 करोड़ के एनपीए का मामला जनता की मेहनत की कमाई से किया गया सबसे बड़ा विश्वासघात है जो सरकार की सीधी संलिप्तता के बिना संभव ही नहीं था।
यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा की बाघाट बैंक में जो कारनामे सामने आ रहे हैं, उससे यह जाहिर होता है कि यह सब कुछ सत्ता के संरक्षण में चल रहा है, जहां जनता की गाढ़ी कमाई को सरकार अपने ‘मित्र धन्नासेठों’ की झोली में डाल रही है। इन दोनों मामलों ने सुक्खू सरकार के “ईमानदारी के दावों” की पोल खोल दी है।
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राजेंद्र राणा ने कहा कि कांगड़ा बैंक का मामला अभी सुर्खियों में ही था कि अब बघाट बैंक में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है जिसमें बैंक के करीब 22 हजार शेयरहोल्डरों का विश्वास तोड़ा गया है। ये वही आम लोग हैं जिन्होंने अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए पैसा लगाया था, लेकिन सरकार ने उसे अपने चहेतों पर लुटा दिया। उन्होंने कहा की स्थिति यह हो गई है कि लोग बैंक में जमा अपनी पूंजी भी पूरी तरह नहीं निकाल पा रहे हैं।
राजेंद्र राणा ने कहा कि मौजूदा सरकार ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी हैं। उन्होंने कहा कि दो वर्ष पहले सुक्खू सरकार ने प्रदेश को कर्ज के दलदल में धकेल दिया है और सरकार अब तक 40 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज ले चुकी है, जिससे हिमाचल प्रदेश का भविष्य अंधकार में जा रहा है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि सरकार केवल प्रचार-प्रसार और वाहवाही की राजनीति में उलझी हुई है। जनता महंगाई से त्रस्त है, लेकिन सरकार ने पेंशनरों और कर्मचारियों को मात्र 3 प्रतिशत डीए देकर राहत का ढोंग रचा है। राणा ने कहा कि यह सरकार न किसानों की सुन रही है, न कर्मचारियों की, न युवाओं की। हर ओर नाराजगी है, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।
उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में हर वर्ग परेशान है। कर्मचारी हड़तालों पर हैं, ठेकेदार भुगतान के लिए दर-दर भटक रहे हैं, बेरोजगार नौकरियों की राह देख रहे हैं, और उद्योगपति नीतिगत अस्थिरता से त्रस्त हैं। इन सबके बीच सरकार सिर्फ अपनी ‘मित्र मंडली’ की तिजोरियां भरने में व्यस्त है।
राजेंद्र राणा ने चेताया कि अगर सरकार ने जनता के मुद्दों की अनदेखी बंद नहीं की, तो जनता आने वाले समय में जवाब देना जानती है। उन्होंने कहा कि यह सरकार हिमाचल को विकास नहीं, बल्कि विनाश की दिशा में ले जा रही है।
उन्होंने मांग की कि बघाट बैंक और कांगड़ा बैंक दोनों मामलों में उच्च-स्तरीय जांच करवाई जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किस तरह करोड़ों के ऋण माफ कर सत्ता से जुड़े लोग लाभान्वित हुए हैं।
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