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शिमला , 01 सितंबर [ विशाल सूद ] ! कांग्रेस के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग कोई नई बात नहीं है। संसद सत्र के दौरान पूरे राष्ट्र ने देखा कि कांग्रेस सांसद वेल में खड़े होकर लगातार ‘चोर, चोर’ के नारे लगा रहे थे। स्थिति इतनी गंभीर हुई कि लोकसभा अध्यक्ष को स्वयं यह कहना पड़ा कि भाषा की मर्यादा चकनाचूर हो गई है। भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी एवं विधायक रणधीर शर्मा ने आशियाना में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की बिहार यात्रा के दौरान आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबंध में प्रयोग की गई अभद्र भाषा की कड़ी आलोचना की। रणधीर शर्मा ने कहा कि दरभंगा की सभा में माननीय प्रधानमंत्री जी और उनकी स्वर्गीय माता जी के प्रति जिस प्रकार की अभद्र और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया, उसके मूल में स्वयं राहुल गांधी हैं। यदि उनके हालिया भाषणों का विश्लेषण किया जाए तो यह स्पष्ट होता है कि वे पिछले कई दिनों से प्रधानमंत्री को ‘तू’ कहकर संबोधित कर रहे हैं, जो शिष्टाचार और राजनीतिक मर्यादा की सीधी अवहेलना है। कांग्रेस पार्टी ने जबसे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को एक संभावित और प्रभावी नेता के रूप में स्वीकार किया है, तभी से वह लगातार उनके प्रति अमर्यादित भाषा का प्रयोग करती आ रही है। रणधीर शर्मा ने कहा कि बिहार में राहुल गांधी की यात्रा के दौरान जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया जा रहा है, वह अत्यंत दुखद है। लोकतंत्र में संवाद और असहमति के अपने आदर्श होते हैं। सुषमा स्वराज जी के वे शब्द आज भी स्मरणीय हैं, जब उन्होंने सदन में कहा था कि “हम शत्रु नहीं, बल्कि वैचारिक रूप से विरोधी हैं।“ उन्होंने कहा कि आज स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि भाषा की मर्यादा लगातार तार-तार हो रही है। माननीय प्रधानमंत्री जी और लगभग सौ वर्ष की आयु में दिवंगत उनकी माता जी के प्रति जिस तरह की कटु, अश्लील और अभद्र भाषा का प्रयोग की गयी, वह अत्यंत निंदनीय है। शर्मा ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जिस पार्टी ने कभी अपने आप को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा और जिसे महात्मा गांधी जी की पार्टी कहा जाता था, वही आज ‘गाली वाली पार्टी’ बन गई है। यह वह तथाकथित नकली गांधी परिवार की पार्टी है, जिसमें अधिकार-बोध और अहंकार कूट-कूट कर भरा हुआ है। उन्हें ऐसा लगता है मानो भारतवर्ष पर केवल उनका ही अधिकार हो। यदि उन्हें राजनीतिक सत्ता नहीं मिलती, तो वे लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेताओं से गद्दी छोड़ने की माँग करते हैं। और जब सत्ता हाथ नहीं आती, तो वे को जो लोकतांत्रिक रूप से चुन हुए व्यक्ति पर व्यक्तिगत और अपमानजनक भाषा तक का प्रयोग करने से नहीं चूकते। यहां तक कि उसे मां की गाली भी दे सकते है। शर्मा ने कहा कि बिहार वह धरती है, जहां से चाणक्य का जन्म हुआ, जहां से भगवान बुद्ध का संदेश प्रसारित हुआ, जहां से भाषा, ज्ञान और संस्कृति की धारा प्रवाहित हुई। आज उसी बिहार की जनता राहुल गांधी की भाषा को देख रही है, उसे परख रही है और समय आने पर उसका उत्तर भी देगी। और, इस अभद्र भाषा की प्रवृत्ति के मूल जनक स्वयं राहुल गांधी ही हैं। दरभंगा की सभा में मंच से जिस प्रकार माननीय प्रधानमंत्री