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चम्बा , 30 सितंबर [ शिवानी ] ! आज राजकीय महाविद्यालय चंबा के अर्थशास्त्र विभाग एवं अर्थशास्त्र विभाग की सोसाइटी *अर्थसृजन सोसाइटी* के तत्वावधान में विविध प्रतियोगिताओं की श्रृंखला का सफल आयोजन किया गया। इस श्रृंखला में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, वाद-विवाद एवं नारा लेखन प्रतियोगिता मुख्य रहीं। आज उक्त श्रृंखला के मुख्य कार्यक्रम एवं समापन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान राजकीय महाविद्यालय चम्बा के प्राचार्य डॉ. मदन गुलेरिया जी मुख्य अतिथि के रूप में, प्राणी विज्ञान विभाग से प्रो. अविनाश, वाणिज्य विभाग से डॉ. विदुषी शर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सर्वप्रथम अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय शर्मा द्वारा मुख्य अतिथि महोदय व समस्त अतिथियों का औपचारिक स्वागत किया व बैज लगाकर सम्मानित किया गया । आज के मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता से हुई, जिसका विषय था- “डॉ. मनमोहन सिंह का भारत में 1991 के आर्थिक परिवर्तन में योगदान”। इस प्रतियोगिता में कुल 7 टीमों ने भाग लिया। अंतिम निर्णय के अनुसार इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्रियंका एवं सिमरन (बी.ए. तृतीय वर्ष) की टीम, द्वितीय स्थान पंकु एवं इरफान को मिला। इसके उपरांत भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें प्रथम स्थान अनूप (बी.ए. तृतीय वर्ष) ने, द्वितीय स्थान कृतिका और तृतीय स्थान संगीता (बी.ए. प्रथम वर्ष) ने हासिल किया । नारा लेखन प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने अपनी सृजनात्मकता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इसमें प्रथम स्थान मधु (बी.ए. द्वितीय वर्ष), द्वितीय स्थान हिमांशी (बी.ए. तृतीय वर्ष) तथा तृतीय स्थान समिक्षा (बी.ए. प्रथम वर्ष) ने प्राप्त किया। मुख्य अतिथि डॉ मदन गुलेरिया ने सभी विजेताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने विद्यार्थियों को डॉ. मनमोहन सिंह जी के भारत के आर्थिक परिवर्तन में योगदान के विषय में प्रेरणादायी विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि आज हम यहाँ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, महान अर्थशास्त्री और दूरदर्शी नेता डॉ. मनमोहन सिंह जी की जयंती पर एकत्रित हुए हैं। यह अवसर केवल उनके जन्मदिन का स्मरण नहीं है, बल्कि उनके योगदानों को याद करने और उनसे प्रेरणा लेने का भी है। डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन साधारण परिवार से उठकर असाधारण ऊँचाइयों तक पहुँचने की प्रेरणादायक गाथा है। उन्होंने कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अपना अमिट नाम बनाया। भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में उनका योगदान अविस्मरणीय है। सन् 1991 में जब देश गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा था, तब वित्त मंत्री के रूप में डॉ. सिंह ने अपने अद्भुत ज्ञान और दूरदृष्टि से आर्थिक उदारीकरण (Economic Reforms) की नींव रखी। उन्हीं के प्रयासों से भारत ने वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाई और नई विकास यात्रा की शुरुआत की। प्रधानमंत्री के रूप में उनके नेतृत्व में भारत ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना-प्रौद्योगिकी और विदेशी नीति के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की। वे हमेशा ईमानदारी, सरलता और विद्वता के प्रतीक रहे। राजनीति में रहते हुए भी उन्होंने शालीनता, मर्यादा और नैतिक मूल्यों का जो उदाहरण प्रस्तुत किया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी है। कार्यक्रम के दौरान अर्थशास्त्र विभाग से कार्यक्रम संयोजक प्रो. संतोष देवी ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा नेतृत्व केवल सत्ता में बने रहने का नाम नहीं, बल्कि राष्ट्र की सेवा और नागरिकों के कल्याण के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य करने का नाम है। इस जयंती पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम उनके आदर्शों और मूल्यों से प्रेरित होकर अपने जीवन में ईमानदारी, परिश्रम और ज्ञान की साधना को अपनाएँगे और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देंगे। कार्यक्रम के अंत में अर्थशास्त्र विभाग से प्रोफेसर संतोष देवी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए सबका आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अर्थशास्त्र विभाग के विद्यार्थी व महाविद्यालय के अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे।
