व्यापारी वर्ग इस मूददे पर दो धड़ों में बंटा
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शिमला , 24 अक्टूबर [ विशाल सूद ] : पहाड़ों की रानी शिमला में गत दिनों पहले लोअर बाज़ार के दोनों छोर पर लोअर माल के साइन बोर्ड लगाने का मामला गरमा गया है।शिमला में गत दिनों पहले शेरे पंजाब और उपायुक्त कार्यालय के समीप लोअर बाजार की जगह इसके स्थान पर लोअर माल के साइन बोर्ड लगाए गए ।इन बोर्ड के लगने के बाद सोशल मीडिया पर जनता ने लोअर बाजार के इस नए नाम लोअर माल को खूब ट्रोल किया और इसका विरोध जताया। यहां तक कि माल रोड बिज़नेस एसोसिएशन ने भी इसका विरोध जताया है।वहीं लोअर बाजार के व्यापारी इस साइन बोर्ड के लगाने के पक्ष में है।फिलहाल इस मामले में माल रोड और लोअर बाजार के व्यापारी दो धड़ों में बंटे नजर आए। वहीं नगर निगम ने बिना अनुमति के लगे इन होर्डिंग्स को लेकर पीडब्ल्यूडी को नोटिस जारी कर दिए हैं। नगर निगम महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि यह मामला उनके मीडिया के माध्यम से उनके संज्ञान में आया है।उन्होंने कहा कि इन साइन बोर्ड को लगाने की किसी प्रकार को अनुमति नही ली गयी है।जबकि नगर निगम को परिधि में अगर कोई बोर्ड या होर्डिंग्स लगाए जाते हैं तो उसके लिए नगर निगम को अनुमति लेना आवश्यक है।जबकि इसके लिए कोई अनुमति नगर निगम से नही ली गयी है। नगर निगम आयुक्त से प्राप्त जानकारी से पता चला कि यह साइन बोर्ड पीडब्ल्यूडी द्वारा लगाया गया है। उन्होंने कहा कि नगर निगम की परिधि में किसी भी प्रकार का बोर्ड लगाने के लिए अनुमति लेना आवश्यक है। इस बाबत अब पीडब्ल्यूडी को नोटिस जारी कर दिया गया है उन्होंने कहा कि इस साइन बोर्ड को लेकर कुछ व्यापारियों का विरोध भी था और वह नगर निगम आयुक्त से भी मिले हैं।उन्होंने कहा कि इसका नाम लोअर बाजार था या ब्रिटिश काल समय मे लोअर माल था वह डाक्यूमेंट्स के आदहर पर और जानकारी जुटाकर ही पता चल सकता है।फिलहाल इसे लोअर बाजार के नाम से ही जाना जाता है। वहीं शिमला व्यापार मंडल के पूर्व प्रधान इंदरजीत सिंह व वर्तमान प्रधान संजीव ठाकुर ने कहा कि इन साइन बोर्ड से कोई आपत्ति नही है।लेकिन अगर यह नाम बदल गया है तो क्यों और किसने बदला है।यह जानना आवश्यक है।साथ ही लोअर बाजार का नाम ब्रिटिशकाल समय मे लोअर माल हुआ करता था।आजादी के बाद इसे लोअर बाजार से जाना जाने लगा ।उन्होंने कहा कि इससे लोगों,पर्यटकों को फायदा मिलेगा साथ ही लोअर बाजार के व्यापारियों को लाभ मिलेगा।इस पर राजनीति करना ठीक नही है। इसके साथ माल रोड बिज़नेस एसोसिएशन ने इस लोअर माल का साइन बोर्ड लगने पर एतराज जताते हुए वीरेंद्र ऋषि ने कहा कि लोअर माल का बोर्ड लगाकर भ्रांति पैदा होती है।जो पर्यटक या ग्राहक जो पहली बार शिमला आता है उसके लिए इन साइन बोर्ड से भ्रम पैदा होता है।इसमे कोई राजनीति नही होनी चाहिए।लेकिन नाम बदलने में माल रोड बिज़नेस एसोसिएशन को आपत्ति है।इस मूददे को लेकर माल रोड का व्यापारी नगर निगम आयुक्त से भी मिला है।
