


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नगर एकत्रीकरण: अनुशासन और राष्ट्र सेवा का संदेश
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शिमला , 05 अक्तूबर [ विशाल सूद ] ! जिला शिमला के कसुम्पटी नगर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा संघ शताब्दी वर्ष और विजयदशमी उत्सव के उपलक्ष्य में नगर एकत्रीकरण और पथ संचलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कसुम्पटी के विकासनगर स्थित हिम रश्मि परिसर (सरस्वती विद्या मंदिर) में आयोजित इस कार्यक्रम में 272 स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश सहित भाग लिया। कार्यक्रम में समाज के 112 जनों ने भाग लेकर संघ के प्रति अपना गौरव व सम्मान प्रकट किया। स्वयंसेवकों ने सरस्वती विद्या मंदिर विकासनगर से राष्ट्रीय विद्या केंद्र कसुम्पटी तक, पूर्ण अनुशासन के साथ भव्य पथ संचलन किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री दीपराम गर्ग ने अपने उद्बोधन में कहा कि जितने स्वयंसेवक आज यहाँ एकत्र हुए हैं, कभी यह कल्पना करना भी कठिन था कि इतने स्वयंसेवक पूरे प्रांत में होंगे। उन्होंने कहा कि गत 100 वर्षों की संघ यात्रा में स्वयंसेवकों का संघर्ष अविस्मरणीय तथा समाज का सहयोग भरपूर रहा है। संघ की स्थापना पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संघ संस्थापक आद्य सरसंघचालक डॉ॰ केशव बलिराम हेडगेवार का गहन चिंतन इस विषय पर रहा कि भारत बार-बार परतंत्र क्यों हुआ। इस प्रश्न का उत्तर खोजते हुए, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रादुर्भाव हुआ। श्री दीपराम गर्ग ने स्पष्ट किया कि शाखा, व्यक्ति निर्माण का मूल तंत्र है; अतः सभी स्वयंसेवक शाखा विस्तार के लिये सतत कार्य करने का संकल्प लें। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मेजर जनरल (सेवा निवृत) श्री अतुल कौशिक ने कहा कि संघ ने ‘सेवा परमो धर्म’ की देश की पुरातन परंपरा को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि संघ ने यह दिखाया है कि चरित्र निर्माण व राष्ट्र निर्माण जैसे कार्य, बंद कक्षों में नहीं अपितु खुले मैदानों, पहाड़ों और शाखाओं में किए जा सकते हैं। उन्होंने स्वयंसेवकों से पर्यावरण के संरक्षण के लिए जुटने का आह्वान किया। संघ शताब्दी वर्ष के निमित्त आयोजित यह कार्यक्रम, संघ के अनुशासन, समाजसेवा और राष्ट्र निर्माण के संकल्प का प्रेरणादायी प्रतीक रहा। इस अवसर पर प्रांत कार्यकारिणी सदस्य श्री वीरेंद्र सेपिहिया, नगर संघचालक श्री राजेंद्र भारद्वाज, पूर्व मंत्री श्री सुरेश भारद्वाज, सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी श्री राजेन्द्र भट्ट, ब्रहमाकुमारीज़ प्रतिनिधि सहित अन्य प्रबुद्ध जन, कार्यकर्ता व पदाधिकारी उपस्थित रहे।
शिमला , 05 अक्तूबर [ विशाल सूद ] ! जिला शिमला के कसुम्पटी नगर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा संघ शताब्दी वर्ष और विजयदशमी उत्सव के उपलक्ष्य में नगर एकत्रीकरण और पथ संचलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कसुम्पटी के विकासनगर स्थित हिम रश्मि परिसर (सरस्वती विद्या मंदिर) में आयोजित इस कार्यक्रम में 272 स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश सहित भाग लिया। कार्यक्रम में समाज के 112 जनों ने भाग लेकर संघ के प्रति अपना गौरव व सम्मान प्रकट किया। स्वयंसेवकों ने सरस्वती विद्या मंदिर विकासनगर से राष्ट्रीय विद्या केंद्र कसुम्पटी तक, पूर्ण अनुशासन के साथ भव्य पथ संचलन किया।
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कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री दीपराम गर्ग ने अपने उद्बोधन में कहा कि जितने स्वयंसेवक आज यहाँ एकत्र हुए हैं, कभी यह कल्पना करना भी कठिन था कि इतने स्वयंसेवक पूरे प्रांत में होंगे। उन्होंने कहा कि गत 100 वर्षों की संघ यात्रा में स्वयंसेवकों का संघर्ष अविस्मरणीय तथा समाज का सहयोग भरपूर रहा है।
संघ की स्थापना पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संघ संस्थापक आद्य सरसंघचालक डॉ॰ केशव बलिराम हेडगेवार का गहन चिंतन इस विषय पर रहा कि भारत बार-बार परतंत्र क्यों हुआ। इस प्रश्न का उत्तर खोजते हुए, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रादुर्भाव हुआ। श्री दीपराम गर्ग ने स्पष्ट किया कि शाखा, व्यक्ति निर्माण का मूल तंत्र है; अतः सभी स्वयंसेवक शाखा विस्तार के लिये सतत कार्य करने का संकल्प लें।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मेजर जनरल (सेवा निवृत) श्री अतुल कौशिक ने कहा कि संघ ने ‘सेवा परमो धर्म’ की देश की पुरातन परंपरा को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि संघ ने यह दिखाया है कि चरित्र निर्माण व राष्ट्र निर्माण जैसे कार्य, बंद कक्षों में नहीं अपितु खुले मैदानों, पहाड़ों और शाखाओं में किए जा सकते हैं। उन्होंने स्वयंसेवकों से पर्यावरण के संरक्षण के लिए जुटने का आह्वान किया।
संघ शताब्दी वर्ष के निमित्त आयोजित यह कार्यक्रम, संघ के अनुशासन, समाजसेवा और राष्ट्र निर्माण के संकल्प का प्रेरणादायी प्रतीक रहा। इस अवसर पर प्रांत कार्यकारिणी सदस्य श्री वीरेंद्र सेपिहिया, नगर संघचालक श्री राजेंद्र भारद्वाज, पूर्व मंत्री श्री सुरेश भारद्वाज, सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी श्री राजेन्द्र भट्ट, ब्रहमाकुमारीज़ प्रतिनिधि सहित अन्य प्रबुद्ध जन, कार्यकर्ता व पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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