Bootstrap
  • हिमाचल टीवी !
    • यूट्यूब चैनल !
    • लाइव टीवी चैनल !
  • क्षेत्र चुनें !
    • सभी
    • अन्य
    • बिलासपुर
    • चंबा
    • हमीरपुर
    • काँगड़ा
    • किन्नौर
    • कुल्लू
    • लाहौल-स्पिति
    • मंडी
    • शिमला
    • सिरमौर
    • सोलन
    • उना
  • वीडियो !
  • मैं भी पत्रकार !
    • मैं भी पत्रकार !
    • डाउनलोड एंड्राइड ऐप !
    • डाउनलोड एप्पल ऐप !
    • विज्ञापन अपलोड करें !
  • शिकायत / सुझाव !
    • शिकायत समाधान अधिकारी !
    • शिकायत दर्ज करें !
    • सुझाव दे !
  • हमारे बारे में !
  • संपर्क करे !
  • हिमाचल टीवी !
    • यूट्यूब चैनल !
    • लाइव टीवी चैनल !
  • क्षेत्र चुनें !
      • सभी
      • अन्य
      • बिलासपुर
      • चंबा
      • हमीरपुर
      • काँगड़ा
      • किन्नौर
      • कुल्लू
      • लाहौल-स्पिति
      • मंडी
      • शिमला
      • सिरमौर
      • सोलन
      • उना

      Khabar Himachal Se

      शिमला  ! हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में 2019-2023 के बीच शिक्षकों की भर्ती संदेह के घेरे में।

      Khabar Himachal Se

      लाहौल ! 14 से 16 अगस्त जक आयोजित किया जाएगा तीन दिवसीय राज्य स्तरीय जनजातीय उत्सव !

      Khabar Himachal Se

      बिलासपुर  ! बढ़ती जनसंख्या चिन्ता का विषय : आशुतोष शर्मा  ! 

      Khabar Himachal Se

      शिमला  ! मुख्यमंत्री ने अत्याधुनिक मत्स्य पालन प्रशिक्षण केन्द्र दियोली और भंजाल में 5 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना की आधारशिला रखी  !

  • वीडियो !
    • खबर हिमाचल से ,वीडियो

      लाहौल ! 14 से 16 अगस्त जक आयोजित किया जाएगा तीन दिवसीय राज्य स्तरीय जनजातीय उत्सव !

      खबर हिमाचल से ,वीडियो

      सोलन ! सब्जी मंडी में 40 से 50 रूपए प्रतिकिलों के हिसाब से बिका टमाटर, किसानों के खिले चेहरे !

      खबर हिमाचल से ,वीडियो

      बिलासपुर ! एमआरपी से अधिक दाम वसूलने वालों के खिलाफ कार्यवाही कर ठोंका 50,000 का जुर्माना ! 

      खबर हिमाचल से ,वीडियो

      सिरमौर ! चुनवी-चाड़ना के मध्य भूस्खलन होने के कारण लगभग 1 घंटा मार्ग रहा बंद ! 

      खबर हिमाचल से ,वीडियो

      सोलन ! राजकीय प्राथमिक पाठशाला पुंजविला में स्थापित किया गया स्मार्ट क्लासरूम !

  • मैं भी पत्रकार !
    • मैं भी पत्रकार !
    • डाउनलोड एंड्राइड ऐप !
    • डाउनलोड एप्पल ऐप !
    • विज्ञापन अपलोड करें !
  • शिकायत / सुझाव !
    • शिकायत समाधान अधिकारी !
    • शिकायत दर्ज करें !
    • सुझाव दे !
  • हमारे बारे में !
  • संपर्क करे !
खोजें

अभी प्रचलित

  • बिलासपुर ! एमआरपी से अधिक दाम वसूलने वालों के खिलाफ कार्यवाही कर ठोंका 50,000 का जुर्माना ! 
  • !! राशिफल 11 जुलाई 2024 गुरुवार !!
  • चम्बा ! मणिमहेश डलझील की और जाने वाले रास्ते में पहाड़ी से हुआ भूस्खलन ! 
  • कुल्लू ! देवता त्रिजूगी नारायण के मंदिर की हुई प्राण प्रतिष्ठा, काष्टकुणी शैली में बना मंदिर, बनने में लगे तीन साल।
  • शिमला ! डीजीपी अतुल वर्मा ने सुक्खू सरकार से मांगा 2 साल का अतिरिक्त कार्यकाल ! 
  • बिलासपुर ! व्यक्ति ने लगाया फं#दा, हुई मौ#त !
  • सोलन ! राजकीय प्राथमिक पाठशाला पुंजविला में स्थापित किया गया स्मार्ट क्लासरूम !
  • चम्बा  ! स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग चम्बा द्वारा आज विश्व जनसंख्या दिवस का किया गया आयोजन  ! 
  • ऊना  ! समाज सेवी डॉक्टर  महिन्द्र शर्मा  ने  श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड  कटरा को  लंगर आयोजित करने के लिए  आज एक करोड़ एक लाख रूपये की धनराशि दान की  ! 
  • बिलासपुर ! बिलासपुर में मेले के सफल आयोजन को लेकर बैठक का आयोजन ! 
  • सिरमौर ! चुनवी-चाड़ना के मध्य भूस्खलन होने के कारण लगभग 1 घंटा मार्ग रहा बंद ! 
  • बिलासपुर  ! राजेश धर्माणी ने नवोन्मेषी प्रयासों के साथ प्रतिस्पर्धात्मक कार्य प्रणाली अपनाने पर बल दिया ! 
  • शिमला ! सेहब सोसाइटी वेलफेयर वर्कर यूनियन ने खोला एमसी के खिलाफ़ मोर्चा, सफाई कर्मचारियों को एमसी में मर्ज करने की प्रमुख मांग !
  • शिमला  ! सामान्य भविष्य निधि अभिदाताओं की वार्षिक विवरणियां वेबसाइट पर उपलब्ध  ! 
  • शिमला  ! बागवानों के पास बचे टेलीस्कोपिक कॉर्टन ख़रीदे सरकार : जयराम ठाकुर  ! 
  • सोलन ! सब्जी मंडी में 40 से 50 रूपए प्रतिकिलों के हिसाब से बिका टमाटर, किसानों के खिले चेहरे !
  • शिमला  ! खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में हिमाचल सर्वश्रेष्ठ राज्य पुरस्कार से सम्मानितः हर्षवर्धन चौहान  ! 
  • शिमला  ! भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा आधार पर कार्यशाला आयोजित  ! 
  • शिमला  ! हिमाचल को कौशल हब के रूप में किया जा रहा विकसित: राजेश धर्माणी  ! 
  • शिमला  ! मुख्यमंत्री ने अत्याधुनिक मत्स्य पालन प्रशिक्षण केन्द्र दियोली और भंजाल में 5 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना की आधारशिला रखी  !
और अधिक खबरें

