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शिमला , 26 मई [ विशाल सूद ] ! भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि आज जिस तरह मुख्यमंत्री प्रदेश वापस पहुंचे और उन्होंने आते ही जो पत्रकारिता पत्रकार वार्ता की है उससे लगता है कि सरकार न केवल स्वर्गीय श्री विमल नेगी के मामले पर बल्कि किसी भी मामले पर कभी भी गंभीर दिखाई ही नहीं देती है। 18 मार्च को जो इंक्वायरी होती है जो एसीएस होम है उनके द्वारा। वो उसके बाद 7 अप्रैल को उसकी रिपोर्ट वो सौंप देते हैं, एसीएस किसको रिपोर्ट सौंपेगे मुख्यमंत्री जी को और उसके बाद वह 14 मई तक वो फाइल कहां रही सचिवालय के अंदर? किन विशेषज्ञों के पास गई? और 14 मई को टिप्पणी आती है कि आप विमल नेगी की जो मृत्यु हुई है उसके ऊपर जो है जिन अधिकारियों पर कारवाई हुई है पहले ही आप जो है उन उनकी भी सुनवाई करिए। तो ये फाइल इतने दिन कहां रही? कौन लोग इस पर बैठे रहे, यह भी सीबीआई को जांच करनी चाहिए और सीएम का यह कहना कि जब मैं टूर पर होता हूं तो मैं किसी से कोई चर्चा नहीं करता। ये पहली बार मैं देख रहा हूं कि प्रदेश के अंदर कोई मुख्यमंत्री ऐसा कह रहे हैं जहां भी मुख्यमंत्री टूर पर जाते हैं जो भी अर्जेंट इश्यूज होते हैं, उनकी फाइल्स जो है वहां पहुंचाई जाती है। ताकि वो उसका संज्ञान उसके ऊपर ले सके। उसके ऊपर जो भी अगली कारवाई होनी है उसको कर सके। लेकिन ये क्यों इतनी देरी की गई? और आज जब पत्रकार वार्ता सेट के अंदर हो रही है, हिमाचल प्रदेश सचिवालय के अंदर हो रही है। तो पत्रकार वार्ता के अंदर जो है वो पिछली पंक्तियों में ऐसे लोग बैठे हैं जिनका ना सेट के अंदर कोई कार्यालय है, ना सरकार के साथ कोई काम है, ना वो अधिकारी हैं, ना चुने हुए प्रतिनिधि हैं। तो ये गंभीरता सरकार की ऐसे इश्यूज पर है। और एक बात मैं और कहना चाहूंगा कि जो इसमें अ जब आज पत्रकार वार्ता हो रही थी तो फिर राज्यसभा के चुनाव का जिक्र ले आए। अब आप कारवाई तो करवा रहे हैं और शिमला जिला में ही हो रही है। बालूगंज थाने में जो है वो उसमें कारवाई चल रही है। तो इतनी बड़ी पत्रकार वार्ता अपने ऑफिशियल कार्य कार्यालय के अंदर एसपी शिमला ने की। चीफ सेक्रेटरी से ले जो है वह तत्कालीन रहे डिप्टी कमिश्नर अपने डीजीपी और अन्य लोगों के ऊपर वहां टिप्पणियां करी सिर्फ चार मीडिया हाउसेस को बुला के तो उसके ऊपर भी थोड़ा प्रकाश डालते लेकिन नहीं क्योंकि इसी शक के चलते जो है वो विमल नेगी जी के परिवार ने आशंका जताई थी कि हमें लगता है कि हमें यहां न्याय मिलने का कोई चांस नहीं मिलेगा। हिमाचल प्रदेश में अगर इसी तरह से पुलिस कार्य करती रही और विधानसभा के अंदर वक्तव्य दिया कि मैं उनके परिजनों से मिल लिया। मेरी बात हो गई और मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा। मेरी रात को बात हुई तो विधानसभा के अंदर बोली गई बातें जो है अगर उससे भी वर्तमान में मुख्यमंत्री जो है वह पीछे हट जाते हैं। एक तरह से मुकर जाते हैं। तो इससे पूरा पता चलता है कि सरकार जो है वह इस मामले को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं थी और तो और आज जो है उच्च न्यायालय के ऊपर भी टिप्पणी कर दी के जो वहां पर माननीय न्यायाधीश है उनको क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए और न्यायाधीश जो है वो हिमाचल के ही होने चाहिए तो ऐसी गैर जिम्मेदाराना बातें जब किसी प्रदेश के मुखिया करेंगे तो उसी से समझ जाना चाहिए कि ये पूरे का पूरा इस प्रदेश के अंदर कोई सरकार नहीं चल रही है। एक तरह से यह मित्र मंडली का पूरा माफिया राज है।
