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शिमला, 27 जून [ विशाल सूद ] ! कुल्लू में बादल फटने की घटना से अभी प्रदेश उभर नहीं पाया है। लेकिन बाढ़ के बहाव में बहकर आई लकड़ियों पर सवाल उठने लगे हैं, कि क्या हिमाचल में असल में पुष्पा तीन फिल्म बन रही है। क्योंकि पानी के साथ जिस तरह लकड़ियां बहकर आई क्या ये अवैध कटान तो नहीं? ये सवाल कांग्रेस के ही राष्ट्रीय प्रवक्ता कुलदीप राठौर ने उठाए है। कुलदीप राठौर ने अपनी ही सरकार से पूछा कि बाढ़ में सैंकड़ों टन लकड़ी पण्डोह डैम में बहती हुई मिली। ये लकड़ियां कहां से आई। जंगल और प्रकृति इसका प्रमाण दे रही है कि हिमाचल जंगलों का अंधाधुंध कटान हो रहा है। इस के लिए कौन जिम्मेदार है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग उठाई कि लकड़ियां कहां से आई किसने काटी । इसकी गहनता से जांच हो। वन विभाग भी जिम्मेदारी से अपना काम नहीं कर रहा है। वन विभाग की जवाबदेही भी तय की जाए। यहां ये गौर रहे कि वन विभाग हिमाचल के मुख्यमंत्री के पास है। कुलदीप राठौर ने कहा कि हिमाचल में बड़े बड़े विद्युत प्रोजेक्ट लग रहे है। उन जगहों पर भी वह कटान और खनन हो रहा है, लेकिन वहां पेड़ नहीं लगाए जा रहे है। इसके लिए सख्त कदम सरकार उठाए। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए।
शिमला, 27 जून [ विशाल सूद ] ! कुल्लू में बादल फटने की घटना से अभी प्रदेश उभर नहीं पाया है। लेकिन बाढ़ के बहाव में बहकर आई लकड़ियों पर सवाल उठने लगे हैं, कि क्या हिमाचल में असल में पुष्पा तीन फिल्म बन रही है। क्योंकि पानी के साथ जिस तरह लकड़ियां बहकर आई क्या ये अवैध कटान तो नहीं? ये सवाल कांग्रेस के ही राष्ट्रीय प्रवक्ता कुलदीप राठौर ने उठाए है।
कुलदीप राठौर ने अपनी ही सरकार से पूछा कि बाढ़ में सैंकड़ों टन लकड़ी पण्डोह डैम में बहती हुई मिली। ये लकड़ियां कहां से आई। जंगल और प्रकृति इसका प्रमाण दे रही है कि हिमाचल जंगलों का अंधाधुंध कटान हो रहा है। इस के लिए कौन जिम्मेदार है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग उठाई कि लकड़ियां कहां से आई किसने काटी । इसकी गहनता से जांच हो।
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वन विभाग भी जिम्मेदारी से अपना काम नहीं कर रहा है। वन विभाग की जवाबदेही भी तय की जाए। यहां ये गौर रहे कि वन विभाग हिमाचल के मुख्यमंत्री के पास है। कुलदीप राठौर ने कहा कि हिमाचल में बड़े बड़े विद्युत प्रोजेक्ट लग रहे है। उन जगहों पर भी वह कटान और खनन हो रहा है, लेकिन वहां पेड़ नहीं लगाए जा रहे है। इसके लिए सख्त कदम सरकार उठाए। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए।
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