शिमला  ! हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में 2019-2023 के बीच शिक्षकों की भर्ती संदेह के घेरे में।

July 11, 2024 @ 09:14 pm

लाहौल ! 14 से 16 अगस्त जक आयोजित किया जाएगा तीन दिवसीय राज्य स्तरीय जनजातीय उत्सव !

July 11, 2024 @ 09:13 pm

बिलासपुर  ! बढ़ती जनसंख्या चिन्ता का विषय : आशुतोष शर्मा  ! 

July 11, 2024 @ 09:03 pm

शिमला  ! मुख्यमंत्री ने अत्याधुनिक मत्स्य पालन प्रशिक्षण केन्द्र दियोली और भंजाल में 5 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना की आधारशिला रखी  !

July 11, 2024 @ 08:52 pm
होम Khabar Himachal Seशिमला  ! हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में 2019-2023 के बीच शिक्षकों की भर्ती संदेह के घेरे में।
  • खबर हिमाचल से

शिमला  ! हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में 2019-2023 के बीच शिक्षकों की भर्ती संदेह के घेरे में।

द्वारा
शिवानी जरयाल -
शिमला ( शिमला ) - July 11, 2024 @ 09:14 pm
0

- विज्ञापन (Article Top Ad) -

शिमला  , 11 जुलाई, [ शिवानी  ] ! विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्तियों का अधिकार कार्यकारी परिषद (ईसी) के पास है। ईसी ने ये अधिकार कुलपति को दिए थे। हालांकि, ईसी ऐसे अधिकार कुलाधिपति को नहीं दे सकता। अगर ईसी ऐसा करता है तो इसे एचपीयू के एक्ट 12 सी 7 के खिलाफ माना जाएगा। इन भर्तियों को लेकर हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि ईसी ने अपनी बैठक में प्रस्ताव पारित कर कुलपति को ऐसे अधिकार दिए हैं। हाईकोर्ट ने इसे अवैध करार देते हुए गणित विभाग के दो एसोसिएट प्रोफेसर और एक ईडब्ल्यूएस की नियुक्ति भी रद्द कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में तय मानकों की अनदेखी की गई है। याचिकाओं में आरटीआई के जरिए जुटाई गई जानकारी में पाया गया कि कुलपति ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में चहेतों का इस्तेमाल किया। लाभ देने के लिए यूजीसी मानकों की अनदेखी की गई है। शिक्षक भर्ती के संबंध में एग्जीक्यूटिव काउंसलिंग ही निर्णय लेती है। पूर्व कुलपति डॉ. सिकंदर कुमार और एसपी बंसल पर आरोप हैं कि उन्होंने पद पर रहते हुए अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया। पीएचडी नियमित मोड में की हो।पीएचडी का मूल्यांकन बाहरी परीक्षक से कराया हो। हाईकोर्ट ने दो एसोसिएट प्रोफेसर और एक ईडब्ल्यूएस की नियुक्ति रद्द की। कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि जिन लोगों को नियुक्ति दी गई है, उनमें से अधिकांश इन शर्तों को पूरा नहीं करते हैं। कोर्ट में ईडब्ल्यूएस और ओबीसी प्रमाण पत्रों पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अवैध रूप से अयोग्य व्यक्तियों को शिक्षक नियुक्त कर योग्य उम्मीदवारों के साथ खिलवाड़ किया है। अयोग्य शिक्षकों की भर्ती ने लाखों छात्रों के जीवन को अंधकार में डाल दिया है।  विश्वविद्यालय शोध और नए विचारों के आदान-प्रदान के लिए जाना जाता है। ऐसे में अगर शिक्षक चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में है तो यह आने वाले समय के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए। लगभग 250 शिक्षकों और 400 गैर शिक्षक की गलत तरीके से नियुक्ति की गई है। ये सभी एचपीयू में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि चयन प्रक्रिया में फर्जी शोध पत्रों के आधार पर नियुक्तियां की गईं। इसलिए SFI मांग कर रही है कि जल्द से जल्द इस भर्ती पर माननीय उच्च न्यायालय शिमला के मुख्य न्यायधीशों का आयोग बनाया जाए जो इसकी जांच कर सके। आईए षिक्षक भर्ती संबंधित भर्जीवाड़े के मुख्य बिन्दुओ को समझेंः फर्जी षोध-पत्रों के आधार पर नियुक्तियांः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के मुताबिक विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि उम्मीदवार ने शोध कार्य किया हो और यूजीसी द्वारा निर्दिष्ट पत्रिकाओं में शोध पत्र/लेख प्रकाशित किए हों। लेकिन अधिकांश लोगों जिन्हें नियुक्ति दी है इस शर्त को पूरा नहीं करते हैं। कई फर्जी शोधकार्यों को दिखा कर साक्षात्कार के लिए छंटनी की गई है। कई ऐसे लायक और योग्य उम्मीदवार थे जिनके शोध-पत्र अच्छे-2 पत्रिकाओं में छपने के बाद भी बरियता नहीं दी गई क्योंकि वो खास विचारधारा से तालुत नहीं रखते थे। गैरकानूनी तरीके नेट छूट प्रमाण-पत्र जारी किए गएः एचपीयू में भर्ती के लिए एक उम्मीदवार ने यूजीसी से राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) उत्तीर्ण की होनी चाहिए। अगर जिनके पास एनईटी योग्यता नहीं होती तो उनकी पीएचडी की डिग्री यूजीसी के 2009 नियमों के अनुसार अवार्ड हो नेट परीक्षा से छूट दी जाती है। ये छूट उन्ही अभ्यार्थियों मिलती है जो पांच शर्तों के तहत योग्यता रखते हों जैसेः 1ण् पीएचडी थीसिस से संबंधित दो शोध-पत्रों को प्रकाशन पीयर रिब्युड या यूजीसी केयर लिस्टड पत्रिकाओं में प्रकाशित होने चाहिए। 