जी और उनकी माता जी के बारे में कहा गया, उसके पीछे भी राहुल गांधी का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। यदि उनके हालिया भाषणों का विश्लेषण किया जाए, तो पता चलता है कि पिछले कई दिनों से वे प्रधानमंत्री को ‘तू’ कहकर संबोधित कर रहे हैं, जैसे — “तू युद्ध बंद कर दे, 24 घंटे का समय दिया गया है, नहीं तो तुझे छोड़ा नहीं जाएगा, तुझे हम देख लेंगे।” उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी 140 करोड़ भारतीयों के प्रधानमंत्री हैं। इस प्रकार की भाषा किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कही जा सकती। भारतवर्ष सदैव संवाद की मर्यादा का सम्मान करता है और अभद्र, अमर्यादित भाषा को कभी स्वीकार नहीं करता। शर्मा ने कहा कि दुर्भाग्यवश यह पहली बार नहीं है। हाल ही में संसद के सत्र में जिस तरह के नारे लगाए गए — “चोर, चोर, चोर” — और कांग्रेस सदस्यों ने वेल में खड़े होकर जिस प्रकार व्यवहार किया, उसकी ओर स्वयं लोकसभा अध्यक्ष ने भी अंतिम दिन सदन स्थगित करते समय भाषा की मर्यादा के तार-तार होने का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के लिए अपमानजनक भाषा के प्रयोग की यह परंपरा नई नहीं है। यह सिलसिला 2012-13 से ही चला आ रहा है। जबसे कांग्रेस ने माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी को एक संभावित और प्रभावी नेता के रूप में देखा है, तबसे वह लगातार उनके लिए अमर्यादित और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करती रही है। “मौत का सौदागर, नाली का कीड़ा, नीच आदमी, कॉकरोच, वायरस, भस्मासुर, रावण, दुर्योधन” जैसे शब्द भी कांग्रेस नेताओं द्वारा उनके लिए कहे जा चुके हैं।
शिमला , 01 सितंबर [ विशाल सूद ] ! कांग्रेस के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग कोई नई बात नहीं है। संसद सत्र के दौरान पूरे राष्ट्र ने देखा कि कांग्रेस सांसद वेल में खड़े होकर लगातार ‘चोर, चोर’ के नारे लगा रहे थे। स्थिति इतनी गंभीर हुई कि लोकसभा अध्यक्ष को स्वयं यह कहना पड़ा कि भाषा की मर्यादा चकनाचूर हो गई है।
भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी एवं विधायक रणधीर शर्मा ने आशियाना में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की बिहार यात्रा के दौरान आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबंध में प्रयोग की गई अभद्र भाषा की कड़ी आलोचना की। रणधीर शर्मा ने कहा कि दरभंगा की सभा में माननीय प्रधानमंत्री जी और उनकी स्वर्गीय माता जी के प्रति जिस प्रकार की अभद्र और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया, उसके मूल में स्वयं राहुल गांधी हैं।
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यदि उनके हालिया भाषणों का विश्लेषण किया जाए तो यह स्पष्ट होता है कि वे पिछले कई दिनों से प्रधानमंत्री को ‘तू’ कहकर संबोधित कर रहे हैं, जो शिष्टाचार और राजनीतिक मर्यादा की सीधी अवहेलना है। कांग्रेस पार्टी ने जबसे आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को एक संभावित और प्रभावी नेता के रूप में स्वीकार किया है, तभी से वह लगातार उनके प्रति अमर्यादित भाषा का प्रयोग करती आ रही है।
रणधीर शर्मा ने कहा कि बिहार में राहुल गांधी की यात्रा के दौरान जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया जा रहा है, वह अत्यंत दुखद है। लोकतंत्र में संवाद और असहमति के अपने आदर्श होते हैं। सुषमा स्वराज जी के वे शब्द आज भी स्मरणीय हैं, जब उन्होंने सदन में कहा था कि “हम शत्रु नहीं, बल्कि वैचारिक रूप से विरोधी हैं।“ उन्होंने कहा कि आज स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि भाषा की मर्यादा लगातार तार-तार हो रही है।
