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शिमला , 11 जून [ विशाल सूद ] ! सीटू जिला कमेटी शिमला की बैठक जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा की अध्यक्षता में सीटू राज्य कार्यालय किसान मजदूर भवन कैथू शिमला में हुई। बैठक में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा उपस्थित रहे। बैठक में 9 जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने, 108 एवं 102 एंबुलेंस कर्मियों के आंदोलन को तेज करने, मिड डे मील, आंगनबाड़ी एवं सीटू जिला सम्मेलन की तैयारियां करने का निर्णय लिया गया। बैठक को संबोधित करते हुए विजेंद्र मेहरा, कुलदीप डोगरा व अजय दुलटा ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के जरिए मजदूरों पर गुलामी थोपने व बंधुआ मजदूरी कायम करने के खिलाफ, 26 हजार न्यूनतम वेतन, योजना कर्मियों, आउटसोर्स, ठेका प्रथा, मल्टी टास्क, टेंपररी, कैजुअल, ट्रेनी की जगह नियमित रोजगार देने, मनरेगा बजट में बढ़ोतरी, मनरेगा मजदूरों हेतु न्यूनतम वेतन लागू करने, श्रमिक कल्याण बोर्ड के आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने आदि मांगों पर हिमाचल प्रदेश के हजारों मजदूर 9 जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार को चेताया कि अगर लेबर कोड तुरंत निरस्त न किए तो मोदी सरकार को भारी नुकसान झेलने के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि लेबर कोड लागू होने से सत्तर प्रतिशत उद्योग व चौहतर प्रतिशत मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। हड़ताल करने पर मजदूरों को कड़ी सजाओं व जुर्मानों का प्रावधान किया गया है। पक्के किस्म के रोजगार के बजाए ठेका प्रथा व फिक्स टर्म रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। काम के घंटे आठ के बजाए बारह घंटे करने से बंधुआ मजदूरी स्थापित होगी। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने तथा ग्रेच्युटी लागू करने, मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, बीमा क्षेत्र में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, मजदूरों के काम के घंटे आठ से बढ़ाकर बारह करने, केंद्रीय कर्मचारियों के एक सप्ताह में काम के घंटों को चालीस से बढ़ाकर पचास करने, अग्निवीर, आयुद्धवीर, कोयलावीर व अन्य फिक्स टर्म रोज़गार को रद्द करने, ईपीएफ, ईपीएस, ईडीएलआई सुविधा की अवहेलना करने पर सज़ा शर्तों में कटौती करने, असंगठित मजदूरों के लिए सार्वभौमिक व्यापक सामाजिक सुरक्षा देने, ठेका मजदूरों की रोज़गार सुरक्षा सुनिश्चित करने, उन्हें नियमित कर्मियों के बराबर वेतन देने, केंद्रीय व प्रदेश सरकार के बोर्ड व निगम कर्मियों की ओपीएस बहाल करने, न्यूनतम पेंशन 9 हज़ार लागू करने, मनरेगा व निर्माण मजदूरों के श्रमिक कल्या बोर्ड से आर्थिक लाभ व पंजीकरण सुविधा बहाल करने, एसटीपी मजदूरों के लिए शेडयूल एम्प्लॉयमेंट घोषित करने, आउटसोर्स व अस्पताल कर्मियों के लिए नीति बनाने, औद्योगिक मजदूरों को 40 प्रतिशत अधिक वेतन देने, तयबजारी को उजाड़ने के खिलाफ, आईटी, आईटीईएस उद्योगों को श्रम कानूनों से छूट देने के खिलाफ, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों कल लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने, आउटसोर्स, सैहब व 108 एवं 102 एंबुलेंस कर्मियों के लिए नीति बनाने, प्रदेशभर में नौकरी से निकाले गए सैंकड़ों कोविड कर्मियों को बहाल करने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, किसानों की कर्ज़ा मुक्ति आदि मांगों को लेकर आंदोलन तेज होगा। उन्होंने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। उन्होंने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों की मांगों को जनता में ले जाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना, महंगाई और डिपुओं में राशन प्रणाली, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा कर्मियों, बिजली बोर्ड, नगर निगमों, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के ओपीएस, बीआरओ के निजीकरण व नियमितीकरण, स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव आदि मुद्दों पर मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया जाएगा।
