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शिमला , 29 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! नाबार्ड द्वारा आज शिमला में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के सहकारिता सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें उप-मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश मुकेश अग्निहोत्री ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारिता एक भरोसा है जिसको हम टूटने नहीं दे सकते। सरकार और सहकार मिलकर काम करेंगे और सहकारिता को हम कैसे आगे बढ़ाये इसके बारे में मंथन करने की ज़रूरत है। इसके अतिरिक्त, नई पीढ़ी को सहकारिता से कैसे जोड़ा जा सकता है इस विषय पर भी मंथन करना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि देश में जब-जब भी सहकारी की बात की जाएगी, तब-तब हिमाचल का नाम हमेशा लिया जायेगा। उन्होंने बताया कि सहकारी के चैंपियन चाहे कोई भी राज्य बनने की कोशिश करें, लेकिन यह हकीकत है कि सहकारी का अलख हिमाचल प्रदेश ने जगाया है। हिमाचल प्रदेश में पहली सहकारी सोसाइटी बढेड़ा में पंजीकृत हुई थी। उन्होंने बताया की सहकारी का साम्राज्य बहुत बड़ा साम्राज्य है, जो लगभग सरकार के बराबर का है जिसका बजट भी सरकार के बजट के लगभग ही है। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा हमारे जितने भी सहकारी बैंक है उनका सोसाइटी के प्रति व्यवहार ऐसा होना चाहिए कि हम कैसे अपनी सोसाइटी को आगे बढ़ा सके। यहाँ पर जो पूंजी है वो लोगों के विश्वास की पूंजी है, लोग अगर सोसाइटी पर पैसा लगाते है तो एक विश्वास पर पैसा लगाते है और किसी भी स्थिति में यह विश्वास हमारा हमेशा कायम रहना चाहिए। हिमाचल ने सहकारिता के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है। भुट्टिको की बात करें तो उसके उत्पाद आज देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। देश के प्रधानमंत्री भी कुल्लवी टोपी पहनते हैं और जब प्रधानमंत्री विदेश में राष्ट्र अध्यक्षों को सम्मानित करते हैं तो नाम हिमाचल का होता है। भुट्टिको ब्रांड की विश्वसनीयता कायम हो चुकी है। उन्होंने बताया कि सहकारिता का शिक्षा के क्षेत्र में भी अतुलनीय योगदान है। शिक्षा के क्षेत्र में ऊना जिला में हिम कैप्स ने सहकारी जगत का पहला लॉ कॉलेज खोला है। उन्होंने बताया कि सहकारी का कोई मालिक नहीं, लेकिन समिति इस संस्था को बहुत सफलतापूर्वक तरीके से चला रही है, जिससे निकले वकील और जज आज सुप्रीम कोर्ट तथा हाई कोर्ट में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह एक बहुत बड़ी सफलता है। इसी संस्था ने नर्सिंग का संस्थान भी खोला है, जिससे निकली नर्स आज देश के कोने-कोने में अपनी सेवाएं दे रही हैं। उन्होंने बताया कि डिजिटल दुनिया में हम प्रवेश कर रहे है और नाबार्ड उसका हमारा साथी है और इनके सहयोग से हमारी सारी सोसाइटी डिजिटल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि धारा 118 के तहत जिस सोसाइटी के पास जमीन नहीं है वहां पर वो प्रोजेक्ट नहीं आ सकते हैं। इसके लिए हमने कानून तैयार कर लिया था, जो विधान सभा में पेश भी हुआ था, जिसमें हमने कहा था कि जिस सोसाइटी के सारे निदेशक हिमाचली है उनको इससे छूट दी जाये ताकि जो मूल रूप से हिमाचली है उनको दिक्कत न आये और उनको अनुमति के लिए इधर-उधर न जाना पड़े, लेकिन वो बिल सेलेक्ट समिति को चला गया है, जिसका बजट सेशन तक कोई न कोई रास्ता निकल जाएगा। उन्होंने बताया कि काँगड़ा की चाय की सोसाइटी, लाहौल की आलू सोसाइटी, कुल्लू की हिम बुनकर सोसाइटी को पुनः सक्रिय करना समय की जरुरत है, जिसके लिए नाबार्ड को सोचना होगा कि इनको कैसे पुनर्जीवित किया जा सकता है। सरकार और सहकार कैसे इन्हे पुनः सक्रिय कर सकते हैं इस पर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल के नेटवर्क को आगे बढ़ाने में नाबार्ड प्रदेश सरकार का सहयोग कर रहा है, जिसके तहत लगभग 110 करोड़ रुपए की पूंजी जारी करने का फैसला किया है। इसके अतिरिक्त, दूध के क्षेत्र में भी बेहतर कार्य हुआ है। दूध की समितियां भी बनाई जा रही है जिसके तहत 900 समितियों का गठन किया जा चुका है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत