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शिमला , 28 ऑक्टूबर [ विशाल सूद ] ! गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी पर्व के अवसर पर शिमला में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से हज़ारों की संख्या में संगत शामिल होने वाली है. हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. गुरुद्वारा सिंह सभा शिमला के अध्यक्ष जसविंदर सिंह ने बताया कि 1-2 नवंबर को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर विशाल नगर कीर्तन के साथ लंगर आयोजित किया जाना है. गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी पर्व को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने और ऐतिहासिक बनाने के लिए तैयारियां जोरों पर हैं. इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सूद सभा और सनातन धर्म सभा शिमला भी सिंह सभा का सहयोग कर रही है. गुरु तेग बहादुर जी को धर्म, मातृभूमि और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया था. इसीलिए उन्हें ‘‘हिंद की चादर‘‘ के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया. आज श्री गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाओं और बलिदान से हमें सबक लेने की जरूरत है. उनका बलिदान, सत्य अहिंसा में विश्वास, और सबके प्रति एक परोपकारी दृष्टिकोण के लिए प्रेरणादायी है. उन्होंने अंधविश्वास, जाति आधारित भेदभाव और छुआछूत के खिलाफ लड़ाई लड़ी ताकि हर इंसान अपनी पसंद का आदर्श जीवन जी सके. एक सच्चा धर्म हमें समाज और लोगों की सेवा करना सिखाता है. श्री गुरु तेग बहादुर जी कमजोर और वंचितों की बेहतरी के लिए लड़े. उनके सपुत्र गुरु गोबिंद सिंह ने न केवल अपने पिता के सिद्धांतों और मूल्यों को बरकरार रखा, बल्कि खालसा बनाकर उन्हें आगे बढ़ाया, जो धार्मिकता और न्याय के लिए लड़ाई का एक शानदार प्रतीक है.
शिमला , 28 ऑक्टूबर [ विशाल सूद ] ! गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी पर्व के अवसर पर शिमला में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से हज़ारों की संख्या में संगत शामिल होने वाली है. हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. गुरुद्वारा सिंह सभा शिमला के अध्यक्ष जसविंदर सिंह ने बताया कि 1-2 नवंबर को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर विशाल नगर कीर्तन के साथ लंगर आयोजित किया जाना है.
गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी पर्व को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने और ऐतिहासिक बनाने के लिए तैयारियां जोरों पर हैं. इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सूद सभा और सनातन धर्म सभा शिमला भी सिंह सभा का सहयोग कर रही है. गुरु तेग बहादुर जी को धर्म, मातृभूमि और जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया था. इसीलिए उन्हें ‘‘हिंद की चादर‘‘ के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया.
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आज श्री गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाओं और बलिदान से हमें सबक लेने की जरूरत है. उनका बलिदान, सत्य अहिंसा में विश्वास, और सबके प्रति एक परोपकारी दृष्टिकोण के लिए प्रेरणादायी है. उन्होंने अंधविश्वास, जाति आधारित भेदभाव और छुआछूत के खिलाफ लड़ाई लड़ी ताकि हर इंसान अपनी पसंद का आदर्श जीवन जी सके. एक सच्चा धर्म हमें समाज और लोगों की सेवा करना सिखाता है.
श्री गुरु तेग बहादुर जी कमजोर और वंचितों की बेहतरी के लिए लड़े. उनके सपुत्र गुरु गोबिंद सिंह ने न केवल अपने पिता के सिद्धांतों और मूल्यों को बरकरार रखा, बल्कि खालसा बनाकर उन्हें आगे बढ़ाया, जो धार्मिकता और न्याय के लिए लड़ाई का एक शानदार प्रतीक है.
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