शिमला , 26 मई [ विशाल सूद ] ! भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने कहा कि आज जिस तरह मुख्यमंत्री प्रदेश वापस पहुंचे और उन्होंने आते ही जो पत्रकारिता पत्रकार वार्ता की है उससे लगता है कि सरकार न केवल स्वर्गीय श्री विमल नेगी के मामले पर बल्कि किसी भी मामले पर कभी भी गंभीर दिखाई ही नहीं देती है।
18 मार्च को जो इंक्वायरी होती है जो एसीएस होम है उनके द्वारा। वो उसके बाद 7 अप्रैल को उसकी रिपोर्ट वो सौंप देते हैं, एसीएस किसको रिपोर्ट सौंपेगे मुख्यमंत्री जी को और उसके बाद वह 14 मई तक वो फाइल कहां रही सचिवालय के अंदर? किन विशेषज्ञों के पास गई? और 14 मई को टिप्पणी आती है कि आप विमल नेगी की जो मृत्यु हुई है उसके ऊपर जो है जिन अधिकारियों पर कारवाई हुई है पहले ही आप जो है उन उनकी भी सुनवाई करिए।
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तो ये फाइल इतने दिन कहां रही? कौन लोग इस पर बैठे रहे, यह भी सीबीआई को जांच करनी चाहिए और सीएम का यह कहना कि जब मैं टूर पर होता हूं तो मैं किसी से कोई चर्चा नहीं करता। ये पहली बार मैं देख रहा हूं कि प्रदेश के अंदर कोई मुख्यमंत्री ऐसा कह रहे हैं जहां भी मुख्यमंत्री टूर पर जाते हैं जो भी अर्जेंट इश्यूज होते हैं, उनकी फाइल्स जो है वहां पहुंचाई जाती है। ताकि वो उसका संज्ञान उसके ऊपर ले सके।
उसके ऊपर जो भी अगली कारवाई होनी है उसको कर सके। लेकिन ये क्यों इतनी देरी की गई? और आज जब पत्रकार वार्ता सेट के अंदर हो रही है, हिमाचल प्रदेश सचिवालय के अंदर हो रही है। तो पत्रकार वार्ता के अंदर जो है वो पिछली पंक्तियों में ऐसे लोग बैठे हैं जिनका ना सेट के अंदर कोई कार्यालय है, ना सरकार के साथ कोई काम है, ना वो अधिकारी हैं, ना चुने हुए प्रतिनिधि हैं। तो ये गंभीरता सरकार की ऐसे इश्यूज पर है। और एक बात मैं और कहना चाहूंगा कि जो इसमें अ जब आज पत्रकार वार्ता हो रही थी तो फिर राज्यसभा के चुनाव का जिक्र ले आए।
अब आप कारवाई तो करवा रहे हैं और शिमला जिला में ही हो रही है। बालूगंज थाने में जो है वो उसमें कारवाई चल रही है। तो इतनी बड़ी पत्रकार वार्ता अपने ऑफिशियल कार्य कार्यालय के अंदर एसपी शिमला ने की। चीफ सेक्रेटरी से ले जो है वह तत्कालीन रहे डिप्टी कमिश्नर अपने डीजीपी और अन्य लोगों के ऊपर वहां टिप्पणियां करी सिर्फ चार मीडिया हाउसेस को बुला के तो उसके ऊपर भी थोड़ा प्रकाश डालते लेकिन नहीं क्योंकि इसी शक के चलते जो है वो विमल नेगी जी के परिवार ने आशंका जताई थी कि हमें लगता है कि हमें यहां न्याय मिलने का कोई चांस नहीं मिलेगा।
हिमाचल प्रदेश में अगर इसी तरह से पुलिस कार्य करती रही और विधानसभा के अंदर वक्तव्य दिया कि मैं उनके परिजनों से मिल लिया। मेरी बात हो गई और मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा। मेरी रात को बात हुई तो विधानसभा के अंदर बोली गई बातें जो है अगर उससे भी वर्तमान में मुख्यमंत्री जो है वह पीछे हट जाते हैं। एक तरह से मुकर जाते हैं।
तो इससे पूरा पता चलता है कि सरकार जो है वह इस मामले को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं थी और तो और आज जो है उच्च न्यायालय के ऊपर भी टिप्पणी कर दी के जो वहां पर माननीय न्यायाधीश है उनको क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए और न्यायाधीश जो है वो हिमाचल के ही होने चाहिए तो ऐसी गैर जिम्मेदाराना बातें जब किसी प्रदेश के मुखिया करेंगे तो उसी से समझ जाना चाहिए कि ये पूरे का पूरा इस प्रदेश के अंदर कोई सरकार नहीं चल रही है। एक तरह से यह मित्र मंडली का पूरा माफिया राज है।
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