

हिमाचल शिक्षा समिति ने किया मेधावी छात्र सम्मान वर्ग कार्यक्रम का आयोजन !
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शिमला , 22 जून [ विशाल सूद ] ! राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज यहां सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में हिमाचल शिक्षा समिति द्वारा आयोजित दो दिवसीय मेधावी छात्र सम्मान वर्ग का उद्घाटन किया। इस सम्मान वर्ग में प्रदेश के 48 विद्यालयों से 154 छात्र भाग ले रहे हैं, जिनमें हिमाचल शिक्षा बोर्ड की 10वीं और 12वीं कक्षा के मेधावी भी शामिल हैं। इस अवसर पर, राज्यपाल ने मेधावी छात्रों और पूर्व छात्रों को पुरस्कृत किया। राज्यपाल ने कहा कि यह सम्मान समारोह न केवल मेधावी छात्रों को प्रोत्साहन देने का एक माध्यम है, बल्कि यह पूरे समाज को यह संदेश देता है कि मेहनत, अनुशासन, संस्कार, संस्कृति और सेवा की भावना से युक्त शिक्षा ही सच्ची शिक्षा है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनके परिश्रम, अनुशासन और आत्म-विश्वास का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि आज देश को ऐसी पीढ़ी की आवश्यकता है जो न केवल अपने करियर की ऊंचाइयों तक पहुंचे, बल्कि समाज को भी साथ लेकर चले। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे सदैव स्वदेश, संस्कृति और समाज के लिए सोचें। उन्होंने कहा कि वे स्वयं को केवल नौकरी तक सीमित न रखें, बल्कि अपने कर्तव्य और भूमिका को राष्ट्रनिर्माण में खोजें। श्री शुक्ल ने कहा,‘‘सफलता तभी सार्थक है जब उसमें समाज की सेवा का भाव हो। ज्ञान तभी उपयोगी है जब वह विनम्रता के साथ जुड़ा हो। और शिक्षा तभी पूर्ण है जब वह व्यक्ति को आत्मनिर्भर, आत्मसम्मानी और राष्ट्रनिष्ठ बनाए।’’उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि विद्या भारती द्वारा प्रदेश के किलाड़, डोडरा क्वार जैसे दुर्गम क्षेत्रों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में 190 सरस्वती विद्या मन्दिर चलाए जा रहे हैं, जिनमें 2000 शिक्षक और लगभग 26 हजार विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रथम शिशु मंदिर गोरखपुर में स्थापित किया गया था और उसके बाद शिक्षा और संस्कार देने के क्रम में इसके कार्यकर्ताओं ने बलिदान देकर विद्यालय स्थापित करने का कार्य किया। उन्होंने नैतिक शिक्षा और संस्कार पर बल देते हुए कहा कि अच्छे संस्कार ही बच्चों को नशे से दूर रखने में सहायक हैं। इस अवसर पर राज्यपाल ने विद्यार्थियों द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। विद्या भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्री देशराज शर्मा ने कहा कि विश्व कल्याण ही विद्या भारती का आधार है और वह भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही शिक्षा का प्रसार कर रही है। उन्होंने कहा कि विद्या भारती राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आज विद्या भारती से शिक्षा प्राप्त कर विद्यार्थी उच्च पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान कर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। इससे पूर्व, हिमाचल शिक्षा समिति के अध्यक्ष श्री मोहन केस्टा ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए मेधावी छात्र सम्मान वर्ग को लेकर आयोजित कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी।विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री श्री विजय नड्डा, हिमाचल शिक्षा समिति के महामंत्री श्री सुरेश कपिल तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
शिमला , 22 जून [ विशाल सूद ] ! राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज यहां सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में हिमाचल शिक्षा समिति द्वारा आयोजित दो दिवसीय मेधावी छात्र सम्मान वर्ग का उद्घाटन किया। इस सम्मान वर्ग में प्रदेश के 48 विद्यालयों से 154 छात्र भाग ले रहे हैं, जिनमें हिमाचल शिक्षा बोर्ड की 10वीं और 12वीं कक्षा के मेधावी भी शामिल हैं। इस अवसर पर, राज्यपाल ने मेधावी छात्रों और पूर्व छात्रों को पुरस्कृत किया।
राज्यपाल ने कहा कि यह सम्मान समारोह न केवल मेधावी छात्रों को प्रोत्साहन देने का एक माध्यम है, बल्कि यह पूरे समाज को यह संदेश देता है कि मेहनत, अनुशासन, संस्कार, संस्कृति और सेवा की भावना से युक्त शिक्षा ही सच्ची शिक्षा है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनके परिश्रम, अनुशासन और आत्म-विश्वास का प्रमाण है।
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उन्होंने कहा कि आज देश को ऐसी पीढ़ी की आवश्यकता है जो न केवल अपने करियर की ऊंचाइयों तक पहुंचे, बल्कि समाज को भी साथ लेकर चले। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे सदैव स्वदेश, संस्कृति और समाज के लिए सोचें। उन्होंने कहा कि वे स्वयं को केवल नौकरी तक सीमित न रखें, बल्कि अपने कर्तव्य और भूमिका को राष्ट्रनिर्माण में खोजें।
श्री शुक्ल ने कहा,‘‘सफलता तभी सार्थक है जब उसमें समाज की सेवा का भाव हो। ज्ञान तभी उपयोगी है जब वह विनम्रता के साथ जुड़ा हो। और शिक्षा तभी पूर्ण है जब वह व्यक्ति को आत्मनिर्भर, आत्मसम्मानी और राष्ट्रनिष्ठ बनाए।’’उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि विद्या भारती द्वारा प्रदेश के किलाड़, डोडरा क्वार जैसे दुर्गम क्षेत्रों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में 190 सरस्वती विद्या मन्दिर चलाए जा रहे हैं, जिनमें 2000 शिक्षक और लगभग 26 हजार विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रथम शिशु मंदिर गोरखपुर में स्थापित किया गया था और उसके बाद शिक्षा और संस्कार देने के क्रम में इसके कार्यकर्ताओं ने बलिदान देकर विद्यालय स्थापित करने का कार्य किया। उन्होंने नैतिक शिक्षा और संस्कार पर बल देते हुए कहा कि अच्छे संस्कार ही बच्चों को नशे से दूर रखने में सहायक हैं। इस अवसर पर राज्यपाल ने विद्यार्थियों द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।
विद्या भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्री देशराज शर्मा ने कहा कि विश्व कल्याण ही विद्या भारती का आधार है और वह भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही शिक्षा का प्रसार कर रही है। उन्होंने कहा कि विद्या भारती राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आज विद्या भारती से शिक्षा प्राप्त कर विद्यार्थी उच्च पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान कर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं।
इससे पूर्व, हिमाचल शिक्षा समिति के अध्यक्ष श्री मोहन केस्टा ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए मेधावी छात्र सम्मान वर्ग को लेकर आयोजित कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी।विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के संगठन मंत्री श्री विजय नड्डा, हिमाचल शिक्षा समिति के महामंत्री श्री सुरेश कपिल तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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