2ण् अपने पीएचडी विषय पर कम से कम दो सेमिनारों में भाग लिया होना चाहिए। 3ण् पीएचडी नियमित यानि रेगुलर मोड में की गई होनी चाहिए।  पीएचडी का मूल्यांकन बाहरी परीक्षक द्वारा किया गया हो और 5ण् पीएचडी का वचमद अपअं आयोजित किया हो। यह देखा गया है कि कुछ चुनिंदा लोगों को पी0एच0डी0 की डिग्री उपरलिखित शर्तों का उल्लंघन करते हुए दी गई फिर भी उनको यू0जी0सी0 नेट की योग्याता से छूट दी गई। अनुभव प्रमाणपत्रः पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार के पास यूजीसी विनियमन 2018 के खंड 10 में सहायक प्रोफेसर और प्रोफेसर के पद के लिए निर्दिष्ट अवधि का अनुभव होना चाहिए। ऐसे मामलों में नियुक्तियां की गई हैं जहां पिछले संस्थान से सिर्फ एक साधारण प्रमाणपत्र संलग्न किया गया है बिना अन्य विवरण के। उदाहरण के लिए, एक उम्मीदवार जिसके पास ऐसा प्रमाणपत्र है जिसे पिछले संस्थान में प्रक्रियाओं का पालन करते हुए नियुक्त किया जाना चाहिए था।  इसके अलावा, सेवा पुस्तिका, आयकर रिटर्न आदि का उल्लेख होना चाहिए, हालांकि चयनित उम्मीदवारों में से कुछ में ये सभी विवरण और आवश्यक अनुभव नहीं हैं। कुछ उम्मीदवारों ने असाधारण अवकाश लिया था और इस अवकाश अवधि को भी शोध और शिक्षण में अनुभव का हिस्सा माना गया है। ज्यादातर मामले निजी संस्थानों के हैं जहां उम्मीदवार ने न्यूनतम योग्यता के बिना सेवा की है, लेकिन उसी अनुभव को उनकी भर्ती के लिए गिना गया है। एक विभाग से दूसरे विभाग में पद का हस्तांतरणः जैव प्रौद्योगिकी विभाग से शारीरिक शिक्षा विभाग और फिर एमबीए से एमटीए में पदों का अवैध रूप से आरक्षण रोस्टर के अनुप्रयोग के विपरीत बिना अकादमिक परिषद की मंजूरी के स्थानांतरित किया गया। यह भाजपा/आरएसएस कैडर को समायोजित करने के लिए किया गया था। ईडब्ल्यूएस और ओबीसी प्रमाणपत्र धोखाधड़ीः हम सभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की परिभाषा जानते हैं। एक व्यक्ति जो 10 वर्षों तक सहायक प्रोफेसर के रूप में सेवा देने के बाद एसोसिएट प्रोफेसर के पद के लिए योग्य है, वह ईडब्ल्यूएस श्रेणी में कैसे रहता है? क्या यह मजाक है या एक आपराधिक कृत्य? ईडब्ल्यूएस के आधार पर एक नियुक्ति को पहले ही माननीय उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया है। लेकिन कई अन्य मामलों की जांच अभी बाकी है। ओबीसी के कई उम्मीदवार आरक्षित सीटों के खिलाफ नियुक्त किए गए हैं लेकिन उनके पिछले अनुभव बताते हैं कि वे पहले से ही नियमित यूजीसी वेतनमान के तहत सहायक/सहयोगी प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे, तो सवाल यह है कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान गैर-क्रीमी लेयर (एनसीएल) की शर्त को कैसे नजरअंदाज किया गया है। ईसी की शक्तियों को हड़पनाः कार्यकारी परिषद एचपीयू अधिनियम के तहत सर्वाेच्च निर्णय लेने वाली निकाय है। ईसी को भी भर्ती में त्रुटियों की जांच करने का अधिकार है यदि उन्हें स्क्रीनिंग पैनल द्वारा संबोधित नहीं किया गया हो। हालांकि, कार्यवाहक कुलपति बंसल ने उन शक्तियों को हड़प लिया और इसके बजाय ईसी को मामला ले जाने के बिना, सुबह साक्षात्कार किए गए उम्मीदवारों को उसी दिन नियुक्ति पत्र जारी किए। यूआईआईटी में 15 शिक्षकों की घोटालेबाज भर्ती मामलाः जिनके पास पीएचडी डिग्री थी उन्हें छोड़ दिया गया और एम.टेक को नियुक्त किया गया। कुछ भर्तियां उन लोगों द्वारा की गईं जो दुकानों में तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में सेवा कर रहे थे। सबसे बुरा हिस्सा शैक्षणिक भ्रष्टाचारः ऐसे मामले हैं जहां चयन सूची के अंतिम 40 को नियुक्ति दी गई और शीर्ष उम्मीदवारों को छोड़ दिया गया। फिर ऐसे मामले भी हैं जहां स्क्रीनिंग समिति द्वारा अयोग्य पाए गए उम्मीदवार को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया और विश्वविद्यालय में नियुक्त किया गया। बड़े पैमाने पर वित्तीय लाभ प्रदान करनाः नियमों के उल्लंघन में, एचपीयू में नियुक्त कुछ शिक्षकों को निजी कॉलेजों में उनकी सेवा के लिए लाखों रुपये के एरियर दिए गए। आर0एस0एस0 से जुड़े षिक्षक जो साल 2012 में नियुक्त हुए लेकिन निजि संस्थाओं के फर्जी अनुभवों को जोड़ कर उनकी पिछली के आधार पर 2017-18 में ही प्रोफैसर नियुक्त किया गया। और लाखों का एरियर नियमों के विरूद्ध दिया गया। उदाहरण के तौर पर कानून यह है कि एक षिक्षक ने वि0वि0 में नियुक्त होने से पहले तीन निजी या सरकारी संस्थानों ;क, ख और गद्ध में नौकरी की है और प्रदेष विद्यालय में उनकी पहले चारों संस्थानों की सेवाओ को एक साथ नही जोड़ा जाता। वि0वि0 सिर्फ तत्काल पहले संस्थान यानि ’ग’ की सेवाओं को जोडे़गा। संस्थान क और ख की सेवाकाल का अनुभव जोड़ने का अवसर संस्थान ग के पास था। यानि गलत तरीके से अनुभव जोड़कर वि0वि0 के पैसे का दुरूप्योग किया गया है जो नियमों के विरूद्ध है।     