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शिमला , 23 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! एनएचएआई को शिमला बायपास प्रोजेक्ट में एक और कामयाबी हासिल हुई है। 23 दिसंबर 2025 को टनल नंबर 5 के दोनों सिरे आपस में मिल चुके हैं, यह टनल शिमला बायपास प्रोजेक्ट में मील का पत्थर साबित होगी। टनल 5 शिमला बायपास को इसके आखिरी छोर चलौंठी से जोड़ती है। टनल के निर्माण से लोगों को भविष्य में अटल सुपर स्पेशलिटी आयुर्विज्ञान संस्थान, चमियाना पहुंचने में आसानी होगी और शिमला के ट्रैफिक जाम से भी निजात मिलेगी। टनल निर्माण का कार्य गावर और भारत कंस्ट्रक्शन द्वारा किया जा रहा है। टनल की कुल लंबाई 210 मीटर है, जिसका कार्य 22 मई 2025 को शुरू हुआ था। एनएचएआई ने 7 महीनों के रिकार्ड समय में 23 दिसंबर 2025 को इस कार्य को पूरा किया है। टनल का निर्माण एनएटीएम यानी न्यू ऑस्ट्रियन टनल मेथड से किया गया है। मौजूदा समय में टनल बनाने के लिए यह सबसे कारगर तकनीक मानी जाती है। एनएचएआई की 27.457 किलोमीटर लंबी शिमला बाईपास परियोजना, चंडीगढ़ - शिमला कॉरिडोर का एक महत्वपूर्ण खंड है। इस परियोजना में पांच सुरंगें शामिल हैं, परियोजना का उद्देश्य जनता की यात्रा को तेज और अधिक सुविधाजनक बनाना है। शिमला बायपास के निर्माण से शहर में ट्रैफिक जाम कम होगा और शिमला(ढली) पहुंचने की यात्रा का समय लगभग एक घंटे कम हो जाएगा। इस परियोजना के बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और उपरी शिमला का रुख करने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों को भी सुविधा मिल पाएगी। वहीं, सेब सीजन के दौरान बागवान आसनी से अपना सेब शिमला और बाहर की मंडियों तक पहुंचा पाएंगे।
शिमला , 23 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! एनएचएआई को शिमला बायपास प्रोजेक्ट में एक और कामयाबी हासिल हुई है। 23 दिसंबर 2025 को टनल नंबर 5 के दोनों सिरे आपस में मिल चुके हैं, यह टनल शिमला बायपास प्रोजेक्ट में मील का पत्थर साबित होगी। टनल 5 शिमला बायपास को इसके आखिरी छोर चलौंठी से जोड़ती है। टनल के निर्माण से लोगों को भविष्य में अटल सुपर स्पेशलिटी आयुर्विज्ञान संस्थान, चमियाना पहुंचने में आसानी होगी और शिमला के ट्रैफिक जाम से भी निजात मिलेगी।
टनल निर्माण का कार्य गावर और भारत कंस्ट्रक्शन द्वारा किया जा रहा है। टनल की कुल लंबाई 210 मीटर है, जिसका कार्य 22 मई 2025 को शुरू हुआ था। एनएचएआई ने 7 महीनों के रिकार्ड समय में 23 दिसंबर 2025 को इस कार्य को पूरा किया है। टनल का निर्माण एनएटीएम यानी न्यू ऑस्ट्रियन टनल मेथड से किया गया है। मौजूदा समय में टनल बनाने के लिए यह सबसे कारगर तकनीक मानी जाती है।
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एनएचएआई की 27.457 किलोमीटर लंबी शिमला बाईपास परियोजना, चंडीगढ़ - शिमला कॉरिडोर का एक महत्वपूर्ण खंड है। इस परियोजना में पांच सुरंगें शामिल हैं, परियोजना का उद्देश्य जनता की यात्रा को तेज और अधिक सुविधाजनक बनाना है। शिमला बायपास के निर्माण से शहर में ट्रैफिक जाम कम होगा और शिमला(ढली) पहुंचने की यात्रा का समय लगभग एक घंटे कम हो जाएगा। इस परियोजना के बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और उपरी शिमला का रुख करने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों को भी सुविधा मिल पाएगी। वहीं, सेब सीजन के दौरान बागवान आसनी से अपना सेब शिमला और बाहर की मंडियों तक पहुंचा पाएंगे।
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