शिमला , 24 अक्टूबर [ विशाल सूद ] : पहाड़ों की रानी शिमला में गत दिनों पहले लोअर बाज़ार के दोनों छोर पर लोअर माल के साइन बोर्ड लगाने का मामला गरमा गया है।शिमला में गत दिनों पहले शेरे पंजाब और उपायुक्त कार्यालय के समीप लोअर बाजार की जगह इसके स्थान पर लोअर माल के साइन बोर्ड लगाए गए ।इन बोर्ड के लगने के बाद सोशल मीडिया पर जनता ने लोअर बाजार के इस नए नाम लोअर माल को खूब ट्रोल किया और इसका विरोध जताया।
यहां तक कि माल रोड बिज़नेस एसोसिएशन ने भी इसका विरोध जताया है।वहीं लोअर बाजार के व्यापारी इस साइन बोर्ड के लगाने के पक्ष में है।फिलहाल इस मामले में माल रोड और लोअर बाजार के व्यापारी दो धड़ों में बंटे नजर आए। वहीं नगर निगम ने बिना अनुमति के लगे इन होर्डिंग्स को लेकर पीडब्ल्यूडी को नोटिस जारी कर दिए हैं।
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नगर निगम महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि यह मामला उनके मीडिया के माध्यम से उनके संज्ञान में आया है।उन्होंने कहा कि इन साइन बोर्ड को लगाने की किसी प्रकार को अनुमति नही ली गयी है।जबकि नगर निगम को परिधि में अगर कोई बोर्ड या होर्डिंग्स लगाए जाते हैं तो उसके लिए नगर निगम को अनुमति लेना आवश्यक है।जबकि इसके लिए कोई अनुमति नगर निगम से नही ली गयी है।
नगर निगम आयुक्त से प्राप्त जानकारी से पता चला कि यह साइन बोर्ड पीडब्ल्यूडी द्वारा लगाया गया है। उन्होंने कहा कि नगर निगम की परिधि में किसी भी प्रकार का बोर्ड लगाने के लिए अनुमति लेना आवश्यक है। इस बाबत अब पीडब्ल्यूडी को नोटिस जारी कर दिया गया है उन्होंने कहा कि इस साइन बोर्ड को लेकर कुछ व्यापारियों का विरोध भी था और वह नगर निगम आयुक्त से भी मिले हैं।उन्होंने कहा कि इसका नाम लोअर बाजार था या ब्रिटिश काल समय मे लोअर माल था वह डाक्यूमेंट्स के आदहर पर और जानकारी जुटाकर ही पता चल सकता है।फिलहाल इसे लोअर बाजार के नाम से ही जाना जाता है।
वहीं शिमला व्यापार मंडल के पूर्व प्रधान इंदरजीत सिंह व वर्तमान प्रधान संजीव ठाकुर ने कहा कि इन साइन बोर्ड से कोई आपत्ति नही है।लेकिन अगर यह नाम बदल गया है तो क्यों और किसने बदला है।यह जानना आवश्यक है।साथ ही लोअर बाजार का नाम ब्रिटिशकाल समय मे लोअर माल हुआ करता था।आजादी के बाद इसे लोअर बाजार से जाना जाने लगा ।उन्होंने कहा कि इससे लोगों,पर्यटकों को फायदा मिलेगा साथ ही लोअर बाजार के व्यापारियों को लाभ मिलेगा।इस पर राजनीति करना ठीक नही है।
इसके साथ माल रोड बिज़नेस एसोसिएशन ने इस लोअर माल का साइन बोर्ड लगने पर एतराज जताते हुए वीरेंद्र ऋषि ने कहा कि लोअर माल का बोर्ड लगाकर भ्रांति पैदा होती है।जो पर्यटक या ग्राहक जो पहली बार शिमला आता है उसके लिए इन साइन बोर्ड से भ्रम पैदा होता है।इसमे कोई राजनीति नही होनी चाहिए।लेकिन नाम बदलने में माल रोड बिज़नेस एसोसिएशन को आपत्ति है।इस मूददे को लेकर माल रोड का व्यापारी नगर निगम आयुक्त से भी मिला है।
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