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शिमला , 31 दिसंबर [ शिवानी ] ! आज एसएफआई शिमला जिला कमेटी द्वारा एस एफ आई के 56 वर्ष पूरे होने पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें कॉमरेड राकेश सिंघा मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे। स्वाधीनता, जनवाद, समाजवाद - अध्ययन, संघर्ष, बलिदान के 56 वर्ष पूरे होने पर एस एफ आई शिमला जिला कमेटी द्वारा चितकारा पार्क केथू (किसान - मजदूर भवन) में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसका मूल विषय (एस एफ आई स्थापना के 56 वर्ष ) "हमारा संघर्ष - हमारी विरासत" के नाम पर रखा गया था। जिसमें हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रथम छात्र संघ चुनाव अध्यक्ष व एस एफ आई हिमाचल प्रदेश के भूतपूर्व राज्य अध्यक्ष एवं वर्तमान समय में मज़दूर, किसान, पीड़ित समाज की मज़बूत आवाज़ कॉमरेड राकेश सिंघा मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे। एस एफ आई हिमाचल प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष कॉमरेड राकेश सिंघा भी इस उपलक्ष्य पर शामिल हुए। कॉमरेड राकेश सिंघा ने हिमाचल प्रदेश में छात्र राजनीति के इतिहास, उसकी प्रासंगिकता पर प्रमुखता से बात रखी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 1978 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पहली बार छात्र संघ के चुनाव हुए थे। इसके उपरांत 1979 में एस एफ आई से राकेश सिंघा अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए थे। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में एस एफ आई की विरासत और संघर्ष पर बात रखते हुए कहा कि 1970 से आज तक लगभग 278 छात्र व छात्राओं ने समूचे देश में समावेशी व समतामूलक शिक्षा के संघर्ष के साथ सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ते हुए शहादते दी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के अंदर एस एफ आई का इतिहास संघर्षों का रहा है, फिर चाहे बात फीस वृद्धि की हो या छात्र विरोधी नीतियों की। एस एफ आई देश का एकमात्र छात्र संगठन है जो सही मायने में शहीद ए आज़म भगत सिंह की विरासत को आगे ले जा रहा है। उनका कहना है कि स्वाधीनता, जनवाद और समाजवाद के नारे को बुलंद करते हुए निरंतर एक ऐसे समाज के निर्माण में अपना योगदान दे रहा है जिसकी कल्पना शहिद ए आज़म भगत सिंह ने की थी। सिंघा ने कहा कि आज के विपरीत समय के बावजूद जब हमारा देश दक्षिणपंथ राजनीति से प्रभावित है एस एफ आई मजबूती से अपनी विचारधारा को छात्रों तक पहुंचाने में कामयाब है और आगे भी होगा। इस उपलक्ष्य पर एसएफआई राज्य सचिव सन्नी सेकटा ने कहा की आज एसएफआई उस दौर के अंदर अपना स्थापना दिवस मना रही है जिस दौर में सांप्रदायिक ताकतें लगातार छात्रों की एकजुटता को तोड़ने का काम कर रही है। इन्होने कहा वर्तमान में छात्रों के सामने शिक्षा के अधिकार और उसके सार्वजनिक ढांचे को बचाने की बड़ी चुनौती है इसके खिलाफ देश के तमाम छात्र समुदाय को एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है। देश में एसएफआई 1970 से लेकर आज तक शिक्षा के अधिकार,संविधान को बचाने की लड़ाई,सामाजिक न्याय और सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। आज छात्रों के सामने सार्वजनिक शिक्षा को बचाने की बड़ी चुनौती है जहां पर मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की आड़ में शिक्षा की प्राथमिक सीढ़ी को खत्म करने का काम करते हुए पूरे देश में सरकारी स्कूलों को बंद करने का काम जारी रखे हुए हैं,जिसमें 90,000 से ज्यादा सरकारी स्कूलों को देश में बंद कर दिया गया है। इसके साथ-साथ देश की सार्वजनिक शिक्षा को खत्म किया जा रहा हैं और देश के पूंजीपतियों को बेचने का काम करते हुए शिक्षा का निजीकरण और संप्रदायिकरण किया जा रहा है। इसके चलते पूरे देश में समाज का एक गरीब वर्ग शिक्षा से दूर होता जा रहा है। शिक्षा एक समाजिक वस्तु है जो प्रगतिशील समाज को बनाने का काम करती है। एस एफ आई राज्य सचिव सन्नी ने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस सरकार केंद्र सरकार के नक्शे कदमों में चलने का काम कर रही है। प्रदेश में सार्वजनिक शिक्षा का ढांचा बहुत ख़राब है छात्रों को मूलभूत सुविधा देने में नकामयाब है और सरकारी स्कूलों को बंद करने का काम कर रही हैं। एसएफआई अपने स्थापना से लेकर प्रगतिशील,वैज्ञानिक और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा व्यवस्था की बात करती आई है। एसएफआई इस स्थापना दिवस से देश के और हिमाचल प्रदेश के सभी छात्र समुदाय को शुभकामनायें देती है इसके साथ यह भी अपील करती हैं कि आने वाले समय में इन छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ मिलकर लड़ना पड़ेगा ताकि शिक्षा का सार्वजनिक ढांचे को बचाया जा सके नहीं तो आने वाले समय में यह शिक्षा नहीं बचेगी।