गैरकानूनी गैर-शैक्षणिक भर्ती प्रो. सिकंदर कुमार ने कंप्यूटर सेंटर के स्टाफ, विशेषकर डॉ. मुकेश कुमार और आरएसएस के एक सदस्य जसरोटिया की मिलीभगत से कंप्यूटर सेंटर में बड़ी संख्या में आउटसोर्स कर्मचारियों को नियुक्त किया और बाद में उन्हें कंप्यूटर ऑपरेटर, जेओए (आईटी), चपरासी और प्रोग्रामर के रूप में नामित किया। अगर आउटसोर्स रिकॉर्ड की जांच हो तो सही तस्वीर सामने आएगी। उस समय के कुलपति की नियुक्ति के दौरान, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय गैरकानूनी भर्तियों को उजागर करने वाले विभागों में से एक था, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई। हालांकि, एक महिला, जिसके पास आवश्यक योग्यता नहीं थी, उसे विश्वविद्यालय के महिला केंद्र में नियुक्त किया गया क्योंकि उसका पति भाजपा से संबंधित था और उसने राजनीतिक पार्टी (भाजपा) से संपर्क करके खुद को विश्वविद्यालय में नियुक्त करवाया। राजनीतिक पार्टी के पद पर रहते हुए विश्वविद्यालय में संपादकों के पद पर की गई गैरकानूनी भर्तियों पर भी संदेह है क्योंकि उनके पास आवश्यक डिग्री/योग्यता नहीं थी और वे मोटी तनख्वाह ले रहे थे। एक व्यक्ति, जो विश्वविद्यालय में नियमित एम.टेक. का छात्र है, अर्थात श्री विनोद कुमार, श्री ब्रह्म दास के पुत्र, जो प्रो. सिकंदर कुमार के रिश्तेदार थे, को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रोग्रामर के रूप में नियुक्त किया गया, भले ही वह एम.टेक. का नियमित छात्र था और विश्वविद्यालय के कंप्यूटर सेंटर में नियमित कक्षाएं ले रहा था। इसके परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में गैरकानूनी भर्तियां की गईं, भले ही उनके पास आवश्यक योग्यता नहीं थी, जिससे विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति और सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। उस समय हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्थिति हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के समान थी, जहां भी बड़ी संख्या में गैरकानूनी भर्तियां हुईं और अब दोषी कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया है। इसलिए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में गैरकानूनी भर्तियों की भी पूरी जांच की जा सकती है, जैसा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कंप्यूटर सेंटर/स्थापना शाखा से आउटसोर्स कर्मचारियों के विवरण से पता चलता है और प्रो. सिकंदर कुमार और उस समय के कंप्यूटर सेंटर में नियुक्त कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है और उनकी तनख्वाह/देय जब्त की जा सकती है। उपरोक्त तथ्यों के दृष्टिगत, कानून और समानता के हित में, आउटसोर्स कर्मचारियों रीसे संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड, जो आउटसोर्स आधार पर नियुक्त किए गए थे, कंप्यूटर सेंटर और विश्वविद्यालय की स्थापना शाखा से लिया जा सकता है और जांच के दौरान जब्त किया जा सकता है। यह सामान्य भूमि कानून है कि किसी भी सरकारी विभाग में नियुक्त कर्मचारी बिना सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के नियमित प्रवेश/कक्षाएं नहीं ले सकता। विश्वविद्यालय के मामले में, अधिकांश आउटसोर्स कर्मचारी नियमित प्रवेश प्राप्त कर रहे हैं और केवल विश्वविद्यालय के खजाने को बड़ा नुकसान पहुंचाने के लिए वेतन प्राप्त कर रहे हैं।   भर्ती में भ्रष्टाचार और प्रक्रियाओं के उल्लंघन का पैमाना इतना बड़ा है कि यह केवल कुछ शिक्षकों की भर्ती का मामला नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक धोखाधड़ी है जिसका नेतृत्व सत्ताधारी लोगों ने किया है और इसमें काफी मात्रा में रिश्वतखोरी शामिल है। इसलिए इस मामले की पूरी तरह से जांच करने के लिए एक आयोग की आवश्यकता है, जो न केवल हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और उसके अधिकारियों के अवैधताओं की जांच करे बल्कि उन संस्थानों व लोगों की भी जांच करे जिन्होंने अनुभव प्रमाणपत्र धोखाधड़ी से और नियमों के विरूद्ध प्रदान किए हैं।  हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षकों और गैर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ SFI राज्य कमेटी की मांगे –इस भर्ती प्रक्रिया की पूरी तरह से जांच करने के लिए एक आयोग बनाया जाए ।एफ आई आर डॉक्टर सिकंदर के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।  भाजपा के राज्य सभा सांसद की सदस्यता रद की जाए। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति है वह इन भर्तियों की जाँच करवाये।एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में हुई इन गलत भर्तियों के खिलाफ कोर्ट में जन हित याचिका दायर करेगी।  

