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शिमला , 05 नवंबर [ के एस प्रेमी ] ! हिमाचल प्रदेश सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए स्पष्ट किया है कि राज्य के किसी भी डिग्री कॉलेज को मर्ज नहीं किया जाएगा। विद्यार्थियों की घटती संख्या के बावजूद सरकार ने ऐसे कॉलेजों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने का निर्णय लिया है। मंगलवार को शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में हुई विभागीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि अब कॉलेजों में प्रोफेशनल और रोजगारोन्मुखी कोर्स शुरू किए जाएंगे ताकि युवाओं को बेहतर अवसर मिल सकें। फरवरी 2025 में शिक्षा विभाग की ओर से 16 कॉलेजों को मर्ज करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इनमें वे कॉलेज शामिल थे, जहां विद्यार्थियों की संख्या 100 से भी कम थी। लेकिन अब सरकार ने इस योजना पर पुनर्विचार करते हुए स्पष्ट किया है कि किसी भी कॉलेज को बंद या विलय नहीं किया जाएगा। मंत्री ने बताया कि कॉलेजों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चार वर्षीय बीएड, बीबीए, बीसीए, पर्यटन प्रबंधन, फार्मा, कृषि विज्ञान, आईटी और हेल्थ सेक्टर से जुड़े कोर्स शुरू करने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रस्ताव तैयार कर 2026 के अकादमिक सत्र से कुछ नए कोर्स शुरू किए जाएं। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि छोटे और पहाड़ी क्षेत्रों के कॉलेज स्थानीय युवाओं के लिए शिक्षा का मुख्य माध्यम हैं। यदि इन्हें मर्ज किया गया तो खासतौर पर लड़कियों की शिक्षा पर असर पड़ सकता है। इसलिए सरकार ऐसे कॉलेजों में स्थानीय मांग के अनुसार नए कोर्स शुरू कर उन्हें पुनर्जीवित करेगी। सरकार ने यह भी तय किया है कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षकों की कमी पूरी करने, इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने और डिजिटल शिक्षण साधनों को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। बैठक में स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली, समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा सहित कई अधिकारी मौजूद रहे। इसके अलावा प्रिंसिपलों की पदोन्नति और विधानसभा सत्र की तैयारियों को लेकर भी चर्चा हुई। पूर्व में जिन कॉलेजों को मर्ज करने का प्रस्ताव था, उनमें भलेई, कुपवी, कुकुमसेरी, टिक्कर, चिंतपूर्णी, रोनहाट, हरिपुर गुलेर, कोटली, पझोता, ननखड़ी, सुग भटोली, थाची, संधोल और जयनगर कॉलेज शामिल थे।
शिमला , 05 नवंबर [ के एस प्रेमी ] ! हिमाचल प्रदेश सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए स्पष्ट किया है कि राज्य के किसी भी डिग्री कॉलेज को मर्ज नहीं किया जाएगा। विद्यार्थियों की घटती संख्या के बावजूद सरकार ने ऐसे कॉलेजों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाने का निर्णय लिया है।
मंगलवार को शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता में हुई विभागीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि अब कॉलेजों में प्रोफेशनल और रोजगारोन्मुखी कोर्स शुरू किए जाएंगे ताकि युवाओं को बेहतर अवसर मिल सकें।
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फरवरी 2025 में शिक्षा विभाग की ओर से 16 कॉलेजों को मर्ज करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इनमें वे कॉलेज शामिल थे, जहां विद्यार्थियों की संख्या 100 से भी कम थी। लेकिन अब सरकार ने इस योजना पर पुनर्विचार करते हुए स्पष्ट किया है कि किसी भी कॉलेज को बंद या विलय नहीं किया जाएगा।
मंत्री ने बताया कि कॉलेजों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चार वर्षीय बीएड, बीबीए, बीसीए, पर्यटन प्रबंधन, फार्मा, कृषि विज्ञान, आईटी और हेल्थ सेक्टर से जुड़े कोर्स शुरू करने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रस्ताव तैयार कर 2026 के अकादमिक सत्र से कुछ नए कोर्स शुरू किए जाएं।
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि छोटे और पहाड़ी क्षेत्रों के कॉलेज स्थानीय युवाओं के लिए शिक्षा का मुख्य माध्यम हैं। यदि इन्हें मर्ज किया गया तो खासतौर पर लड़कियों की शिक्षा पर असर पड़ सकता है। इसलिए सरकार ऐसे कॉलेजों में स्थानीय मांग के अनुसार नए कोर्स शुरू कर उन्हें पुनर्जीवित करेगी।
सरकार ने यह भी तय किया है कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षकों की कमी पूरी करने, इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने और डिजिटल शिक्षण साधनों को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
बैठक में स्कूल शिक्षा निदेशक आशीष कोहली, समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा सहित कई अधिकारी मौजूद रहे। इसके अलावा प्रिंसिपलों की पदोन्नति और विधानसभा सत्र की तैयारियों को लेकर भी चर्चा हुई।
पूर्व में जिन कॉलेजों को मर्ज करने का प्रस्ताव था, उनमें भलेई, कुपवी, कुकुमसेरी, टिक्कर, चिंतपूर्णी, रोनहाट, हरिपुर गुलेर, कोटली, पझोता, ननखड़ी, सुग भटोली, थाची, संधोल और जयनगर कॉलेज शामिल थे।
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