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शिमला, 22 मई [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड (HPSBB) ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU), शिमला के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (IDB–2025) को बड़े उत्साह के साथ मनाया। इस कार्यक्रम में छात्रों, शोधार्थियों, शिक्षकों एवं जैव विविधता से जुड़े हितधारकों की सक्रिय भागीदारी रही।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री डी.सी. राणा (निदेशक, आपदा प्रबंधन एवं सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड) थे, जिन्होंने “स्थानीय जैव विविधता संरक्षण में समुदाय की भागीदारी” विषय पर एक प्रेरणादायक भाषण दिया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की समृद्ध जैव विविधता की सुरक्षा में युवाओं और शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका पर बल दिया तथा इस वर्ष की वैश्विक थीम "प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास" के साथ अपने विचारों को जोड़ा। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों में प्रो. जे.एस. धीमान (डीन, योजना एवं शिक्षक मामलों के प्रभारी, HPU शिमला), प्रो. डी.आर. ठाकुर (डीन, जीवन विज्ञान संकाय, HPU शिमला) तथा डॉ. सुरेश अत्री (संयुक्त सदस्य सचिव, HPSBB, शिमला) उपस्थित रहे। उन्होंने आजीविका, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में जैव विविधता की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. सुरेश अत्री ने सभी गणमान्य अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया तथा राज्य की जैविक संपदा के दस्तावेजीकरण और संरक्षण हेतु जन जैव विविधता रजिस्टर (PBR) और अन्य जन-जागरूकता कार्यक्रमों की जानकारी दी। इसके अतिरिक्त, जैव विविधता अधिनियम 2002 की प्रमुख विशेषताओं पर भी चर्चा की गई। IDB–2025 के अवसर पर, जैव विविधता से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने हेतु आयोजित इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के कई व्यक्तियों एवं संगठनों को राज्य में जैव विविधता संरक्षण हेतु उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।सम्मानित व्यक्तियों में प्रमुख रूप से (सेवानिवृत्त) कर्नल पी.सी. राणा (हल्दी मैन), ज्वालामुखी, कांगड़ा शामिल थे, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण एवं समुदाय आधारित संरक्षण पहलों में उनके दीर्घकालिक प्रयासों के लिए मान्यता दी गई। वैज्ञानिक समुदाय से डॉ. अमित चावला (प्रधान वैज्ञानिक, IHBT-CSIR, पालमपुर) एवं डॉ. वनीत जिश्तू (वैज्ञानिक, हिमालयी वन अनुसंधान संस्थान – HFRI) को पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में जैव विविधता संरक्षण हेतु उनके अनुसंधान एवं क्षेत्रीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही, डॉ. पंकज प्रसाद रतौरी (डाबर इंडिया लिमिटेड) को औद्योगिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में जैव विविधता संरक्षण को एकीकृत करने के लिए मान्यता प्राप्त हुई। इन व्यक्तियों एवं संस्थानों को दिए गए सम्मान यह दर्शाते हैं कि हिमाचल प्रदेश की जैव विविधता की रक्षा हेतु सामूहिक प्रयास अत्यंत आवश्यक हैं। इन प्रयासों की दिशा इस वर्ष की थीम "प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास" के अनुरूप है और समाज के सभी वर्गों को जैव विविधता की रक्षा और इसके सतत उपयोग की दिशा में योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।इस कार्यक्रम में विभिन्न प्रतिष्ठित वक्ताओं द्वारा ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। प्रो. (सेवानिवृत्त) एस.पी. भारद्वाज, जो कि तीन दशकों से अधिक का अनुभव रखने वाले वरिष्ठ शिक्षाविद एवं शोधकर्ता हैं, ने “हिमाचल प्रदेश में बागवानी जैव संसाधनों का संरक्षण” विषय पर अपने विचार साझा किए। डॉ. वाई.पी. शर्मा (पूर्व प्रमुख), ICAR-IARI, क्षेत्रीय केंद्र शिमला, भारत सरकार ने “खाद्य सुरक्षा हेतु जैव विविधता का उपयोग” विषय पर संबोधित किया। डॉ. वनीत जिश्तू, वैज्ञानिक-ई, ICFRE-HFRI ने “अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस: मुद्दे एवं चुनौतियाँ” विषय पर विचार प्रस्तुत किए।यह कार्यक्रम वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं से लेकर जमीनी स्तर की समुदायों तक की समावेशी भागीदारी पर बल देता है, जिससे जैव विविधता की सुरक्षा एवं सतत उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। राज्य ने सहयोगात्मक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर जैव विविधता लक्ष्यों की प्राप्ति एवं पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