शिमला , 31 दिसंबर [ शिवानी ] ! आज एसएफआई शिमला जिला कमेटी द्वारा एस एफ आई के 56 वर्ष पूरे होने पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें कॉमरेड राकेश सिंघा मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे।
स्वाधीनता, जनवाद, समाजवाद - अध्ययन, संघर्ष, बलिदान के 56 वर्ष पूरे होने पर एस एफ आई शिमला जिला कमेटी द्वारा चितकारा पार्क केथू (किसान - मजदूर भवन) में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसका मूल विषय (एस एफ आई स्थापना के 56 वर्ष ) "हमारा संघर्ष - हमारी विरासत" के नाम पर रखा गया था। जिसमें हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रथम छात्र संघ चुनाव अध्यक्ष व एस एफ आई हिमाचल प्रदेश के भूतपूर्व राज्य अध्यक्ष एवं वर्तमान समय में मज़दूर, किसान, पीड़ित समाज की मज़बूत आवाज़ कॉमरेड राकेश सिंघा मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे।
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एस एफ आई हिमाचल प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष कॉमरेड राकेश सिंघा भी इस उपलक्ष्य पर शामिल हुए। कॉमरेड राकेश सिंघा ने हिमाचल प्रदेश में छात्र राजनीति के इतिहास, उसकी प्रासंगिकता पर प्रमुखता से बात रखी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 1978 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पहली बार छात्र संघ के चुनाव हुए थे। इसके उपरांत 1979 में एस एफ आई से राकेश सिंघा अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए थे।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश में एस एफ आई की विरासत और संघर्ष पर बात रखते हुए कहा कि 1970 से आज तक लगभग 278 छात्र व छात्राओं ने समूचे देश में समावेशी व समतामूलक शिक्षा के संघर्ष के साथ सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ते हुए शहादते दी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के अंदर एस एफ आई का इतिहास संघर्षों का रहा है, फिर चाहे बात फीस वृद्धि की हो या छात्र विरोधी नीतियों की।
एस एफ आई देश का एकमात्र छात्र संगठन है जो सही मायने में शहीद ए आज़म भगत सिंह की विरासत को आगे ले जा रहा है। उनका कहना है कि स्वाधीनता, जनवाद और समाजवाद के नारे को बुलंद करते हुए निरंतर एक ऐसे समाज के निर्माण में अपना योगदान दे रहा है जिसकी कल्पना शहिद ए आज़म भगत सिंह ने की थी। सिंघा ने कहा कि आज के विपरीत समय के बावजूद जब हमारा देश दक्षिणपंथ राजनीति से प्रभावित है एस एफ आई मजबूती से अपनी विचारधारा को छात्रों तक पहुंचाने में कामयाब है और आगे भी होगा।
इस उपलक्ष्य पर एसएफआई राज्य सचिव सन्नी सेकटा ने कहा की आज एसएफआई उस दौर के अंदर अपना स्थापना दिवस मना रही है जिस दौर में सांप्रदायिक ताकतें लगातार छात्रों की एकजुटता को तोड़ने का काम कर रही है। इन्होने कहा वर्तमान में छात्रों के सामने शिक्षा के अधिकार और उसके सार्वजनिक ढांचे को बचाने की बड़ी चुनौती है इसके खिलाफ देश के तमाम छात्र समुदाय को एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है।
देश में एसएफआई 1970 से लेकर आज तक शिक्षा के अधिकार,संविधान को बचाने की लड़ाई,सामाजिक न्याय और सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। आज छात्रों के सामने सार्वजनिक शिक्षा को बचाने की बड़ी चुनौती है जहां पर मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की आड़ में शिक्षा की प्राथमिक सीढ़ी को खत्म करने का काम करते हुए पूरे देश में सरकारी स्कूलों को बंद करने का काम जारी रखे हुए हैं,जिसमें 90,000 से ज्यादा सरकारी स्कूलों को देश में बंद कर दिया गया है।
इसके साथ-साथ देश की सार्वजनिक शिक्षा को खत्म किया जा रहा हैं और देश के पूंजीपतियों को बेचने का काम करते हुए शिक्षा का निजीकरण और संप्रदायिकरण किया जा रहा है। इसके चलते पूरे देश में समाज का एक गरीब वर्ग शिक्षा से दूर होता जा रहा है। शिक्षा एक समाजिक वस्तु है जो प्रगतिशील समाज को बनाने का काम करती है।
एस एफ आई राज्य सचिव सन्नी ने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस सरकार केंद्र सरकार के नक्शे कदमों में चलने का काम कर रही है। प्रदेश में सार्वजनिक शिक्षा का ढांचा बहुत ख़राब है छात्रों को मूलभूत सुविधा देने में नकामयाब है और सरकारी स्कूलों को बंद करने का काम कर रही हैं।
एसएफआई अपने स्थापना से लेकर प्रगतिशील,वैज्ञानिक और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा व्यवस्था की बात करती आई है। एसएफआई इस स्थापना दिवस से देश के और हिमाचल प्रदेश के सभी छात्र समुदाय को शुभकामनायें देती है इसके साथ यह भी अपील करती हैं कि आने वाले समय में इन छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ मिलकर लड़ना पड़ेगा ताकि शिक्षा का सार्वजनिक ढांचे को बचाया जा सके नहीं तो आने वाले समय में यह शिक्षा नहीं बचेगी।
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