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ऊना , 01 ऑक्टूबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल सरकार पशुपालकों को शुद्ध नस्ल के पशु उपलब्ध करवाने और डेयरी क्षेत्र को आधुनिक व रोजगारपरक बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। इसी मकसद से ऊना जिला के बरनोह में प्रदेश का पहला मुर्रा नस्ल प्रजनन एवं डेयरी फार्म स्थापित किया गया है। केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त सहयोग से बने इस फार्म में प्रारंभिक संचालन के लिए 9 शुद्ध नस्ल की मुर्रा भैंसें लाई गई हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू हमेशा इस पर जोर देते हैं कि पशुपालक प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। सरकार उन्हें उच्च नस्ल के पशुओं और आधुनिक सुविधाओं से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाने तथा युवाओं के लिए नए रोजगार अवसर तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दृष्टि से यह फार्म पशुपालकों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। बरनोह मुर्रा प्रजनन फार्म के सहायक निदेशक राकेश भट्टी ने बताया कि फार्म का उद्देश्य शुद्ध नस्ल की भैंसों का प्रजनन करना है। यहां शुद्ध मुर्रा नस्ल के कटड़े भी तैयार किए जाएंगे और फार्म से प्राप्त उच्च गुणवत्ता का वीर्य संग्रहित कर विभागीय सीमन केंद्रों के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान हेतु पूरे प्रदेश में वितरित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक संचालन के लिए यहां 9 मुर्रा भैंसें उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित नेशनल डेयरी डेवलपमेंट सेंटर से लाई गई हैं। चयन प्रक्रिया में भैंसों की पीढ़ीवार उत्पादन क्षमता और चिकित्सीय जांच को प्राथमिकता दी गई। भट्टी ने बताया कि लाई गई सभी भैंसे गाभिन हैं और अगले 2-3 महीने में प्रजनन के साथ-साथ फार्म में भैंसों की संख्या बढ़ेगी और दूध का उत्पादन भी आरंभ हो जाएगा। आने वाले समय में फार्म में पशुओं की संख्या 50 तक बढ़ाई जाएगी। मुर्रा नस्ल की भैंस औसतन 15–20 लीटर दूध देती हैं। प्रारंभिक चरण में उत्पादन का दूध स्थानीय डेयरी केंद्रों को उपलब्ध कराया जाएगा और भविष्य में उत्पादन बढ़ने पर मिल्कफेड को भी आपूर्ति की जाएगी। राकेश भट्टी ने बताया कि इस मुर्रा प्रजनन केंद्र के निर्माण पर कुल 5.06 करोड़ रुपये व्यय हुए हैं, जो केंद्र और राज्य सरकार की साझी भागीदारी से संभव हुआ है। इसमें से 4.40 करोड़ रुपये आधारभूत ढांचे पर और 66 लाख रुपये आधुनिक मशीनरी व पशुओं की देखरेख पर खर्च किए गए हैं। अच्छी नस्ल की भैंसों की खरीद के लिए सरकार ने 36 लाख रुपये का प्रावधान किया है, जिनमें से 15.49 लाख रुपये अब तक 9 मुर्रा भैंसों पर खर्च किए जा चुके हैं। सहायक निदेशक ने बताया कि बरनोह फार्म में पशुपालकों को एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण पूर्ण होने पर उन्हें प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा, जो डेयरी यूनिट चलाने और ऋण सुविधा प्राप्त करने में सहायक होगा। प्रशिक्षण में दूध उत्पादन, पशुपालन प्रबंधन, दूध विपणन और पनीर, खोया, घी जैसे उत्पाद बनाने की आधुनिक तकनीक सिखाई जाएगी। उपायुक्त जतिन लाल का कहना है कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के विज़न के अनुरूप जिले में पशुपालकों की मदद और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के प्रयास निरंतर जारी हैं। बरनोह मुर्रा प्रजनन केंद्र इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा और न केवल ऊना बल्कि आसपास के जिलों के पशुपालकों को भी लाभान्वित करेगा।
