कहा,, शिक्षकों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही कांग्रेस सरकार*
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शिमला , 17 जून [ विशाल सूद ] ! जसवां-प्रागपुर विधानसभा क्षेत्र में हाल के दिनों में जो घटनाक्रम देखने को मिला है, वह कांग्रेस सरकार की नीयत और नीतियों दोनों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। प्रदेश सरकार ने जहां एक ओर 1 जून से सभी प्रकार के स्थानांतरणों पर रोक का दावा किया है, वहीं दूसरी ओर उसी सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए महज 15 दिनों में इस क्षेत्र से 25 से अधिक शिक्षकों का तबादला कर दिया गया है। पूर्व उद्योग मंत्री एवं जसवां-प्रागपुर के विधायक ने इन तबादलों को पूरी तरह पक्षपातपूर्ण और सुनियोजित बताया है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से ट्रांसफर माफिया का खेल है, जो कांग्रेस की मिलीभगत से संचालित हो रहा है। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इन तबादलों में मानवीय पक्ष की पूरी तरह अनदेखी की गई है। कुछ ऐसे शिक्षक जिनके परिवार में 90 वर्ष से ऊपर के वृद्ध माता-पिता हैं, जो पूरी तरह उन्हीं पर निर्भर हैं – उन्हें भी दूरस्थ स्थानों में स्थानांतरित कर दिया गया है। कई महिला शिक्षकों को तो 300 से 400 किलोमीटर दूर फेंक दिया गया है, जिससे न सिर्फ उनके परिवारिक जीवन में संकट उत्पन्न हुआ है, बल्कि सुरक्षा और बच्चों की देखभाल जैसी समस्याएं भी बढ़ गई हैं। पूर्व मंत्री ने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर यह तबादले किस आधार पर किए जा रहे हैं? क्या यह क्षेत्र केवल इसलिए निशाने पर है क्योंकि यहां भाजपा का विधायक है? क्या कांग्रेस सरकार अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्र को भी नहीं बख्श रही? उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों से शिक्षक हटा दिए गए हैं, वहां अब छात्र खाली कमरों में बैठने को मजबूर हैं। यह न केवल शिक्षा व्यवस्था की हत्या है, बल्कि सरकार की संवेदनहीनता का जीवंत उदाहरण भी। भाजपा मांग करती है कि इन तबादलों की निष्पक्ष जांच हो, और उन अधिकारियों व नेताओं पर कठोर कार्रवाई की जाए जो इस पूरे खेल को चला रहे हैं। साथ ही सभी तबादलों की समीक्षा कर मानवीय और पारिवारिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें तत्काल निरस्त किया जाए।
शिमला , 17 जून [ विशाल सूद ] ! जसवां-प्रागपुर विधानसभा क्षेत्र में हाल के दिनों में जो घटनाक्रम देखने को मिला है, वह कांग्रेस सरकार की नीयत और नीतियों दोनों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। प्रदेश सरकार ने जहां एक ओर 1 जून से सभी प्रकार के स्थानांतरणों पर रोक का दावा किया है, वहीं दूसरी ओर उसी सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए महज 15 दिनों में इस क्षेत्र से 25 से अधिक शिक्षकों का तबादला कर दिया गया है।
पूर्व उद्योग मंत्री एवं जसवां-प्रागपुर के विधायक ने इन तबादलों को पूरी तरह पक्षपातपूर्ण और सुनियोजित बताया है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से ट्रांसफर माफिया का खेल है, जो कांग्रेस की मिलीभगत से संचालित हो रहा है। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इन तबादलों में मानवीय पक्ष की पूरी तरह अनदेखी की गई है।
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कुछ ऐसे शिक्षक जिनके परिवार में 90 वर्ष से ऊपर के वृद्ध माता-पिता हैं, जो पूरी तरह उन्हीं पर निर्भर हैं – उन्हें भी दूरस्थ स्थानों में स्थानांतरित कर दिया गया है। कई महिला शिक्षकों को तो 300 से 400 किलोमीटर दूर फेंक दिया गया है, जिससे न सिर्फ उनके परिवारिक जीवन में संकट उत्पन्न हुआ है, बल्कि सुरक्षा और बच्चों की देखभाल जैसी समस्याएं भी बढ़ गई हैं।
पूर्व मंत्री ने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर यह तबादले किस आधार पर किए जा रहे हैं? क्या यह क्षेत्र केवल इसलिए निशाने पर है क्योंकि यहां भाजपा का विधायक है? क्या कांग्रेस सरकार अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्र को भी नहीं बख्श रही?
उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों से शिक्षक हटा दिए गए हैं, वहां अब छात्र खाली कमरों में बैठने को मजबूर हैं। यह न केवल शिक्षा व्यवस्था की हत्या है, बल्कि सरकार की संवेदनहीनता का जीवंत उदाहरण भी।
भाजपा मांग करती है कि इन तबादलों की निष्पक्ष जांच हो, और उन अधिकारियों व नेताओं पर कठोर कार्रवाई की जाए जो इस पूरे खेल को चला रहे हैं। साथ ही सभी तबादलों की समीक्षा कर मानवीय और पारिवारिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें तत्काल निरस्त किया जाए।
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