शिमला , 11 जून [ विशाल सूद ] ! सीटू जिला कमेटी शिमला की बैठक जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा की अध्यक्षता में सीटू राज्य कार्यालय किसान मजदूर भवन कैथू शिमला में हुई। बैठक में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा उपस्थित रहे। बैठक में 9 जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने, 108 एवं 102 एंबुलेंस कर्मियों के आंदोलन को तेज करने, मिड डे मील, आंगनबाड़ी एवं सीटू जिला सम्मेलन की तैयारियां करने का निर्णय लिया गया।
बैठक को संबोधित करते हुए विजेंद्र मेहरा, कुलदीप डोगरा व अजय दुलटा ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा मजदूर विरोधी चार लेबर कोड के जरिए मजदूरों पर गुलामी थोपने व बंधुआ मजदूरी कायम करने के खिलाफ, 26 हजार न्यूनतम वेतन, योजना कर्मियों, आउटसोर्स, ठेका प्रथा, मल्टी टास्क, टेंपररी, कैजुअल, ट्रेनी की जगह नियमित रोजगार देने, मनरेगा बजट में बढ़ोतरी, मनरेगा मजदूरों हेतु न्यूनतम वेतन लागू करने, श्रमिक कल्याण बोर्ड के आर्थिक लाभ सुनिश्चित करने आदि मांगों पर हिमाचल प्रदेश के हजारों मजदूर 9 जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान सड़कों पर उतरेंगे।
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उन्होंने केंद्र सरकार को चेताया कि अगर लेबर कोड तुरंत निरस्त न किए तो मोदी सरकार को भारी नुकसान झेलने के लिए मानसिक तौर पर तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि लेबर कोड लागू होने से सत्तर प्रतिशत उद्योग व चौहतर प्रतिशत मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। हड़ताल करने पर मजदूरों को कड़ी सजाओं व जुर्मानों का प्रावधान किया गया है।
पक्के किस्म के रोजगार के बजाए ठेका प्रथा व फिक्स टर्म रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। काम के घंटे आठ के बजाए बारह घंटे करने से बंधुआ मजदूरी स्थापित होगी। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने तथा ग्रेच्युटी लागू करने, मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन, बीमा क्षेत्र में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, मजदूरों के काम के घंटे आठ से बढ़ाकर बारह करने, केंद्रीय कर्मचारियों के एक सप्ताह में काम के घंटों को चालीस से बढ़ाकर पचास करने, अग्निवीर, आयुद्धवीर, कोयलावीर व अन्य फिक्स टर्म रोज़गार को रद्द करने, ईपीएफ, ईपीएस, ईडीएलआई सुविधा की अवहेलना करने पर सज़ा शर्तों में कटौती करने, असंगठित मजदूरों के लिए सार्वभौमिक व्यापक सामाजिक सुरक्षा देने, ठेका मजदूरों की रोज़गार सुरक्षा सुनिश्चित करने, उन्हें नियमित कर्मियों के बराबर वेतन देने, केंद्रीय व प्रदेश सरकार के बोर्ड व निगम कर्मियों की ओपीएस बहाल करने, न्यूनतम पेंशन 9 हज़ार लागू करने, मनरेगा व निर्माण मजदूरों के श्रमिक कल्या बोर्ड से आर्थिक लाभ व पंजीकरण सुविधा बहाल करने, एसटीपी मजदूरों के लिए शेडयूल एम्प्लॉयमेंट घोषित करने, आउटसोर्स व अस्पताल कर्मियों के लिए नीति बनाने, औद्योगिक मजदूरों को 40 प्रतिशत अधिक वेतन देने, तयबजारी को उजाड़ने के खिलाफ, आईटी, आईटीईएस उद्योगों को श्रम कानूनों से छूट देने के खिलाफ, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों कल लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने, आउटसोर्स, सैहब व 108 एवं 102 एंबुलेंस कर्मियों के लिए नीति बनाने, प्रदेशभर में नौकरी से निकाले गए सैंकड़ों कोविड कर्मियों को बहाल करने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, किसानों की कर्ज़ा मुक्ति आदि मांगों को लेकर आंदोलन तेज होगा।
उन्होंने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। उन्होंने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा में 600 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों की मांगों को जनता में ले जाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना, महंगाई और डिपुओं में राशन प्रणाली, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा कर्मियों, बिजली बोर्ड, नगर निगमों, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के ओपीएस, बीआरओ के निजीकरण व नियमितीकरण, स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव आदि मुद्दों पर मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का पर्दाफाश किया जाएगा।
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