शिमला  , 11 जुलाई, [ शिवानी  ] ! विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्तियों का अधिकार कार्यकारी परिषद (ईसी) के पास है। ईसी ने ये अधिकार कुलपति को दिए थे। हालांकि, ईसी ऐसे अधिकार कुलाधिपति को नहीं दे सकता। अगर ईसी ऐसा करता है तो इसे एचपीयू के एक्ट 12 सी 7 के खिलाफ माना जाएगा।

इन भर्तियों को लेकर हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि ईसी ने अपनी बैठक में प्रस्ताव पारित कर कुलपति को ऐसे अधिकार दिए हैं। हाईकोर्ट ने इसे अवैध करार देते हुए गणित विभाग के दो एसोसिएट प्रोफेसर और एक ईडब्ल्यूएस की नियुक्ति भी रद्द कर दी थी।

- विज्ञापन (Article Inline Ad) -

हाईकोर्ट ने कहा था कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में तय मानकों की अनदेखी की गई है। याचिकाओं में आरटीआई के जरिए जुटाई गई जानकारी में पाया गया कि कुलपति ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में चहेतों का इस्तेमाल किया। लाभ देने के लिए यूजीसी मानकों की अनदेखी की गई है। शिक्षक भर्ती के संबंध में एग्जीक्यूटिव काउंसलिंग ही निर्णय लेती है। पूर्व कुलपति डॉ. सिकंदर कुमार और एसपी बंसल पर आरोप हैं कि उन्होंने पद पर रहते हुए अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया।

पीएचडी नियमित मोड में की हो।
पीएचडी का मूल्यांकन बाहरी परीक्षक से कराया हो।

हाईकोर्ट ने दो एसोसिएट प्रोफेसर और एक ईडब्ल्यूएस की नियुक्ति रद्द की।


कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि जिन लोगों को नियुक्ति दी गई है, उनमें से अधिकांश इन शर्तों को पूरा नहीं करते हैं। कोर्ट में ईडब्ल्यूएस और ओबीसी प्रमाण पत्रों पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने अवैध रूप से अयोग्य व्यक्तियों को शिक्षक नियुक्त कर योग्य उम्मीदवारों के साथ खिलवाड़ किया है। अयोग्य शिक्षकों की भर्ती ने लाखों छात्रों के जीवन को अंधकार में डाल दिया है।

 विश्वविद्यालय शोध और नए विचारों के आदान-प्रदान के लिए जाना जाता है। ऐसे में अगर शिक्षक चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में है तो यह आने वाले समय के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए।

लगभग 250 शिक्षकों और 400 गैर शिक्षक की गलत तरीके से नियुक्ति की गई है। ये सभी एचपीयू में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि चयन प्रक्रिया में फर्जी शोध पत्रों के आधार पर नियुक्तियां की गईं। इसलिए SFI मांग कर रही है कि जल्द से जल्द इस भर्ती पर माननीय उच्च न्यायालय शिमला के मुख्य न्यायधीशों का आयोग बनाया जाए जो इसकी जांच कर सके।

आईए षिक्षक भर्ती संबंधित भर्जीवाड़े के मुख्य बिन्दुओ को समझेंः

फर्जी षोध-पत्रों के आधार पर नियुक्तियांः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के मुताबिक विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि उम्मीदवार ने शोध कार्य किया हो और यूजीसी द्वारा निर्दिष्ट पत्रिकाओं में शोध पत्र/लेख प्रकाशित किए हों। लेकिन अधिकांश लोगों जिन्हें नियुक्ति दी है इस शर्त को पूरा नहीं करते हैं।

कई फर्जी शोधकार्यों को दिखा कर साक्षात्कार के लिए छंटनी की गई है। कई ऐसे लायक और योग्य उम्मीदवार थे जिनके शोध-पत्र अच्छे-2 पत्रिकाओं में छपने के बाद भी बरियता नहीं दी गई क्योंकि वो खास विचारधारा से तालुत नहीं रखते थे।

गैरकानूनी तरीके नेट छूट प्रमाण-पत्र जारी किए गएः एचपीयू में भर्ती के लिए एक उम्मीदवार ने यूजीसी से राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) उत्तीर्ण की होनी चाहिए। अगर जिनके पास एनईटी योग्यता नहीं होती तो उनकी पीएचडी की डिग्री यूजीसी के 2009 नियमों के अनुसार अवार्ड हो नेट परीक्षा से छूट दी जाती है। ये छूट उन्ही अभ्यार्थियों मिलती है जो पांच शर्तों के तहत योग्यता रखते हों जैसेः 1ण् पीएचडी थीसिस से संबंधित दो शोध-पत्रों को प्रकाशन पीयर रिब्युड या यूजीसी केयर लिस्टड पत्रिकाओं में प्रकाशित होने चाहिए। 2ण् अपने पीएचडी विषय पर कम से कम दो सेमिनारों में भाग लिया होना चाहिए। 3ण् पीएचडी नियमित यानि रेगुलर मोड में की गई होनी चाहिए।  पीएचडी का मूल्यांकन बाहरी परीक्षक द्वारा किया गया हो और 5ण् पीएचडी का वचमद अपअं आयोजित किया हो। यह देखा गया है कि कुछ चुनिंदा लोगों को पी0एच0डी0 की डिग्री उपरलिखित शर्तों का उल्लंघन करते हुए दी गई फिर भी उनको यू0जी0सी0 नेट की योग्याता से छूट दी गई।


अनुभव प्रमाणपत्रः पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार के पास यूजीसी विनियमन 2018 के खंड 10 में सहायक प्रोफेसर और प्रोफेसर के पद के लिए निर्दिष्ट अवधि का अनुभव होना चाहिए। ऐसे मामलों में नियुक्तियां की गई हैं जहां पिछले संस्थान से सिर्फ एक साधारण प्रमाणपत्र संलग्न किया गया है बिना अन्य विवरण के। उदाहरण के लिए, एक उम्मीदवार जिसके पास ऐसा प्रमाणपत्र है जिसे पिछले संस्थान में प्रक्रियाओं का पालन करते हुए नियुक्त किया जाना चाहिए था।

 इसके अलावा, सेवा पुस्तिका, आयकर रिटर्न आदि का उल्लेख होना चाहिए, हालांकि चयनित उम्मीदवारों में से कुछ में ये सभी विवरण और आवश्यक अनुभव नहीं हैं। कुछ उम्मीदवारों ने असाधारण अवकाश लिया था और इस अवकाश अवधि को भी शोध और शिक्षण में अनुभव का हिस्सा माना गया है। ज्यादातर मामले निजी संस्थानों के हैं जहां उम्मीदवार ने न्यूनतम योग्यता के बिना सेवा की है, लेकिन उसी अनुभव को उनकी भर्ती के लिए गिना गया है।

एक विभाग से दूसरे विभाग में पद का हस्तांतरणः जैव प्रौद्योगिकी विभाग से शारीरिक शिक्षा विभाग और फिर एमबीए से एमटीए में पदों का अवैध रूप से आरक्षण रोस्टर के अनुप्रयोग के विपरीत बिना अकादमिक परिषद की मंजूरी के स्थानांतरित किया गया। यह भाजपा/आरएसएस कैडर को समायोजित करने के लिए किया गया था।


ईडब्ल्यूएस और ओबीसी प्रमाणपत्र धोखाधड़ीः हम सभी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की परिभाषा जानते हैं। एक व्यक्ति जो 10 वर्षों तक सहायक प्रोफेसर के रूप में सेवा देने के बाद एसोसिएट प्रोफेसर के पद के लिए योग्य है, वह ईडब्ल्यूएस श्रेणी में कैसे रहता है? क्या यह मजाक है या एक आपराधिक कृत्य? ईडब्ल्यूएस के आधार पर एक नियुक्ति को पहले ही माननीय उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया है।

लेकिन कई अन्य मामलों की जांच अभी बाकी है। ओबीसी के कई उम्मीदवार आरक्षित सीटों के खिलाफ नियुक्त किए गए हैं लेकिन उनके पिछले अनुभव बताते हैं कि वे पहले से ही नियमित यूजीसी वेतनमान के तहत सहायक/सहयोगी प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे, तो सवाल यह है कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान गैर-क्रीमी लेयर (एनसीएल) की शर्त को कैसे नजरअंदाज किया गया है।

ईसी की शक्तियों को हड़पनाः कार्यकारी परिषद एचपीयू अधिनियम के तहत सर्वाेच्च निर्णय लेने वाली निकाय है। ईसी को भी भर्ती में त्रुटियों की जांच करने का अधिकार है यदि उन्हें स्क्रीनिंग पैनल द्वारा संबोधित नहीं किया गया हो। हालांकि, कार्यवाहक कुलपति बंसल ने उन शक्तियों को हड़प लिया और इसके बजाय ईसी को मामला ले जाने के बिना, सुबह साक्षात्कार किए गए उम्मीदवारों को उसी दिन नियुक्ति पत्र जारी किए।


यूआईआईटी में 15 शिक्षकों की घोटालेबाज भर्ती मामलाः जिनके पास पीएचडी डिग्री थी उन्हें छोड़ दिया गया और एम.टेक को नियुक्त किया गया। कुछ भर्तियां उन लोगों द्वारा की गईं जो दुकानों में तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में सेवा कर रहे थे।

सबसे बुरा हिस्सा शैक्षणिक भ्रष्टाचारः ऐसे मामले हैं जहां चयन सूची के अंतिम 40 को नियुक्ति दी गई और शीर्ष उम्मीदवारों को छोड़ दिया गया। फिर ऐसे मामले भी हैं जहां स्क्रीनिंग समिति द्वारा अयोग्य पाए गए उम्मीदवार को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया और विश्वविद्यालय में नियुक्त किया गया।


बड़े पैमाने पर वित्तीय लाभ प्रदान करनाः नियमों के उल्लंघन में, एचपीयू में नियुक्त कुछ शिक्षकों को निजी कॉलेजों में उनकी सेवा के लिए लाखों रुपये के एरियर दिए गए। आर0एस0एस0 से जुड़े षिक्षक जो साल 2012 में नियुक्त हुए लेकिन निजि संस्थाओं के फर्जी अनुभवों को जोड़ कर उनकी पिछली के आधार पर 2017-18 में ही प्रोफैसर नियुक्त किया गया। और लाखों का एरियर नियमों के विरूद्ध दिया गया। उदाहरण के तौर पर कानून यह है कि एक षिक्षक ने वि0वि0 में नियुक्त होने से पहले तीन निजी या सरकारी संस्थानों ;क, ख और गद्ध में नौकरी की है और प्रदेष विद्यालय में उनकी पहले चारों संस्थानों की सेवाओ को एक साथ नही जोड़ा जाता। वि0वि0 सिर्फ तत्काल पहले संस्थान यानि ’ग’ की सेवाओं को जोडे़गा। संस्थान क और ख की सेवाकाल का अनुभव जोड़ने का अवसर संस्थान ग के पास था। यानि गलत तरीके से अनुभव जोड़कर वि0वि0 के पैसे का दुरूप्योग किया गया है जो नियमों के विरूद्ध है।  

 

गैरकानूनी गैर-शैक्षणिक भर्ती

प्रो. सिकंदर कुमार ने कंप्यूटर सेंटर के स्टाफ, विशेषकर डॉ. मुकेश कुमार और आरएसएस के एक सदस्य जसरोटिया की मिलीभगत से कंप्यूटर सेंटर में बड़ी संख्या में आउटसोर्स कर्मचारियों को नियुक्त किया और बाद में उन्हें कंप्यूटर ऑपरेटर, जेओए (आईटी), चपरासी और प्रोग्रामर के रूप में नामित किया। अगर आउटसोर्स रिकॉर्ड की जांच हो तो सही तस्वीर सामने आएगी। उस समय के कुलपति की नियुक्ति के दौरान, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय गैरकानूनी भर्तियों को उजागर करने वाले विभागों में से एक था, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई।