लोग आना चाहते हैं जिसके तहत अगर कोई हिमाचली प्लांट लगाना चाहता है तो उसको 100 वाट तक स्वीकृति दी जा सकती है जिस पर सब्सिडी का भी प्रावधान है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड का सड़कों, ट्रांसपोर्ट, सहकारिता, पानी आदि क्षेत्रों में पूरा सहयोग मिल रहा है जिसके लिए वह उनके आभारी हैं। उन्होंने कहा कि बहुत कुछ हुआ है हिमाचल प्रदेश में और बहुत कुछ करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि 20 लाख लोग सहकारिता क्षेत्र से जुड़े हैं और यह 50 हजार करोड़ रुपए का साम्राज्य है। इसको कैसे संभाल कर रखना है इस बारे में विचार करने की ज़रूरत है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि समय पर कोआपरेटिव बैंक से लिए हुए ऋण की अदायगी करें। सचिव सहकारिता विभाग सी. पालरासु ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के तहत विभिन्न गतिविधियों का आयोजन इस वर्ष किया गया, जिसमें मंथन शिविर, पौधरोपण, मैराथन और सहकारिता सम्मलेन इस कड़ी में समापन समारोह के रूप में आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र को आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है कि हम नकल न करें और क्षेत्र की जरूरत के अनुसार ही योजनाएं बनाये और उन्हें क्रियान्वित करें। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में युवाओं को जोड़ना जरूरी है ताकि आत्मनिर्भर भारत बनाने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड डॉ विवेक पठानिया ने स्वागत सम्बोधन प्रस्तुत किया और नाबार्ड द्वारा क्रियान्वित की जा रही गतिविधियों की जानकारी दी। इस अवसर पर हिमफैड के अध्यक्ष महेश्वर चौहान, जोगिन्द्रा बैंक के अध्यक्ष मुकेश शर्मा, हिमाचल प्रदेश ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह, रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाइटी डीसी नेगी, हिमाचल प्रदेश राज्य बैंक के प्रबंध निदेशक श्रवण मांटा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
शिमला , 29 दिसंबर [ विशाल सूद ] ! नाबार्ड द्वारा आज शिमला में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 के सहकारिता सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें उप-मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश मुकेश अग्निहोत्री ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारिता एक भरोसा है जिसको हम टूटने नहीं दे सकते। सरकार और सहकार मिलकर काम करेंगे और सहकारिता को हम कैसे आगे बढ़ाये इसके बारे में मंथन करने की ज़रूरत है। इसके अतिरिक्त, नई पीढ़ी को सहकारिता से कैसे जोड़ा जा सकता है इस विषय पर भी मंथन करना ज़रूरी है।
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उन्होंने कहा कि देश में जब-जब भी सहकारी की बात की जाएगी, तब-तब हिमाचल का नाम हमेशा लिया जायेगा। उन्होंने बताया कि सहकारी के चैंपियन चाहे कोई भी राज्य बनने की कोशिश करें, लेकिन यह हकीकत है कि सहकारी का अलख हिमाचल प्रदेश ने जगाया है। हिमाचल प्रदेश में पहली सहकारी सोसाइटी बढेड़ा में पंजीकृत हुई थी।
उन्होंने बताया की सहकारी का साम्राज्य बहुत बड़ा साम्राज्य है, जो लगभग सरकार के बराबर का है जिसका बजट भी सरकार के बजट के लगभग ही है। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा हमारे जितने भी सहकारी बैंक है उनका सोसाइटी के प्रति व्यवहार ऐसा होना चाहिए कि हम कैसे अपनी सोसाइटी को आगे बढ़ा सके। यहाँ पर जो पूंजी है वो लोगों के विश्वास की पूंजी है, लोग अगर सोसाइटी पर पैसा लगाते है तो एक विश्वास पर पैसा लगाते है और किसी भी स्थिति में यह विश्वास हमारा हमेशा कायम रहना चाहिए।
हिमाचल ने सहकारिता के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है। भुट्टिको की बात करें तो उसके उत्पाद आज देश-विदेश में अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। देश के प्रधानमंत्री भी कुल्लवी टोपी पहनते हैं और जब प्रधानमंत्री विदेश में राष्ट्र अध्यक्षों को सम्मानित करते हैं तो नाम हिमाचल का होता है। भुट्टिको ब्रांड की विश्वसनीयता कायम हो चुकी है।