माननीय प्रधानमंत्री जी और लगभग सौ वर्ष की आयु में दिवंगत उनकी माता जी के प्रति जिस तरह की कटु, अश्लील और अभद्र भाषा का प्रयोग की गयी, वह अत्यंत निंदनीय है। शर्मा ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जिस पार्टी ने कभी अपने आप को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा और जिसे महात्मा गांधी जी की पार्टी कहा जाता था, वही आज ‘गाली वाली पार्टी’ बन गई है।
यह वह तथाकथित नकली गांधी परिवार की पार्टी है, जिसमें अधिकार-बोध और अहंकार कूट-कूट कर भरा हुआ है। उन्हें ऐसा लगता है मानो भारतवर्ष पर केवल उनका ही अधिकार हो। यदि उन्हें राजनीतिक सत्ता नहीं मिलती, तो वे लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नेताओं से गद्दी छोड़ने की माँग करते हैं। और जब सत्ता हाथ नहीं आती, तो वे को जो लोकतांत्रिक रूप से चुन हुए व्यक्ति पर व्यक्तिगत और अपमानजनक भाषा तक का प्रयोग करने से नहीं चूकते। यहां तक कि उसे मां की गाली भी दे सकते है।
शर्मा ने कहा कि बिहार वह धरती है, जहां से चाणक्य का जन्म हुआ, जहां से भगवान बुद्ध का संदेश प्रसारित हुआ, जहां से भाषा, ज्ञान और संस्कृति की धारा प्रवाहित हुई। आज उसी बिहार की जनता राहुल गांधी की भाषा को देख रही है, उसे परख रही है और समय आने पर उसका उत्तर भी देगी। और, इस अभद्र भाषा की प्रवृत्ति के मूल जनक स्वयं राहुल गांधी ही हैं। दरभंगा की सभा में मंच से जिस प्रकार माननीय प्रधानमंत्री जी और उनकी माता जी के बारे में कहा गया, उसके पीछे भी राहुल गांधी का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।
यदि उनके हालिया भाषणों का विश्लेषण किया जाए, तो पता चलता है कि पिछले कई दिनों से वे प्रधानमंत्री को ‘तू’ कहकर संबोधित कर रहे हैं, जैसे — “तू युद्ध बंद कर दे, 24 घंटे का समय दिया गया है, नहीं तो तुझे छोड़ा नहीं जाएगा, तुझे हम देख लेंगे।” उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी 140 करोड़ भारतीयों के प्रधानमंत्री हैं। इस प्रकार की भाषा किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कही जा सकती। भारतवर्ष सदैव संवाद की मर्यादा का सम्मान करता है और अभद्र, अमर्यादित भाषा को कभी स्वीकार नहीं करता।
शर्मा ने कहा कि दुर्भाग्यवश यह पहली बार नहीं है। हाल ही में संसद के सत्र में जिस तरह के नारे लगाए गए — “चोर, चोर, चोर” — और कांग्रेस सदस्यों ने वेल में खड़े होकर जिस प्रकार व्यवहार किया, उसकी ओर स्वयं लोकसभा अध्यक्ष ने भी अंतिम दिन सदन स्थगित करते समय भाषा की मर्यादा के तार-तार होने का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के लिए अपमानजनक भाषा के प्रयोग की यह परंपरा नई नहीं है।
यह सिलसिला 2012-13 से ही चला आ रहा है। जबसे कांग्रेस ने माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी को एक संभावित और प्रभावी नेता के रूप में देखा है, तबसे वह लगातार उनके लिए अमर्यादित और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करती रही है। “मौत का सौदागर, नाली का कीड़ा, नीच आदमी, कॉकरोच, वायरस, भस्मासुर, रावण, दुर्योधन” जैसे शब्द भी कांग्रेस नेताओं द्वारा उनके लिए कहे जा चुके हैं।
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