हालांकि, एक महिला, जिसके पास आवश्यक योग्यता नहीं थी, उसे विश्वविद्यालय के महिला केंद्र में नियुक्त किया गया क्योंकि उसका पति भाजपा से संबंधित था और उसने राजनीतिक पार्टी (भाजपा) से संपर्क करके खुद को विश्वविद्यालय में नियुक्त करवाया। राजनीतिक पार्टी के पद पर रहते हुए विश्वविद्यालय में संपादकों के पद पर की गई गैरकानूनी भर्तियों पर भी संदेह है क्योंकि उनके पास आवश्यक डिग्री/योग्यता नहीं थी और वे मोटी तनख्वाह ले रहे थे।

एक व्यक्ति, जो विश्वविद्यालय में नियमित एम.टेक. का छात्र है, अर्थात श्री विनोद कुमार, श्री ब्रह्म दास के पुत्र, जो प्रो. सिकंदर कुमार के रिश्तेदार थे, को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रोग्रामर के रूप में नियुक्त किया गया, भले ही वह एम.टेक. का नियमित छात्र था और विश्वविद्यालय के कंप्यूटर सेंटर में नियमित कक्षाएं ले रहा था।

इसके परिणामस्वरूप हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में गैरकानूनी भर्तियां की गईं, भले ही उनके पास आवश्यक योग्यता नहीं थी, जिससे विश्वविद्यालय की वित्तीय स्थिति और सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।


उस समय हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की स्थिति हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के समान थी, जहां भी बड़ी संख्या में गैरकानूनी भर्तियां हुईं और अब दोषी कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया है। इसलिए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में गैरकानूनी भर्तियों की भी पूरी जांच की जा सकती है, जैसा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कंप्यूटर सेंटर/स्थापना शाखा से आउटसोर्स कर्मचारियों के विवरण से पता चलता है और प्रो. सिकंदर कुमार और उस समय के कंप्यूटर सेंटर में नियुक्त कर्मचारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है और उनकी तनख्वाह/देय जब्त की जा सकती है।

उपरोक्त तथ्यों के दृष्टिगत, कानून और समानता के हित में, आउटसोर्स कर्मचारियों रीसे संबंधित प्रासंगिक रिकॉर्ड, जो आउटसोर्स आधार पर नियुक्त किए गए थे, कंप्यूटर सेंटर और विश्वविद्यालय की स्थापना शाखा से लिया जा सकता है और जांच के दौरान जब्त किया जा सकता है। यह सामान्य भूमि कानून है कि किसी भी सरकारी विभाग में नियुक्त कर्मचारी बिना सक्षम प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के नियमित प्रवेश/कक्षाएं नहीं ले सकता।

विश्वविद्यालय के मामले में, अधिकांश आउटसोर्स कर्मचारी नियमित प्रवेश प्राप्त कर रहे हैं और केवल विश्वविद्यालय के खजाने को बड़ा नुकसान पहुंचाने के लिए वेतन प्राप्त कर रहे हैं।

 

भर्ती में भ्रष्टाचार और प्रक्रियाओं के उल्लंघन का पैमाना इतना बड़ा है कि यह केवल कुछ शिक्षकों की भर्ती का मामला नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक धोखाधड़ी है जिसका नेतृत्व सत्ताधारी लोगों ने किया है और इसमें काफी मात्रा में रिश्वतखोरी शामिल है। इसलिए इस मामले की पूरी तरह से जांच करने के लिए एक आयोग की आवश्यकता है, जो न केवल हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और उसके अधिकारियों के अवैधताओं की जांच करे बल्कि उन संस्थानों व लोगों की भी जांच करे जिन्होंने अनुभव प्रमाणपत्र धोखाधड़ी से और नियमों के विरूद्ध प्रदान किए हैं। 


हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षकों और गैर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ SFI राज्य कमेटी की मांगे –
इस भर्ती प्रक्रिया की पूरी तरह से जांच करने के लिए एक आयोग बनाया जाए ।
एफ आई आर डॉक्टर सिकंदर के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। 

भाजपा के राज्य सभा सांसद की सदस्यता रद की जाए।

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल जो विश्वविद्यालय के कुलाधिपति है वह इन भर्तियों की जाँच करवाये।
एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में हुई इन गलत भर्तियों के खिलाफ कोर्ट में जन हित याचिका दायर करेगी।

 

साझा

- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -

अगला लेख
पिछला लेख लाहौल ! 14 से 16 अगस्त जक आयोजित किया जाएगा तीन दिवसीय राज्य स्तरीय जनजातीय उत्सव !

- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -

लोकप्रिय खबरें/Popular News

बिलासपुर ! एमआरपी से अधिक दाम वसूलने वालों के खिलाफ कार्यवाही कर ठोंका 50,000 का जुर्माना ! 

July 11, 2024 @ 04:36 pm

!! राशिफल 11 जुलाई 2024 गुरुवार !!

July 11, 2024 @ 07:16 am

चम्बा ! मणिमहेश डलझील की और जाने वाले रास्ते में पहाड़ी से हुआ भूस्खलन ! 

July 11, 2024 @ 11:19 am

कुल्लू ! देवता त्रिजूगी नारायण के मंदिर की हुई प्राण प्रतिष्ठा, काष्टकुणी शैली में बना मंदिर, बनने में लगे तीन साल।

July 11, 2024 @ 11:21 am

- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -

वीडियो/Videos

खबर हिमाचल से ,वीडियो

लाहौल ! 14 से 16 अगस्त जक आयोजित किया जाएगा तीन दिवसीय राज्य स्तरीय जनजातीय उत्सव !