ऊना , 01 ऑक्टूबर [ विशाल सूद ] ! हिमाचल सरकार पशुपालकों को शुद्ध नस्ल के पशु उपलब्ध करवाने और डेयरी क्षेत्र को आधुनिक व रोजगारपरक बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। इसी मकसद से ऊना जिला के बरनोह में प्रदेश का पहला मुर्रा नस्ल प्रजनन एवं डेयरी फार्म स्थापित किया गया है। केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त सहयोग से बने इस फार्म में प्रारंभिक संचालन के लिए 9 शुद्ध नस्ल की मुर्रा भैंसें लाई गई हैं।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू हमेशा इस पर जोर देते हैं कि पशुपालक प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। सरकार उन्हें उच्च नस्ल के पशुओं और आधुनिक सुविधाओं से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाने तथा युवाओं के लिए नए रोजगार अवसर तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दृष्टि से यह फार्म पशुपालकों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है।
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बरनोह मुर्रा प्रजनन फार्म के सहायक निदेशक राकेश भट्टी ने बताया कि फार्म का उद्देश्य शुद्ध नस्ल की भैंसों का प्रजनन करना है। यहां शुद्ध मुर्रा नस्ल के कटड़े भी तैयार किए जाएंगे और फार्म से प्राप्त उच्च गुणवत्ता का वीर्य संग्रहित कर विभागीय सीमन केंद्रों के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान हेतु पूरे प्रदेश में वितरित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रारंभिक संचालन के लिए यहां 9 मुर्रा भैंसें उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित नेशनल डेयरी डेवलपमेंट सेंटर से लाई गई हैं। चयन प्रक्रिया में भैंसों की पीढ़ीवार उत्पादन क्षमता और चिकित्सीय जांच को प्राथमिकता दी गई।
भट्टी ने बताया कि लाई गई सभी भैंसे गाभिन हैं और अगले 2-3 महीने में प्रजनन के साथ-साथ फार्म में भैंसों की संख्या बढ़ेगी और दूध का उत्पादन भी आरंभ हो जाएगा। आने वाले समय में फार्म में पशुओं की संख्या 50 तक बढ़ाई जाएगी।
मुर्रा नस्ल की भैंस औसतन 15–20 लीटर दूध देती हैं। प्रारंभिक चरण में उत्पादन का दूध स्थानीय डेयरी केंद्रों को उपलब्ध कराया जाएगा और भविष्य में उत्पादन बढ़ने पर मिल्कफेड को भी आपूर्ति की जाएगी।
राकेश भट्टी ने बताया कि इस मुर्रा प्रजनन केंद्र के निर्माण पर कुल 5.06 करोड़ रुपये व्यय हुए हैं, जो केंद्र और राज्य सरकार की साझी भागीदारी से संभव हुआ है। इसमें से 4.40 करोड़ रुपये आधारभूत ढांचे पर और 66 लाख रुपये आधुनिक मशीनरी व पशुओं की देखरेख पर खर्च किए गए हैं। अच्छी नस्ल की भैंसों की खरीद के लिए सरकार ने 36 लाख रुपये का प्रावधान किया है, जिनमें से 15.49 लाख रुपये अब तक 9 मुर्रा भैंसों पर खर्च किए जा चुके हैं।
सहायक निदेशक ने बताया कि बरनोह फार्म में पशुपालकों को एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण पूर्ण होने पर उन्हें प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा, जो डेयरी यूनिट चलाने और ऋण सुविधा प्राप्त करने में सहायक होगा। प्रशिक्षण में दूध उत्पादन, पशुपालन प्रबंधन, दूध विपणन और पनीर, खोया, घी जैसे उत्पाद बनाने की आधुनिक तकनीक सिखाई जाएगी।
उपायुक्त जतिन लाल का कहना है कि मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के विज़न के अनुरूप जिले में पशुपालकों की मदद और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के प्रयास निरंतर जारी हैं। बरनोह मुर्रा प्रजनन केंद्र इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा और न केवल ऊना बल्कि आसपास के जिलों के पशुपालकों को भी लाभान्वित करेगा।
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