शिमला, 22 मई [ विशाल सूद ] ! हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड (HPSBB) ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU), शिमला के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (IDB–2025) को बड़े उत्साह के साथ मनाया। इस कार्यक्रम में छात्रों, शोधार्थियों, शिक्षकों एवं जैव विविधता से जुड़े हितधारकों की सक्रिय भागीदारी रही।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री डी.सी. राणा (निदेशक, आपदा प्रबंधन एवं सदस्य सचिव, हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड) थे, जिन्होंने “स्थानीय जैव विविधता संरक्षण में समुदाय की भागीदारी” विषय पर एक प्रेरणादायक भाषण दिया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की समृद्ध जैव विविधता की सुरक्षा में युवाओं और शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका पर बल दिया तथा इस वर्ष की वैश्विक थीम "प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास" के साथ अपने विचारों को जोड़ा।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथियों में प्रो. जे.एस. धीमान (डीन, योजना एवं शिक्षक मामलों के प्रभारी, HPU शिमला), प्रो. डी.आर. ठाकुर (डीन, जीवन विज्ञान संकाय, HPU शिमला) तथा डॉ. सुरेश अत्री (संयुक्त सदस्य सचिव, HPSBB, शिमला) उपस्थित रहे। उन्होंने आजीविका, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में जैव विविधता की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
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डॉ. सुरेश अत्री ने सभी गणमान्य अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया तथा राज्य की जैविक संपदा के दस्तावेजीकरण और संरक्षण हेतु जन जैव विविधता रजिस्टर (PBR) और अन्य जन-जागरूकता कार्यक्रमों की जानकारी दी। इसके अतिरिक्त, जैव विविधता अधिनियम 2002 की प्रमुख विशेषताओं पर भी चर्चा की गई।
IDB–2025 के अवसर पर, जैव विविधता से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने हेतु आयोजित इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के कई व्यक्तियों एवं संगठनों को राज्य में जैव विविधता संरक्षण हेतु उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।सम्मानित व्यक्तियों में प्रमुख रूप से (सेवानिवृत्त) कर्नल पी.सी. राणा (हल्दी मैन), ज्वालामुखी, कांगड़ा शामिल थे, जिन्हें पर्यावरण संरक्षण एवं समुदाय आधारित संरक्षण पहलों में उनके दीर्घकालिक प्रयासों के लिए मान्यता दी गई। वैज्ञानिक समुदाय से डॉ. अमित चावला (प्रधान वैज्ञानिक, IHBT-CSIR, पालमपुर) एवं डॉ. वनीत जिश्तू (वैज्ञानिक, हिमालयी वन अनुसंधान संस्थान – HFRI) को पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में जैव विविधता संरक्षण हेतु उनके अनुसंधान एवं क्षेत्रीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। साथ ही, डॉ. पंकज प्रसाद रतौरी (डाबर इंडिया लिमिटेड) को औद्योगिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में जैव विविधता संरक्षण को एकीकृत करने के लिए मान्यता प्राप्त हुई।
इन व्यक्तियों एवं संस्थानों को दिए गए सम्मान यह दर्शाते हैं कि हिमाचल प्रदेश की जैव विविधता की रक्षा हेतु सामूहिक प्रयास अत्यंत आवश्यक हैं। इन प्रयासों की दिशा इस वर्ष की थीम "प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास" के अनुरूप है और समाज के सभी वर्गों को जैव विविधता की रक्षा और इसके सतत उपयोग की दिशा में योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।इस कार्यक्रम में विभिन्न प्रतिष्ठित वक्ताओं द्वारा ज्ञानवर्धक व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। प्रो. (सेवानिवृत्त) एस.पी. भारद्वाज, जो कि तीन दशकों से अधिक का अनुभव रखने वाले वरिष्ठ शिक्षाविद एवं शोधकर्ता हैं, ने “हिमाचल प्रदेश में बागवानी जैव संसाधनों का संरक्षण” विषय पर अपने विचार साझा किए। डॉ. वाई.पी. शर्मा (पूर्व प्रमुख), ICAR-IARI, क्षेत्रीय केंद्र शिमला, भारत सरकार ने “खाद्य सुरक्षा हेतु जैव विविधता का उपयोग” विषय पर संबोधित किया। डॉ. वनीत जिश्तू, वैज्ञानिक-ई, ICFRE-HFRI ने “अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस: मुद्दे एवं चुनौतियाँ” विषय पर विचार प्रस्तुत किए।
यह कार्यक्रम वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं से लेकर जमीनी स्तर की समुदायों तक की समावेशी भागीदारी पर बल देता है, जिससे जैव विविधता की सुरक्षा एवं सतत उपयोग सुनिश्चित किया जा सके। राज्य ने सहयोगात्मक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर जैव विविधता लक्ष्यों की प्राप्ति एवं पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
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