खबर हिमाचल से ,वीडियो

सोलन ! सब्जी मंडी में 40 से 50 रूपए प्रतिकिलों के हिसाब से बिका टमाटर, किसानों के खिले चेहरे !

खबर हिमाचल से ,वीडियो

बिलासपुर ! एमआरपी से अधिक दाम वसूलने वालों के खिलाफ कार्यवाही कर ठोंका 50,000 का जुर्माना ! 

खबर हिमाचल से ,वीडियो

सिरमौर ! चुनवी-चाड़ना के मध्य भूस्खलन होने के कारण लगभग 1 घंटा मार्ग रहा बंद ! 

- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -

ताज़ा खबरें/Latest News
  • सभी
  • अन्य
  • बिलासपुर
  • चंबा
  • हमीरपुर
  • काँगड़ा
  • किन्नौर
  • अधिक
    • अन्य
    • बिलासपुर
    • चंबा
    • हमीरपुर
    • काँगड़ा
    • किन्नौर
    • कुल्लू
    • लाहौल-स्पिति
    • मंडी
    • शिमला
    • सिरमौर
    • सोलन
    • उना

खबर हिमाचल से

शिमला  ! हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में 2019-2023 के बीच शिक्षकों की भर्ती संदेह के घेरे में।

शिवानी जरयाल-July 11, 2024 @ 09:14 pm

0
शिमला  , 11 जुलाई, [ शिवानी  ] ! विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्तियों का

लाहौल ! 14 से 16 अगस्त जक आयोजित किया जाएगा तीन दिवसीय राज्य स्तरीय जनजातीय उत्सव !

July 11, 2024 @ 09:13 pm

बिलासपुर  ! बढ़ती जनसंख्या चिन्ता का विषय : आशुतोष शर्मा  ! 

July 11, 2024 @ 09:03 pm

शिमला  ! मुख्यमंत्री ने अत्याधुनिक मत्स्य पालन प्रशिक्षण केन्द्र दियोली और भंजाल में 5 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना की आधारशिला रखी  !

July 11, 2024 @ 08:52 pm

शिमला  ! हिमाचल को कौशल हब के रूप में किया जा रहा विकसित: राजेश धर्माणी  ! 

July 11, 2024 @ 07:44 pm
संबंधित लेख लेखक से और अधिक

खबर हिमाचल से

शिमला  ! हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में 2019-2023 के बीच शिक्षकों की भर्ती संदेह के घेरे में।

खबर हिमाचल से ,वीडियो

लाहौल ! 14 से 16 अगस्त जक आयोजित किया जाएगा तीन दिवसीय राज्य स्तरीय जनजातीय उत्सव !

खबर हिमाचल से

बिलासपुर  ! बढ़ती जनसंख्या चिन्ता का विषय : आशुतोष शर्मा  ! 

साक्षात्कार और रिपोर्ट/Interviews & Reports

खबर हिमाचल से ,Video,रिपोर्ट और साक्षात्कार

लाहौल ! भुंतर भवन स्ट्रांग रूम में शिफ्ट की गई ईवीएम मशीनें !

खबर हिमाचल से ,Video,रिपोर्ट,रिपोर्ट और साक्षात्कार

मंडी की मुरारी धार को पर्यटन की दृष्टि से देश के मानचित्र पर लाने की जरूरत !

Video,रिपोर्ट और साक्षात्कार

ननखड़ी ! सरकार के दो साल का कार्यकाल पुरा होने पर हिम आधार लोक कला मंच ने चलाया जागरूकता अभियान।

Video,रिपोर्ट और साक्षात्कार

मंडी ! राम मंदिर निर्माण को लेकर विश्व हिंदू परिषद पीएम मोदी का आभार व्यक्त करता है- लेखराज राणा !

- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -

रोजगार/Employment

  • !! राशिफल 18 जून 2024 मंगलवार !!

    June 18, 2024 @ 06:02 am
  • शिमला ! विदेश में नौकरी करने के लिए होने जा रहे हैं साक्षात्कार !   

    May 6, 2024 @ 06:24 pm
  • शिमला ! हिमाचल में बेरोजगारों के लिए निकली बम्पर नोकरियाँ, यहां करे आवेदन !

    January 5, 2023 @ 06:54 pm

नतीजे/Results

  • हिमाचल ! बिजली बोर्ड को मिले 154 कनिष्ठ अभियंता, स्टाफ नर्स भर्ती का परिणाम घोषित !

    March 30, 2022 @ 12:23 pm
  • हमीरपुर ! इलेक्ट्रीशियन और रिस्टोरर के पदों के लिए ली गई परीक्षा का अंतिम परिणाम घोषित !

    January 4, 2022 @ 06:04 pm
  • हमीरपुर ! स्टोर कीपर पोस्ट कोड 878 की परीक्षा का अंतिम परिणाम घोषित !

    January 4, 2022 @ 11:29 am

मोबाइल एप्लिकेशन/Mobile App

प्रस्तावना !

#KhabarHimachalSe आपके सामने प्रस्तुत है एक सच्चे और ईमानदार प्रयास के साथ ! "खबर हिमाचल से" समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए सदैव प्रयतनशील है ! यह मात्र सामान्य न्यूज़ पोर्टल ही नहीं जो ख़बरें कापी पेस्ट करता रहेगा बल्कि जनता की आवाज़ को प्रदेश के हाकिमों तक पहुँचाने की लड़ाई भी लड़ेगा । "खबर हिमाचल से" किसी विभाग/ अधिकारी/ सरकार के उत्पीड़न के विरूद्ध जनता के साथ कन्धे से कन्धा मिला कर खड़ा नज़र आएगा।

"सबका स्थान, एक समान" - "हमारी शक्ति, आपका प्रोत्साहन" !

हमें संपर्क करें: [email protected]

हमारा अनुसरण करे ! !

© 2017 - 2024 Khabar Himachal Se
  • Privacy Policy
  • Rules & Regulation
  • हमारे बारे में !
  • विज्ञापन
  • संपर्क करे !