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हमीरपुर, 21 मई [ बिंदिया ठाकुर ] ! पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि विमल नेगी प्रकरण पर हिमाचल प्रदेश के डी.जी.पी. द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में जो चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, वह न केवल पुलिस महकमे की साख पर सवाल खड़े करते हैं बल्कि राज्य सरकार की नीयत और गंभीरता पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। राणा ने इस पूरे मामले को "लोकतंत्र की हत्या" करार दिया है। आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के पुलिस महानिदेशक की रिपोर्ट बताती है कि शिमला के एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने जानबूझकर इस जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। यहाँ तक कि विमल नेगी की जेब से मिली पेन ड्राइव को पहले छिपाया गया, फिर फॉर्मेट कर उसका डाटा शिमला पुलिस के ही एक एएसआई द्वारा डिलीट किया गया, जिसमें बड़े प्रोजेक्ट्स से जुड़ी संवेदनशील सूचनाएँ थीं। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रभावशाली लोगों के साथ-साथ पुलिस के कुछ अधिकारियों का व्यवहार इस बात का संकेत है कि किसी बहुत बड़े व्यक्ति या नेटवर्क को बचाने की कोशिश की जा रही है। राजेंद्र राणा ने पूछा कि आखिर सरकार इस मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव की रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है? उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने विधानसभा में वादा किया था कि 15 दिनों में रिपोर्ट सामने लाई जाएगी, फिर अब क्या छुपाया जा रहा है? क्यों विमल नेगी की धर्मपत्नी की अपील के बावजूद यह रिपोर्ट परिवार के साथ साझा नहीं की जा रही? उन्होंने कहा, "अगर एक ईमानदार अधिकारी की मौत के बाद भी उसे न्याय नहीं मिल रहा, तो यह हमारे लोकतंत्र के लिए शर्म की बात है। यह प्रकरण अब सरकार के लिए एक नैतिक संकट बन चुका है।" राजेंद्र राणा ने मांग की कि उच्च न्यायालय की निगरानी में इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाई जाए और डी.जी.पी. की रिपोर्ट में जिन अधिकारियों पर सवाल उठाए गए हैं, उन्हें तुरंत निलंबित कर गिरफ्तार किया जाए। साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिव की रिपोर्ट को जनता और पीड़ित परिवार के साथ साझा किया जाए।
हमीरपुर, 21 मई [ बिंदिया ठाकुर ] ! पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि विमल नेगी प्रकरण पर हिमाचल प्रदेश के डी.जी.पी. द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में जो चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, वह न केवल पुलिस महकमे की साख पर सवाल खड़े करते हैं बल्कि राज्य सरकार की नीयत और गंभीरता पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। राणा ने इस पूरे मामले को "लोकतंत्र की हत्या" करार दिया है।
आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के पुलिस महानिदेशक की रिपोर्ट बताती है कि शिमला के एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने जानबूझकर इस जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। यहाँ तक कि विमल नेगी की जेब से मिली पेन ड्राइव को पहले छिपाया गया, फिर फॉर्मेट कर उसका डाटा शिमला पुलिस के ही एक एएसआई द्वारा डिलीट किया गया, जिसमें बड़े प्रोजेक्ट्स से जुड़ी संवेदनशील सूचनाएँ थीं।
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उन्होंने कहा कि सरकार के प्रभावशाली लोगों के साथ-साथ पुलिस के कुछ अधिकारियों का व्यवहार इस बात का संकेत है कि किसी बहुत बड़े व्यक्ति या नेटवर्क को बचाने की कोशिश की जा रही है। राजेंद्र राणा ने पूछा कि आखिर सरकार इस मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव की रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है? उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने विधानसभा में वादा किया था कि 15 दिनों में रिपोर्ट सामने लाई जाएगी, फिर अब क्या छुपाया जा रहा है? क्यों विमल नेगी की धर्मपत्नी की अपील के बावजूद यह रिपोर्ट परिवार के साथ साझा नहीं की जा रही?
उन्होंने कहा, "अगर एक ईमानदार अधिकारी की मौत के बाद भी उसे न्याय नहीं मिल रहा, तो यह हमारे लोकतंत्र के लिए शर्म की बात है। यह प्रकरण अब सरकार के लिए एक नैतिक संकट बन चुका है।"
राजेंद्र राणा ने मांग की कि उच्च न्यायालय की निगरानी में इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाई जाए और डी.जी.पी. की रिपोर्ट में जिन अधिकारियों पर सवाल उठाए गए हैं, उन्हें तुरंत निलंबित कर गिरफ्तार किया जाए। साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिव की रिपोर्ट को जनता और पीड़ित परिवार के साथ साझा किया जाए।
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