उन्होंने बताया कि सहकारिता का शिक्षा के क्षेत्र में भी अतुलनीय योगदान है। शिक्षा के क्षेत्र में ऊना जिला में हिम कैप्स ने सहकारी जगत का पहला लॉ कॉलेज खोला है। उन्होंने बताया कि सहकारी का कोई मालिक नहीं, लेकिन समिति इस संस्था को बहुत सफलतापूर्वक तरीके से चला रही है, जिससे निकले वकील और जज आज सुप्रीम कोर्ट तथा हाई कोर्ट में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह एक बहुत बड़ी सफलता है। इसी संस्था ने नर्सिंग का संस्थान भी खोला है, जिससे निकली नर्स आज देश के कोने-कोने में अपनी सेवाएं दे रही हैं।
उन्होंने बताया कि डिजिटल दुनिया में हम प्रवेश कर रहे है और नाबार्ड उसका हमारा साथी है और इनके सहयोग से हमारी सारी सोसाइटी डिजिटल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि धारा 118 के तहत जिस सोसाइटी के पास जमीन नहीं है वहां पर वो प्रोजेक्ट नहीं आ सकते हैं। इसके लिए हमने कानून तैयार कर लिया था, जो विधान सभा में पेश भी हुआ था, जिसमें हमने कहा था कि जिस सोसाइटी के सारे निदेशक हिमाचली है उनको इससे छूट दी जाये ताकि जो मूल रूप से हिमाचली है उनको दिक्कत न आये और उनको अनुमति के लिए इधर-उधर न जाना पड़े, लेकिन वो बिल सेलेक्ट समिति को चला गया है, जिसका बजट सेशन तक कोई न कोई रास्ता निकल जाएगा।
उन्होंने बताया कि काँगड़ा की चाय की सोसाइटी, लाहौल की आलू सोसाइटी, कुल्लू की हिम बुनकर सोसाइटी को पुनः सक्रिय करना समय की जरुरत है, जिसके लिए नाबार्ड को सोचना होगा कि इनको कैसे पुनर्जीवित किया जा सकता है। सरकार और सहकार कैसे इन्हे पुनः सक्रिय कर सकते हैं इस पर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल के नेटवर्क को आगे बढ़ाने में नाबार्ड प्रदेश सरकार का सहयोग कर रहा है, जिसके तहत लगभग 110 करोड़ रुपए की पूंजी जारी करने का फैसला किया है। इसके अतिरिक्त, दूध के क्षेत्र में भी बेहतर कार्य हुआ है।
दूध की समितियां भी बनाई जा रही है जिसके तहत 900 समितियों का गठन किया जा चुका है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत लोग आना चाहते हैं जिसके तहत अगर कोई हिमाचली प्लांट लगाना चाहता है तो उसको 100 वाट तक स्वीकृति दी जा सकती है जिस पर सब्सिडी का भी प्रावधान है। उन्होंने कहा कि नाबार्ड का सड़कों, ट्रांसपोर्ट, सहकारिता, पानी आदि क्षेत्रों में पूरा सहयोग मिल रहा है जिसके लिए वह उनके आभारी हैं।
उन्होंने कहा कि बहुत कुछ हुआ है हिमाचल प्रदेश में और बहुत कुछ करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि 20 लाख लोग सहकारिता क्षेत्र से जुड़े हैं और यह 50 हजार करोड़ रुपए का साम्राज्य है। इसको कैसे संभाल कर रखना है इस बारे में विचार करने की ज़रूरत है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि समय पर कोआपरेटिव बैंक से लिए हुए ऋण की अदायगी करें।
सचिव सहकारिता विभाग सी. पालरासु ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के तहत विभिन्न गतिविधियों का आयोजन इस वर्ष किया गया, जिसमें मंथन शिविर, पौधरोपण, मैराथन और सहकारिता सम्मलेन इस कड़ी में समापन समारोह के रूप में आयोजित किया गया है। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र को आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है कि हम नकल न करें और क्षेत्र की जरूरत के अनुसार ही योजनाएं बनाये और उन्हें क्रियान्वित करें। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में युवाओं को जोड़ना जरूरी है ताकि आत्मनिर्भर भारत बनाने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।
मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड डॉ विवेक पठानिया ने स्वागत सम्बोधन प्रस्तुत किया और नाबार्ड द्वारा क्रियान्वित की जा रही गतिविधियों की जानकारी दी। इस अवसर पर हिमफैड के अध्यक्ष महेश्वर चौहान, जोगिन्द्रा बैंक के अध्यक्ष मुकेश शर्मा, हिमाचल प्रदेश ग्रामीण बैंक के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह, रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाइटी डीसी नेगी, हिमाचल प्रदेश राज्य बैंक के प्रबंध निदेशक श्रवण मांटा सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
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