चम्बा , 30 सितंबर [ शिवानी ] ! आज राजकीय महाविद्यालय चंबा के अर्थशास्त्र विभाग एवं अर्थशास्त्र विभाग की सोसाइटी *अर्थसृजन सोसाइटी* के तत्वावधान में विविध प्रतियोगिताओं की श्रृंखला का सफल आयोजन किया गया। इस श्रृंखला में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, वाद-विवाद एवं नारा लेखन प्रतियोगिता मुख्य रहीं।
आज उक्त श्रृंखला के मुख्य कार्यक्रम एवं समापन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान राजकीय महाविद्यालय चम्बा के प्राचार्य डॉ. मदन गुलेरिया जी मुख्य अतिथि के रूप में, प्राणी विज्ञान विभाग से प्रो. अविनाश, वाणिज्य विभाग से डॉ. विदुषी शर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सर्वप्रथम अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय शर्मा द्वारा मुख्य अतिथि महोदय व समस्त अतिथियों का औपचारिक स्वागत किया व बैज लगाकर सम्मानित किया गया ।
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आज के मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता से हुई, जिसका विषय था- “डॉ. मनमोहन सिंह का भारत में 1991 के आर्थिक परिवर्तन में योगदान”।
इस प्रतियोगिता में कुल 7 टीमों ने भाग लिया। अंतिम निर्णय के अनुसार इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्रियंका एवं सिमरन (बी.ए. तृतीय वर्ष) की टीम, द्वितीय स्थान पंकु एवं इरफान को मिला।
इसके उपरांत भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें प्रथम स्थान अनूप (बी.ए. तृतीय वर्ष) ने, द्वितीय स्थान कृतिका और तृतीय स्थान संगीता (बी.ए. प्रथम वर्ष) ने हासिल किया ।
नारा लेखन प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने अपनी सृजनात्मकता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इसमें प्रथम स्थान मधु (बी.ए. द्वितीय वर्ष), द्वितीय स्थान हिमांशी (बी.ए. तृतीय वर्ष) तथा तृतीय स्थान समिक्षा (बी.ए. प्रथम वर्ष) ने प्राप्त किया।
मुख्य अतिथि डॉ मदन गुलेरिया ने सभी विजेताओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने विद्यार्थियों को डॉ. मनमोहन सिंह जी के भारत के आर्थिक परिवर्तन में योगदान के विषय में प्रेरणादायी विचार साझा किए।
उन्होंने कहा कि आज हम यहाँ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, महान अर्थशास्त्री और दूरदर्शी नेता डॉ. मनमोहन सिंह जी की जयंती पर एकत्रित हुए हैं। यह अवसर केवल उनके जन्मदिन का स्मरण नहीं है, बल्कि उनके योगदानों को याद करने और उनसे प्रेरणा लेने का भी है।
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन साधारण परिवार से उठकर असाधारण ऊँचाइयों तक पहुँचने की प्रेरणादायक गाथा है। उन्होंने कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अपना अमिट नाम बनाया। भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
सन् 1991 में जब देश गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा था, तब वित्त मंत्री के रूप में डॉ. सिंह ने अपने अद्भुत ज्ञान और दूरदृष्टि से आर्थिक उदारीकरण (Economic Reforms) की नींव रखी। उन्हीं के प्रयासों से भारत ने वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाई और नई विकास यात्रा की शुरुआत की।
प्रधानमंत्री के रूप में उनके नेतृत्व में भारत ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना-प्रौद्योगिकी और विदेशी नीति के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की। वे हमेशा ईमानदारी, सरलता और विद्वता के प्रतीक रहे। राजनीति में रहते हुए भी उन्होंने शालीनता, मर्यादा और नैतिक मूल्यों का जो उदाहरण प्रस्तुत किया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी है।
कार्यक्रम के दौरान अर्थशास्त्र विभाग से कार्यक्रम संयोजक प्रो. संतोष देवी ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा नेतृत्व केवल सत्ता में बने रहने का नाम नहीं, बल्कि राष्ट्र की सेवा और नागरिकों के कल्याण के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य करने का नाम है।
इस जयंती पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम उनके आदर्शों और मूल्यों से प्रेरित होकर अपने जीवन में ईमानदारी, परिश्रम और ज्ञान की साधना को अपनाएँगे और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देंगे। कार्यक्रम के अंत में अर्थशास्त्र विभाग से प्रोफेसर संतोष देवी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए सबका आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अर्थशास्त्र विभाग के विद्यार्थी व महाविद्यालय के अन्य विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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