- विज्ञापन (Article Top Ad) -
शिमला , 23 मई [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा विमल नेगी आत्महत्या मामले को पुलिस से हटाकर केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने के फैसले का राजेंद्र राणा ने जोरदार स्वागत किया है। राणा ने इस निर्णय को सच्चाई की जीत की दिशा में पहला और अहम कदम बताया है। राजेंद्र राणा ने कहा कि यह मामला शुरुआत से ही अत्यंत संवेदनशील था और स्वर्गीय विमल नेगी का परिवार पुलिस पर भरोसा नहीं जताते हुए लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहा था। इसके बावजूद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस मामले को सीबीआई को सौंपने से कतराते रहे, जिससे यह संदेह गहराता है कि आखिर क्यों सरकार एक निष्पक्ष जांच से बच रही थी। राणा ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में सरकार और शिमला एसपी की जमकर फजीहत करना यह दर्शाता है कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है। यह कोई अकेला मामला नहीं है, बल्कि जब से सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार बनी है, तब से प्रदेश में प्रशासनिक भ्रष्टाचार और मनमानी ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि "व्यवस्था परिवर्तन" का वादा करके सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने अब इसे भ्रष्टाचार परिवर्तन में बदल दिया है। जनता अब यह समझ चुकी है कि इस सरकार के लिए व्यवस्था का मतलब है— सिर्फ भ्रष्टाचार, राजनीतिक संरक्षण और आम लोगों की अनदेखी। राजेंद्र राणा ने यह भी कहा कि विमल नेगी के परिवार ने मुख्यमंत्री को कई बार सीबीआई जांच की मांग की थी, लेकिन उन्हें सिर्फ झूठे आश्वासन मिले। अब हाई कोर्ट के हस्तक्षेप से न केवल सच्चाई सामने आने की उम्मीद जगी है, बल्कि पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की राह भी खुली है। हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार, इस मामले की जांच में कोई भी हिमाचल कैडर का अधिकारी शामिल नहीं होगा, जिससे निष्पक्षता बनी रहे। यह निर्णय अत्यंत सराहनीय है और न्यायपालिका के प्रति जनता के विश्वास को और मजबूत करता है। राजेंद्र राणा ने मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों को चेताया कि अब वे मनमानी से बाज आएं और जनहित को सर्वोपरि रखें। विमल नेगी जैसे मामलों में लापरवाही और ढिलाई को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शिमला , 23 मई [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा विमल नेगी आत्महत्या मामले को पुलिस से हटाकर केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने के फैसले का राजेंद्र राणा ने जोरदार स्वागत किया है। राणा ने इस निर्णय को सच्चाई की जीत की दिशा में पहला और अहम कदम बताया है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि यह मामला शुरुआत से ही अत्यंत संवेदनशील था और स्वर्गीय विमल नेगी का परिवार पुलिस पर भरोसा नहीं जताते हुए लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहा था। इसके बावजूद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस मामले को सीबीआई को सौंपने से कतराते रहे, जिससे यह संदेह गहराता है कि आखिर क्यों सरकार एक निष्पक्ष जांच से बच रही थी।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
राणा ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में सरकार और शिमला एसपी की जमकर फजीहत करना यह दर्शाता है कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है। यह कोई अकेला मामला नहीं है, बल्कि जब से सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार बनी है, तब से प्रदेश में प्रशासनिक भ्रष्टाचार और मनमानी ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।
उन्होंने कहा कि "व्यवस्था परिवर्तन" का वादा करके सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने अब इसे भ्रष्टाचार परिवर्तन में बदल दिया है। जनता अब यह समझ चुकी है कि इस सरकार के लिए व्यवस्था का मतलब है— सिर्फ भ्रष्टाचार, राजनीतिक संरक्षण और आम लोगों की अनदेखी।
राजेंद्र राणा ने यह भी कहा कि विमल नेगी के परिवार ने मुख्यमंत्री को कई बार सीबीआई जांच की मांग की थी, लेकिन उन्हें सिर्फ झूठे आश्वासन मिले। अब हाई कोर्ट के हस्तक्षेप से न केवल सच्चाई सामने आने की उम्मीद जगी है, बल्कि पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की राह भी खुली है।
हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार, इस मामले की जांच में कोई भी हिमाचल कैडर का अधिकारी शामिल नहीं होगा, जिससे निष्पक्षता बनी रहे। यह निर्णय अत्यंत सराहनीय है और न्यायपालिका के प्रति जनता के विश्वास को और मजबूत करता है।
राजेंद्र राणा ने मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों को चेताया कि अब वे मनमानी से बाज आएं और जनहित को सर्वोपरि रखें। विमल नेगी जैसे मामलों में लापरवाही और ढिलाई को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -