नाहन में सीटू के बैनर तले कई संगठनों ने किया धरना प्रदर्शन
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सिरमौर , 26 नवंबर [ विशाल सूद ] ! केन्द्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ बुधवार को सीटू के बैनर तले सैकड़ो मजदूरों,किसान सभा व् अन्य संबंधित संगठनों ने नाहन र में प्रदर्शन किया।नाहन अंतर्राजीय बस स्टैंड से यह रैली आरम्भ हुई और नारेबाजी के साथ उपायुक्त कार्यालय पहुंची। केंद्र सरकार की तरफ से लागू किए गए चार श्रम कानून का विरोध जताया गया। इन लेबर कोड को निरस्त करने के लिए आंदोलन का आगाज किया।हिमाचल किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह तनवर ने सभा को संबोधित किया और इन लेबर कोड के बारे में मजदूरों को और जनता को जागरूक किया। कुलदीप तनवर ने कहाकि केंद्र सरकार ने 29 सेंट्रल लेबर कानूनों को रद्द कर दिया है, जिनके लिए ब्रिटिश राज से आज़ाद भारत में लड़ाई लड़ी गई थी और उन्हें सिर्फ़ 4 कानूनों में बदल दिया है। यह ‘लेबर रिफॉर्म’ के नाम पर कॉर्पोरेट कंपनियों की सेवा करने का काम हैइसके इलावा आज से 5 वर्ष पूर्व किसान आंदोलन हुआ था आज उसकी पांचवी वर्षगांठ है लेकिन किसान आज भी वहीं के वहीं खड़े है। अधिकतर फसलें अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से बाहर हैं। आपदा प्रभावित लोगो के लिए प्रदेश सरकार और न ही केंद्र सरकार ने ठोस कदम उठाये हैं अभी तक आपदा प्रभावितों को उचित मुआवजा नहीं दिया गया है।
सिरमौर , 26 नवंबर [ विशाल सूद ] ! केन्द्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ बुधवार को सीटू के बैनर तले सैकड़ो मजदूरों,किसान सभा व् अन्य संबंधित संगठनों ने नाहन र में प्रदर्शन किया।नाहन अंतर्राजीय बस स्टैंड से यह रैली आरम्भ हुई और नारेबाजी के साथ उपायुक्त कार्यालय पहुंची।
केंद्र सरकार की तरफ से लागू किए गए चार श्रम कानून का विरोध जताया गया। इन लेबर कोड को निरस्त करने के लिए आंदोलन का आगाज किया।हिमाचल किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह तनवर ने सभा को संबोधित किया और इन लेबर कोड के बारे में मजदूरों को और जनता को जागरूक किया।
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कुलदीप तनवर ने कहाकि केंद्र सरकार ने 29 सेंट्रल लेबर कानूनों को रद्द कर दिया है, जिनके लिए ब्रिटिश राज से आज़ाद भारत में लड़ाई लड़ी गई थी और उन्हें सिर्फ़ 4 कानूनों में बदल दिया है। यह ‘लेबर रिफॉर्म’ के नाम पर कॉर्पोरेट कंपनियों की सेवा करने का काम हैइसके इलावा आज से 5 वर्ष पूर्व किसान आंदोलन हुआ था आज उसकी पांचवी वर्षगांठ है लेकिन किसान आज भी वहीं के वहीं खड़े है।
अधिकतर फसलें अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से बाहर हैं। आपदा प्रभावित लोगो के लिए प्रदेश सरकार और न ही केंद्र सरकार ने ठोस कदम उठाये हैं अभी तक आपदा प्रभावितों को उचित मुआवजा नहीं दिया गया है।
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